अगर आपको थायरॉड की समस्या तो उसे हल्के में बिल्कुल भी न ले | आपकी यह लापरवाही आपके लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है | समय रहते इस बीमारी का इलाज कराना आवश्यक है, ताकि यह इनफर्टिलिटी यानी बांझपन का रूप न ले सके |
थायरॉइड को प्रायः मोटे होने या पतले होने से जोड़ा जाता है, लेकिन यह इनफर्टिलिटी का भी कारण हो सकता है | महिलाओं में थायरॉइड होने की प्रवृत्ति पुरूषों के मुकाबले चार गुणा अधिक होती है |
इंडियन थायरॉइड सोसायटी के अनुसार भारत में लगभग 4.2 करोड़ लोग थायरॉइड से ग्रसित है |
अनियमित पीरियड, बालों का झड़ना, अत्यधिक थकान होना, तनाव, बार-बार भूख लगना और बहुत पसीना आना जैसे आम से लक्षण थायरॉइड की ओर संकेत भी हो सकते हैं |
थायरॉइड ग्रंथि एक अत्यधिक महत्वपूर्ण हार्मोन नियामक (Hormone Regulator) है |
शरीर के अन्य अंगों की तरह, थायरॉइड कार्यों को नियंत्रित और नियामक करना भी बहुत जरूरी है | थायरॉइड एक तितली के आकार (butterfly-shaped organ) की ग्रंथि है जो गर्दन में श्वासनली (Windpipe) के सामने होती है | थायरॉइड का कार्य हार्मोन को स्रावित करना है जो शारिरीक गतिविधियों में बदलाव और संचालन करता है | थायरोक्सिन (T4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) थायरॉइड हार्मोन होते हैं |
महिलाओं में किसी भी प्रकार के पीरियड संबंधित परिवर्तन या अनियमितताओं को मुख्य रूप से पीसीओएस या बांझपन का चेतावनी संकेत माना जाता है | हालांकि, ऐसा हो ये हर बार जरूरी नहीं है | थायरॉइड स्तर अनियंत्रित होने पर भी पीरियड की अनियमितता आती है, क्योंकि थायरॉइड सीधे आपके प्रजनन तंत्र को नियंत्रित करता है |
उचित उपचार की मदद से थायरॉइड ग्रंथि ठीक तरह से काम कर सकती है | जीवनशैली में कुछ बदलाव लाकर जैसे कि संतुलित आहार और पर्याप्त मात्रा में आयोडीन का सेवन एवं तनाव को दूर करने के लिए योग तथा ध्यान की मदद से थायरॉइड को नियंत्रित किया जा सकता है |
थायरॉइड ग्रंथि से संबंधित समस्याओं को नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर या एंडोक्राइनोलॉजिस्ट से नियमित परामर्श और परीक्षण करवाते रहना चाहिए |
क्यों है थायरॉयड का नियंत्रित होना आवश्यक
थायरॉयड हमारे गले में उपस्थित ग्रंथि है जो थायरॉयड हार्मोन का उत्पादन करती है | जिससे हमारे शरीर की कई गतिविधियाँ नियंत्रित होती हैं, जैसे आप कितनी तेजी से कैलोरी बर्न करते हैं या आपके दिल की धड़कन कितनी तेज है | थायरॉयड रोग के कारण हमारे शरीर में यह हार्मोन या तो बहुत अधिक या बहुत कम बनते हैं |
थायरॉयड ग्रंथि को हमारे जटिल, अंत: स्त्रावी प्रणाली (Endocrine System) की मास्टर ग्रंथि के रूप में भी जाना जाता है | यह ग्रंथि मेटाबोलिज्म और ऊर्जा को नियंत्रित करती है | एंडोक्राइन सिस्टम हमारे शरीर की कई गतिविधियों के समन्वय के लिए जिम्मेदार होता है | यह ग्रंथि हमारे शरीर के चयापचय को नियंत्रित करने वाले हार्मोन बनाती है |
यह पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा निकाले गए थायरॉयड उत्तेजक हार्मोन (टीएसएच) द्वारा नियंत्रित होता है | थायरॉइड शरीर विकास को नियंत्रित करता है, हार्मोन के निकलने, और साथ ही एक मानव शरीर की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |
जब थायरॉयड बहुत अधिक हार्मोन या पर्याप्त हार्मोन नही उत्पन्न कर पाता है, तो कई अलग-अलग विकार उत्पन्न हो सकते हैं |
यह भी करें- क्या है प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना (PMMVY) ? जानें इस योजना के लाभ और आवेदन कैसे करें
थायरॉयड के प्रकार
- हाइपरथायराइडिज्म: इसमें थायरॉइड ग्रंथि के अधिक सक्रिय होने के कारण थायरॉइड हार्मोन का अत्यधिक स्राव होने लगता है |
- हाइपोथायराइडिज्म: इसमें थायराइड ग्रंथि सामान्य से कम मात्रा में थायराइड हार्मोन का स्राव करती है |
- गोइटर थायरॉइड- इसे आम भाषा में घेंघा रोग कहा जाता है, जो मुख्य रूप से शरीर में आयोडीन की कमी के कारण होता है |
- थायरॉइड कैंसर: एंडोक्राइन ट्यूमर का सबसे खतरनाक रूप थायरॉइड कैंसर ही है | यह थायरॉइड का सबसे गंभीर और अंतिम प्रकार है, जिसका इलाज केवल सर्जरी के माध्यम से ही संभव है | थायरॉइड कैंसर उस स्थिति में होता है, जब थायरॉइड ग्रंथि में गांठ बन जाती है |
थायरॉयड के लक्षण
हाइपरथायराइडिज्म :
- वजन घटना
- घबराहट, चिड़चिड़ाहट
- थकान
- अनिद्रा
- सांस फूलना, कपकपाहट
- मांसपेशियों में कमजोरी आना
- हृदय गति बढ़ जाना
- गर्मी ज्यादा लगना
- आंखों में लालपन और सूखापन होना
- बाल झड़ना और बालों का पतला होना
हाइपोथायराइडिज्म :
- वजन बढ़ना
- थकान
- नाखूनों और बालों का कमजोर होना
- त्वचा का रूखा और पतला होना
- सर्दी ज्यादा लगना
- हृदय गति धीमी हो जाना
- कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम हो जाना
- याददाश्त कमजोर होना
- कब्ज
- अवसाद (डिप्रेशन)
- मांसपेशियों में अकड़न
- मानसिक तनाव
थायराइड कैंसर :
- गले में गांठ का बढ़ना
- गर्दन में सूजन
- आवाज़ में बदलाव आना
- खाना निगलने में दिक्कत होना
- सांस लेने में परेशानी होना
- बिना किसी संक्रमण या एलर्जी के लगातार खांसी आना
यह भी पढ़ें- महिलाओं में गर्भाशय फाइब्रॉएड / रसौली की बढ़ती समस्याएं, कारण और लक्षण?
थायरॉइड महिलाओं को किस प्रकार प्रभावित करता है ?
पुरुषों की तुलना में महिलाओं को थायरॉयड रोग होने की अधिक संभावना होती है | आठ में से एक महिला थायरॉइड की समस्या से ग्रसित है |
- पीरियड संबंधित समस्याएं : थायरॉयड रोग आपके मेंस्ट्रुअल चक्र को नियंत्रित करता है | बहुत अधिक या बहुत कम थायरॉइड हार्मोन आपके पीरियड को बहुत कम, बहुत ज्यादा या अनियमित बना सकता है | इसके कारण आपके पीरियड कई महीनों या उससे अधिक समय तक के लिए रूक भी सकते है, जिसे एमेनोरिया कहा जाता है | यदि आपका इम्यून सिस्टम थायरॉयड रोग का कारण बनता है, तो इससे आपकी ओवेरी सहित अन्य ग्रंथियां प्रभावित हो सकती हैं | इससे आपको समय से पूर्व ही मेनोपॉज़ यानी रजोनिवृत्ति (40 वर्ष की आयु से पहले) हो सकती है |
- गर्भधारण करने में समस्या होना : जब थायरॉयड रोग मेंस्ट्रुअल चक्र को प्रभावित करता है, तो यह आपके ओव्यूलेशन को भी प्रभावित करता है | जिस कारण आपको गर्भवती होने में कठिनाई हो सकती है |
- गर्भावस्था के समय आ सकती है समस्याएं : गर्भावस्था के दौरान थायरॉइड की समस्या माँ और बच्चे दोनों को स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं |
थायरॉइड के कारण
- ग्रेव्स रोग : हाइपरथायराइडिज्म का सबसे सामान्य कारण ग्रेव्स डिजीज है | ये एक स्व-प्रतिरक्षित (ऑटोइम्यून) रोग है जिसमें ऑटो एंटीबॉडीज अधिक मात्रा में थायरॉइड हार्मोन का उत्पादन एवं स्राव करने के लिए ग्रंथि को उत्तेजित करने लगती हैं |
- गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल बदलाव के कारण हाइपरथायराइडिज्म हो सकता है | पिट्यूटरी ग्रंथि में कैंसर रहित कोशिकाओं के विकसित होने पर थायरॉइड हार्मोन का उत्पादन बढ़ सकता है |
- हाशिमोटो रोग : थायरॉइड ग्रंथि में ऑटोइम्यून सूजन के कारण थायरॉइड ग्रंथि कम सक्रिय हो जाती है |
- आहार में आयोडीन की मात्रा का कम या अधिक होना
- सोया उत्पादों का अधिक सेवन करना
- अत्याधिक तनाव लेना
- थायरॉइड ग्रंथि में गांठ
- थायरॉइड ग्रंथि में सूजन
- उच्च रक्तचाप का होना
- मधुमेह (डायबिटीज) का होना
- धूम्रपान
- शराब और नशीले पदार्थों का सेवन
- अनुवांशिक
यह भी पढ़ें- व्हाइट डिस्चार्च क्या है? जानें क्या महिलाओं में होने वाले व्हाइट डिस्चार्ज कोई संकेत करते हैं?
थायरॉइड से बचाव के घरेलू उपचार
आप अपने खान-पान और जीवन शैली में कुछ परिवर्तन करके थायरॉइड रोगो से अपना बचाव कर सकते है |
- ज्यादा से ज्यादा फलों एवं सब्जियों को भोजन में शामिल करें | विशेषकर हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें, इनमें उचित मात्रा में आयरन होता है जो थायरॉइड के रोगियों के लिए लाभदायक है |
- प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्नीशियम और आयोडीन युक्त आहार अपने भोजन में शामिल करें, क्योंकि यह आपके थायरॉयड को सही से काम करने में मदद करते हैं |
- विटामिन बी, विटामिन ए और विटामिन सी से भरपूर आहार लें |
- पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें |
- मेवे जैसे बादाम, काजू और सूरजमुखी के बीजों का सेवन करें |
- जंक फूड एवं प्रिजरवेटिव युक्त आहार का सेवन न करें |
- नियमित रूप से प्राणायाम एवं ध्यान करें |
- कम से कम में 30 मिनट रोज एक्सरसाइज और योगासन करें |
- चाय और कॉफी का सेवन कम करें |
- तेज मसालेदार खाने का सेवन कम करें |
- मैदा वाली खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें |
- धूम्रपान, एल्कोहल आदि नशीले पदार्थों से बचें |
- साबुत अनाज का सेवन करें इसमें फाइबर, प्रोटीन और विटामिन्स भरपूर मात्रा में होते हैं |
यह लेख पाठकों की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए है | जगदिशा लेख में दी गई जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा और जिम्मेदारी नही लेता है | उपरोक्त लेख में संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें |
Jagdisha के साथ अपनी राय अवश्य सांझा करें |
0 टिप्पणियाँ