बीते दो दशकों में डॉ. सीमा राव 20,000 सेना जवानों को निःशुल्क प्रशिक्षण दे चुकी हैं |
डॉ. सीमा राव देश की पहली और एकमात्र महिला कमांडो ट्रेनर है, जिन्होंने ब्रूस ली के विद्यार्थी ग्रैंड मास्टररिचर्ड से ब्रूस बस्टिलो से ब्रूस ली आर्ट का प्रशिक्षण लिया है |
जज्बे और साहस से लबालब डॉ. सीमा राव एक अति परिष्कृत उदाहरण है | ‘महिला में ताकत नहीं होती’ इस वाक्य की वे अतिशयोक्ति हैं |
एक महिला में साहस की कोई कमी नहीं होती, फिर भी यह भ्रम समाज में विद्यमान है | महिलाओं ने स्वयं भी खुद को छुई-मुई बना लिया है |
महिला को कच्ची कली, फूल-सा बदन, रूप की रानी जैसे शब्दों से तो दर्शाया गया | या फिर बलिदान, प्रेम, ममता, सौंदर्य, धैर्यशील, त्याग जैसे गुणों के आधार पर महिलाओं को अलंकृत किया जाता है | लेकिन इन सब में साहस, कठोरता को तो लुप्त ही कर दिया, मानों महिलाओं को तो कोई रक्षक ही चाहिए |
क्या महिलाओं में सत्य में इतना सामर्थ्य नहीं कि वे स्वयं की रक्षा कर सकें? अगर हाँ तो क्यों? बचपन से ही उन्हें भावुक और कमजोर क्यों बनाया जाता है? उनमें भी अपार साहस है बस वो नजरिया चाहिए |
साहस और ताकत का श्रेष्ठ उदाहरण है डॉ. सीमा राव जो देश के रक्षकों को प्रशिक्षित करती है |
वह क्लोज क्वार्टर बैटल – जोकि निकटता से लड़ाई करने की एक कला है, उसमें वे अग्रणी है और विभिन्न भारतीय बलों को प्रशिक्षित करने में सलंग्न हैं |
वर्ष 2019 में उनके जज्बे, साहस और समर्पण के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा नारी शक्ति सम्मान से सम्मानित किया गया |
उन्हें वर्ष 2019 फोर्ब्स इंडिया डब्ल्यू-पावर ट्रेलब्लेज़र सूची में छठे स्थान पर रखा गया था |
उन्हें विश्व शांति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है |
सेना बल में महिलाओं की संख्या तुलनात्मक रूप से बहुत कम है, लेकिन डॉ. सीमा राव ने सेना बल में नेतृत्व क्षमता में अपना लोहा मनवाया है |
वे भारतीय सेना, एयरफोर्स, नेवी सहित पैरामिलिट्री फोर्स के कमांडोज को ट्रेनिंग देती हैं | उन्हें तीन सेना प्रमुख प्रशंसापत्र मिले हैं, जो एक सराहनीय रिकॉर्ड है |
आइयें जानते है डॉ. सीमा राव की साहस भरी कहानी…
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प्रारंभिक जीवन
डॉ. सीमा राव का जन्म भारत की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई के बांद्रा में हुआ था | उनके पिता का नाम प्रोफेसर रमाकांत सिनारी था, जो एक स्वतंत्रता सेनानी थे |
उनके पिता ने गोवा को पुर्तगालियों से आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई थी |
उन्होंने हार्वर्ड मेडिकल स्कूल से इम्यूनोलॉजी और डोएन यूनिवर्सिटी से लाइफ़स्टाइल मेडिसिन का कोर्स किया |
डॉ. सीमा राव ने मार्शल साइंस में पीएचडी की है | साथ ही उन्होंने वेस्टमिन्स्टर बिजनेस स्कूल से लीडरशिप की शिक्षा ली |
पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात डॉ. दीपक राव से हुई | उन्होंने उनसे शादी की | उनके पति सेना में अपनी सेवा देने के लिए नियुक्त हो चुके थे | शादी के बाद उनके पति ने ही उन्हें मार्शल आर्ट्स सिखाया |
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अपने डर को हराया
डॉ. सीमा राव को पानी, ऊंचाई, अकेलेपन जैसी कई चीजें डराती थीं पर उन्होंने निर्णय लिया कि डर के साथ पूरा जीवन व्यतीत करने से अच्छा है कि उस पर जीत प्राप्त की जाए |
उन्होंने हाई ऑल्टीट्यूड का अनुभव लेने के लिए आर्मी के हिमालयन माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट से पर्वतारोहण का कोर्स किया |
पानी से डर को दूर करने के लिए अमेरिका के पैड़ी (पीएडीआई) से स्कूबा डीप सी डाइविंग कोर्स किया |
आग से लड़ने के लिए फायर फाइटर बनी और अकेलेपन से जीतने के लिए जंगल सर्वाइवल कोर्स किया | उन्होंने ताइक्वांडो के साथ क्रव मागा की ट्रेनिंग भी ली |
वे अनआर्म्ड कॉम्बैट में 7 डिग्री एवं इजरायल क्रव बागा में फर्स्ट डिग्री की ब्लैक होल्डर है | उन्होंने अपने फोकस को सुधारने के लिए एयर राइफल शूटिंग भी सीखी |
डॉ. सीमा राव दुनिया की 10 ऐसी महिलाओं में शुमार हैं, जिन्होंने ‘जीत कुने दो’ सीखा है | यह खास तरह का मार्शल आर्ट है, जिसे ब्रुश ली ने खोजा था |
वे 30 यार्ड की रेंज में किसी भी शख्स के सिर पर रखे सेब पर सटीक निशाना लगा सकती हैं |
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करियर
डॉ. सीमा राव मेडिकल की पढ़ाई करने के बाद डॉक्टर के रूप में प्रैक्टिस करना चाहती थी | लेकिन भविष्य के गर्भ में तो कुछ ओर ही छुपा हुआ था |
उनके सह अधिकारियों को उनकी अनआर्म्ड कॉम्बैट कौशल के बारे में पता था | तो उन्होंने उनके सामने प्रस्ताव रखा कि वे क्यों न एक प्रदर्शन दिखाएं | और इस तरह प्रदर्शन देने के बाद उन्होंने पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण देना आरंभ कर दिया |
वर्ष 1996 में डॉ. सीमा राव और उनके पति ने मिलकर आर्मी, नेवी, सीमा सुरक्षा बल और NSG के चीफ़ के सामने कमांडोज़ को फ्री में मार्शल आर्ट्स और कॉम्बैट ट्रेनिंग देने का प्रस्ताव रखा |
आर्म फोर्सेस के चीफ़ को उनका यह प्रस्ताव बहुत अच्छा लगा और उन्होंने ट्रेनिंग प्रोग्राम की शुरुआत करवा दी |
अपने पति मेजर दीपक राव के साथ मिलकर उन्होंने 20,000 सैनिकों को आधुनिक क्लोज क्वार्टर बैटल का प्रशिक्षण दिया है |
डॉ. सीमा राव ने अपने पति के साथ मिलकर देश की लगभग टॉप यूनिट को ट्रेन किया है | उन्होंने एनएसजी (NSG) कमांडो, मार्कोस (नेवी के कमांडो), गरूड़ (एयर फोर्स कमांडो) से लेकर पैरा कमांडो, बीएसएफ (BSF) के कमांडोज़ को भी ट्रेनिंग दी हुई है |
उन्होंने नेशनल पुलिस एकेडमी (NDA), आर्मी ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी के अधिकारियों को भी प्रशिक्षित किया है |
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार डॉ. सीमा राव कहती हैं कि, “कई बार ऐसे जवानों से सामना होता है जिनके लिए एक महिला से ट्रेनिंग लेना बेहद असहज और गले न उतरने वाली बात होती है | लेकिन मैंने हमेशा ही अपनी योग्यता से अपने कमांडोज़ का भरोसा जीता है | मैं हमेशा अपने ट्रेनीज़ का सम्मान पाने में सफ़ल हुई हूं |”
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लगी गंभीर चोटे
एक बार, डॉ. सीमा राव 50 फीट की ऊंचाई से गिर गई और रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर हो गया |
तो एक बार, एक साथी सैनिक के साथ लड़ाई के दौरान, उन्होंने अपने पिता के आकस्मिक निधन की खबर सुनकर अपना ध्यान और संतुलन खो दिया | इससे वह अपने सिर के बल गिर गई, जिसके कारण गंभीर चोट लगी और महीनों तक स्मृति हानि का शिकार हुईं |
वे अपने परिवार को उनका सहयोग और हिम्मत देने के लिए श्रेय देती है |
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महिलाओं के लिए की डेयर प्रोग्राम की शुरूआत
डॉ. सीमा राव और उनके पति ने महिलाओं के लिए DARE (Defence against Rape and Eve teasing) प्रोग्राम की शुरुआत भी की हुई है | इसके तहत वे महिलाओं को रेप, छेड़खानी, बदतमीज़ी जैसी घटनाओं से निपटने के लिए प्रशिक्षित करती हैं |
उनके महिलाओं की सुरक्षा पर कई लेख भी प्रकाशित हैं |
मिसेज़ इंडिया वर्ल्ड की फाइनलिस्ट रहीं
डॉ. सीमा राव की योग्यता का कोई जवाब नहीं | वह एक कमांडो ट्रेनर होने के साथ-साथ डायरेक्टर, राइटर, एडिटर भी हैं |
वे ‘हाथापाई’ नाम की एक फिल्म की निर्माता भी हैं | इसके अलावा, वे कई सारी किताबों की सह-लेखक भी हैं |
उन्होंने दो पुस्तकों का सह-लेखन किया है- “एनसाइक्लोपीडिया ऑफ क्लोज कॉम्बैट ऑप्स” और “ए कॉम्प्रिहेंसिव एनालिसिस ऑफ वर्ल्ड टेररिज्म” |
उन्होंने अपने पति के साथ एक किताब “हैंडबुक ऑफ वर्ल्ड टेररिज्म” भी लिखी है |
डॉ. सीमा राव मिसेज़ इंडिया वर्ल्ड की फाइनलिस्ट भी रह चुकी हैं |
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गोद ली बेटी
डॉ. सीमा राव ने अपना बायोलॉजिकल बच्चा न पैदा करने का फैसला लिया और एक बच्ची को गोद लिया |
उनकी बेटी डॉ. कोमल राव भी कुछ कम नहीं हैं, उन्होंने मिश्रित मार्शल आर्ट टूर्नामेंट की केज फाइटिंग में एक पुरुष प्रतिद्वंदी को हराया | ऐसा करके वह दुनिया की एकमात्र महिला बन गई जिसने किसी पुरुष प्रतिद्वंदी को हराया है |
डॉ. सीमा राव के अनुसार उन्होंने अपनी शारीरिक ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए अपनी इच्छा से अपना बायोलॉजिकल बच्चा न करने का निर्णय लिया था | और उन्हें इस बात का कोई पछतावा नहीं है |
डॉ. सीमा राव का मानना है कि आर्मी में महिलाओं को ज़्यादा से ज्यादा आना चाहिए | अगर आप में कुछ करने का हौसला है तो आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है |
Jagdisha डॉ सीमा राव आप बहादूरी की साक्षात प्रतिमा हो | जिस प्रकार आपने डर को अपनी हिम्मत में बदला वह हर महिला के लिए प्रेरणा है | आपके साहस और जज्बे को सलाम |
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