हर महिला को हर महीने पीरियड से तो गुजरना ही होता है | पीरियड की पूरी प्रक्रिया ही हार्मोंस का उतार-चढ़ाव है | हार्मोन असंतुलन कारण चिड़चिड़ाहट, घबराहट, खराब नींद, थकान, कमजोरी, जरूरत से ज्यादा मोटापा या पतला हो जाना, मरोड़, गैस, कब्ज उल्टी-दस्त, बालों का झड़ना जैसी बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है |
हार्मोनल असंतुलन का एक मुख्य कारण खराब जीवन शैली भी है | अधिक फास्ट फूड खाना, व्यायाम व योगा से बचना, कैफीन युक्त पेय पदार्थ का अधिक सेवन और नशीले पदार्थों का सेवन आदि तो मानो जीवन का एक हिस्सा बन गए हैं जो स्वस्थ दृष्टि से उचित नहीं है |
हार्मोंस हमारी बॉडी में मौजूद कोशिकाओं और ग्रन्थियों में से निकलने वाले केमिकल्स होते हैं, जो शरीर के दूसरे हिस्से में मौजूद कोशिकाओं या ग्रन्थियों पर असर डालते हैं |
इन हार्मोंस का सीधा असर हमारे मेटाबॉलिज्म, इम्यून सिस्टम, रिप्रॉडक्टिव सिस्टम, शरीर के डिवेलपमेंट और मूड पर पड़ता है | जीवन के अलग-अलग चरणों जैसे प्रेग्नेंसी, पीरियड या मीनोपॉज से पहले तक शरीर में हार्मोन्स का लेवल अलग-अलग हो सकता है |
महिलाओं में होने वाले हार्मोनल असंतुलन को योग संतुलित करने में सहायक हो सकता है | इससे न सिर्फ आपका मेटाबॉलिज्म रेट बढ़ेगा, स्ट्रेस कम होगा, बल्कि पीरियड चक्र में आई अनियमितता को दूर करने में भी मदद मिलेगी |
आइयें जानते है कुछ योगासन, जो हार्मोनल असंतुलन के लिए प्रभावी हो सकते हैं…
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1. भुजंगासन या कोबरा पोज
भुजंगासन सूर्यनमस्कार के 12 आसन में से 8वां है | इस मुद्रा में शरीर साँप की आकृति बनाता है |
विधि
- योगा मैट पर पेट के बल लेट जाएं | ध्यान रखें कि आपके टखने एक-दूसरे को छूते हुए होने चाहिए |
- अपनी हथेलियों को अपने कंधों के बराबर में रखें |
- अब अपने शरीर का वजन अपनी हथेलियों पर डालें, सांस भीतर खींचें और अपने सिर को उठाकर पीठ की तरफ खींचें | ध्यान दें कि इस वक्त तक आपकी कुहनी मुड़ी हुई है |
- हथेलियों को जमीन में दबाते हुए, अपनी बाहों को सीधा करें और अपने धड़ को ऊपर उठाएं | सिर को साँप के फन की तरह खींचकर रखें | लेकिन ध्यान दें कि आपके कंधे कान से दूर रहें और कंधे मजबूत बने रहें |
- इसके बाद अपने हिप्स, जांघों और पैरों से फर्श की तरफ दबाव बढ़ाएं | आपकी कोहनी आपके शरीर के करीब होनी चाहिए |
- शरीर को इस स्थिति में करीब 15 से 30 सेकेंड तक रखें और सांस की गति सामान्य बनाए रखें | ऐसा महसूस करें कि आपका पेट फर्श की तरफ दब रहा है | लगातार अभ्यास के बाद आप इस आसन को 2 मिनट तक भी कर सकते हैं |
- अब धीरे-धीरे अपने हाथों को वापस जमीन पर लेकर आएं | अपने सिर को फर्श पर विश्राम दें | अपने हाथों को सिर के नीचे रखें | बाद में धीरे से अपने सिर को एक तरफ मोड़ लें और धीमी गति से कुछ सेकंड तक सांस लें |
जिनको पीठ दर्द, सिरदर्द, हर्निया, कार्पल टनल सिंड्रोम की समस्या है और पेट के निचले हिस्से में सर्जरी हुई है वे भुजंगासन न करें |
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2. सेतुबंधासन या ब्रिज पोज
इस आसन में आप अपने शरीर को एक सेतु की मुद्रा में बाँध कर या रोक कर रखते हैं, इसलिए इसका नाम “सेतुबंधासन” रखा गया |
विधि
- योगा मैट पर अपनी पीठ के बल लेट जाएँ | हाथों को बगल में रखें |
- अब धीरे-धीरे अपने पैरों को घुटनों से मोड़कर हिप्स के पास ले आएं |
- सांस लेते हुए हाथों पर वज़न डाल कर धीरे धीरे हिप्स को उपर उठायें | हाथ जमीन पर ही रहेंगे | अपनी छाती को ठोढ़ी की ओर उठाएं |
- पैरों को मज़बूती से टिका कर रखें | पीठ जितनी मोडी जाए, उतनी ही मोड़ें | अपनी क्षमता से ज़्यादा ना करें – अभ्यास के साथ धीरे धीरे आप बढ़ा सकते हैं |
- अब दोनो हाथों को जोड़ लें | आपके लिए मुमकिन हो तो दृष्टि नाक पर केंद्रित करें वरना छत या आसमान की ओर देख सकते हैं |
- कुछ देर (5 से 90 सेकेंड, जितनी देर आपके लिए संभव हो जबरदस्ती न करें) के लिए सांस को रोककर रखें |
- इसके बाद सांस छोड़ते हुए वापस जमीन पर आएं | पैरों को सीधा करें और विश्राम करें |
- 10-15 सेकेंड तक आराम करने के बाद फिर से दोहराएं | हो सके तो 2 से 3 बार दौहराएं, अगर इतना ना हो तो जितना हो सके उतना करें |
यदि आपकी पीठ और गर्दन में चोट लगी है या दर्द की शिकायत है तो सेतुबंधासन न करें |
3. मलासन या गारलैंड पोज
मलासन करते समय दोनों हाथ नमस्कार या प्रणाम करने की मुद्रा में होते हैं | जिससे गले में पड़ी हुई माला का आभास होता है | इसलिए ये आसन मलासन कहलाता है |
इस आसन का एक नाम उपवेशासन भी है | इसके अलावा, मालासन को अंग्रेजी में Squat Pose, Garland Pose, Necklace Pose, Wide Squat Pose, Sitting Down Pose भी कहा जाता है।
मलासन, योग की भाषा में एक तरह का स्क्वाट है | इससे आपके कूल्हे खुल जाते हैं और अधिक समय बैठे रहने से बढ़ने वाली परेशानियां धीरे-धीरे समाप्त होने लगती हैं |
विधि
- योग मैट पर दोनों पैरों के बीच करीब डेढ़ से दो फीट की दूरी रखते हुए खड़े हों जाएं |
- अपने दोनों हाथों को अपनी छाती के सामने जोड़ लें यानी प्रार्थना की मुद्रा बनायें |
- अब धीरे-धीरे नीचे की ओर बैठ जाएँ, इस मुद्रा में आप मल त्याग करने वाली स्थिति में आ जायेंगें |
- अपनी जांघों को धड़ यानि शरीर के ऊपरी हिस्से से अधिक चौड़ा रखें |
- साँस छोड़ते हुए आगे की ओर ऐसे झुकें जैसे आपका धड़ आपकी जाँघों के बीच में फँसा हो |
- दोनों हाथों को इस स्थिति में जोड़ें की कोहनी पर 90 डिग्री का कोण बन जाएं |
- फिर दोनों हाथों की कोहनी को जांघों के अन्दर रखें, ऐसा करने से आपको अपने धड़ के सामने के भाग का विस्तार करने में मदद मिलेगी |
- इस आसन में आप कम से कम एक मिनिट तक रहें |
- अपनी प्रारंभिक अवस्था में आने के लिए सांस भरते हुए कुर्सी पोज में कुछ सेकेंड रहें और फिर खड़े हो जाएं अपने हाथों को सीधा नीचे लाएं |
अगर आप हाई ब्लड प्रेशर, डायरिया, घुटनों में समस्या या आर्थराइटिस की समस्या से परेशान है तो मलासन न करें |
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4. शशांकासन या रैबिट पोज
इस आसन को खरगोश मुद्रा के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस आसन को करते समय आपकी स्थिति एक बैठे खरगोश के समान दिखाई देती है |
विधि
- शशांकासन योग करने के लिए आप योगा मैट को बिछा कर पैरों को मोड़कर घुटनों के बल बैठ जाएं | अपने पैरों के पंजों को पीछे की तरफ खींचें | उन्हें साथ बनाए रखें और पैर के अंगूठों को एक-दूसरे पर क्रॉस कर लें |
- धीरे-धीरे अपने शरीर को इस प्रकार नीचे ले जाएं कि आपके हिप्स एड़ियों पर जाकर टिक जाएं |
- अपने दोनों हाथों को सीधा दोनों घुटनों पर रखें |
- अब साँस को अन्दर की ओर लें और दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठायें और सीधा कर लें |
- अपनी गर्दन और रीढ़ की हड्डी को पूरी तरह से सीधा रखें |
- अब साँस को छोड़ते हुए धीरे-धीरे नीचे की तरफ झुकते जाएं और अपने दोनों हाथों को भी साथ में नीचे लाएं |
- अपनी नाक और माथे को फर्श पर रख दें |
- दोनों हाथों को भी सीधे फर्श पर सीधे रख दें |
- साँस को अन्दर लेते हुए धीरे-धीरे सीधे होते जाएं, यह शशांकासन का एक पूरा चक्कर है |
- इस अभ्यास को समय और आराम की सुविधा के अनुसार 5 से 10 बार दोहराया जा सकता है |
उच्च रक्तचाप या दिल की समस्याओं से पीड़ित, हर्निया, मोतियाबिंद या चक्कर आने से परेशान हैं, स्लिप डिस्क से परेशान हैं, और गर्भवती महिलाओं को शशांकासन न करें |
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5. बद्ध कोणासन या बांउट एंगल पोज
इस आसन को बद्ध कोणासन इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें आपके पैर के तलवे मिले होते हैं जबकि आपके पैर एक कोण पर मुड़े होते हैं | जब आप इस मुद्रा में होते हैं, तो आप ध्यान देंगे कि आपके मुड़े हुए पैर तितली के पंखों की तरह दिखते हैं, इसलिए इसे तितली आसन भी कहा जाता है |
आप इस स्थिति में हमेशा मोची को बैठा पायेगें | इस कारण बद्ध कोणासन का एक नाम कॉबलर पोज़ भी (Cobbler Pose) हैं |
विधि
- कमर सीधी करके योग मैट पर बैठ जाएं | अपनी टांगों को खोलकर बाहर की तरफ फैलाएं |
- सांस छोड़ते हुए घुटनों को मोड़ें और दोनों एड़ियों को अपने पेट के नीचे की तरफ ले आएं |
- दोनों एड़ियां एक-दूसरे को छूएं | इसके बाद घुटनों को दोनों तरफ नीचे की ओर ले जाएं |
- दोनों एड़ियों को जितना हो सके पेट के नीचे ओर करीब ले आएं | इसके बाद अपने अंगूठे और पहली अंगुली की मदद से पैर के बड़े अंगूठे को पकड़ लें | ये पक्का करें कि पैर का बाहरी किनारा हमेशा फर्श को छूता रहे |
- रीढ़ की हड्डी सीधी रहे और कंधे पीछे की तरफ खिंचे रहें |
- हमेशा याद रखें कि कभी भी घुटनों पर जमीन को छूने के लिए दबाव न डालें | लेकिन आप जांघ की हड्डियों पर घुटनों को नीचे करने के लिए हल्का दबाव दे सकते हैं | इससे घुटने अपने आप जमीन की तरफ चले जाएंगे |
- इस मुद्रा में 1 से 5 मिनट तक बने रहें | इसके बाद सांस खींचते हुए घुटनों को वापस सीने की तरफ लेकर आएं | पैरों को धीरे-धीरे सीधा करें और विश्राम करें |
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किसी भी योगासन के अभ्यास का सबसे सही समय सुबह का होता है | आप सुबह शौच आदि से निवृत्त हो खाली पेट आसन करेंगे तो यह ज्यादा लाभकारी माना जाता है | अगर आप सुबह नही कर सकते तो शाम में कर सकतें है लेकिन ध्यान रहे आपको योगासन का अभ्यास खाली पेट ही करना चाहिए | भोजन, आसन करने के समय से कम से कम 4-6 घंटे पहले किया जाना चाहिए | इससे हमारे पेट में गए भोजन को पचने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है | पचे हुए भोजन से मिलने वाली ऊर्जा से आपको आसन करने में आसानी होगी |
अगर आप किसी बिमारी से ग्रसित है, तो कृप्या किसी भी योगासन का अभ्यास आरंभ करने से पहले अपने डॉक्टर से अवश्य परामर्श लें |
योगासन का अभ्यास किसी योगा प्रशिक्षक की देख-रेख में करें |
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