वर्ष 2014 में लॉन्च हुई हैलो इंग्लिश एप्लीकेशन के वर्तमान में 50 मीलियन यूजर और 10 मीलियन डाउनलोड है | इसे 8 महीनों में ही गूगल रेटिंग द्वारा बेस्ट परफॉर्मिंग एजुकेशनल एप्लीकेशन बताया गया | साथ ही इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से 2014 की मोस्ट इनोवेटिव एप्लीकेशन भी घोषित किया गया |
हैलो इंग्लिश के पास पहले से ही 1.2 करोड़ का ग्राहक आधार है और इसे 1.6 लाख से अधिक समीक्षाओं के साथ 4.5/5 की औसत रेटिंग के साथ अत्यधिक सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है |
हैलो इंग्लिश में 22 स्थानीय भाषाओं से अंग्रेजी सीखने वाले 40 मिलियन से अधिक शिक्षार्थी हैं |
अब भारत टेक्नोलॉजी का देश बनता जा रहा है, लेकिन अभी भी हम बाकी देशों के मुकाबले बहुत पीछे हैं | विकास और टेक्नोलॉजी कई मायनों से एक दूसरे के साथ जुड़े हुए है |
कोरोना काल ने तो टेक्नोलॉजी का प्रयोग बखूबी सिखा दिया | ऑनलाइन शिक्षा का अधिक चलन भी इसी दौरान हुआ | अब तो ऑनलाइन ट्यूटोरियल प्लेटफार्म का दुनिया भर में बोल-बाला है |
लेकिन कोरोना काल से पहले ही प्रांशु पाटनी एक ऐसी समस्या का समाधान ढूंढ़ रही हैं जिसका उन्हें स्वयं सामना करना पड़ा | वह समस्या है प्रभावी संचार |
यह भी पढ़ें- भारत की दूसरी सबसे अमीर स्व-निर्मित महिला अरबपति
कैसे पहचानी संचार समस्या?
2012 की शुरुआत में, उनके पति (उस समय मंगेतर) निशांत पाटनी को एक विनिमय कार्यक्रम के लिए शंघाई, चीन में स्थानांतरित होना पड़ा | वह जल्दी ही मंदारिन सीखने की कोशिश कर रहे थे |
निशांत पाटनी आईआईटी मुंबई और अमेरिका के केलॉग स्कूल ऑफ मैनेजमेंट में पूर्व छात्र थे | वह शाकाहारी थे और चिंता में थे कि क्या वह स्थानीय लोगों को अपनी आहार संबंधी जरूरतों के बारे में बता पाएंगे |
उन्होंने ट्यूटोरियल पुस्तकों, ऑनलाइन पाठ्यक्रमों और भाषा सीखने की कक्षाओं में भाग लेने के माध्यम से मंदारिन सीखने की कोशिश की | लेकिन उनके व्यस्त कार्यक्रम में कुछ भी सही नहीं बैठ रहा था |
यह भी पढ़ें- रिसेप्शनिस्ट से लेकर कॉरपोरेट वर्ल्ड में बेशुमार ख्याति प्राप्त करने तक की सफल सीईओ की कहानी
प्रभावी संचार का होना क्यों आवश्यक है?
प्रभावी संचार किसी भी व्यवसाय के लिए जीवन रक्त के सामान होता है क्योंकि एक संचार प्रक्रिया ही होती है जिससे एक व्यवसायी अपना बिज़नेस आसानी से कर सकता है, इसमें जब एक सन्देश सम्प्रेषक (Sender) से प्राप्तकर्त्ता (Receiver) की ओर प्रवाहित होता है तो इसके प्रवाह में सम्प्रेषक के व्यवहार का अंश भी प्रवाहित होता है | जिससे आपका संचार कितना प्रभावशाली है इस बात की पुष्टि होती है |
सबसे महत्वपूर्ण अगर हम अपनी बात ही किसी समझाने में असमर्थ है, तो बिजनेस तो दूर दोस्तों और परिवार के सदस्यों को ही अपनी बात नहीं समझा सकते |
संचार को उस समय प्रभावी माना जाता है जब वह दूसरे व्यक्ति पर अपना अच्छा प्रभाव छोड़ पाता है तथा वे सभी उद्देश्य प्राप्त कर लेता है जिनके लिए संचार की प्रक्रिया की जाती है |
मौखिक या लिखित रूप से प्रभावी संचार करना एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कौशल है | एक संचार को प्रभावी होने के लिए आवश्यक है कि वह स्पष्ट हो, संक्षेप में हो तथा अर्थ पूर्ण हो अर्थात् उसमें किसी भी प्रकार की अशुद्धता न पायी जाये व उसकी प्रतिक्रिया अथवा प्रतिपुष्टि (Feedback) पूर्ण व अनुकूल रहे |
यह भी पढ़ें- लेडीज अंडरगार्मेंट्स को भारत का पहला ई कॉमर्स ब्रांड बना देने वाली महिला एंटरप्रेन्योर
कल्चर एलाई की शुरूआत
नरसी मोनजी इंस्टीट्यूट से एमबीए पासआउट प्रांशु ने महसूस किया कि अधिकांश लोग एक अंतरराष्ट्रीय भाषा को सीखने के इच्छुक होते हैं, लेकिन ऐसे बहुत कम साधन हैं जो कामकाजी पेशेवरों को समय की एक लचीली अवधि में लगातार अपने कौशल को सुधारने में मदद कर सकते हैं |
वर्ष 2012 की शुरुआत में निशांत पाटनी चीन गये, और उसी साल के अंत में भारत वापस लौटे | स्वदेश लौटकर निशांत पाटनी और प्रांशु पाटनी ने मिलकर इंटैप लैब्स लॉन्च की |
कल्चर एलाई स्टार्टअप लोकप्रिय भाषा-शिक्षण मंच है | यहां, लोग विभिन्न प्रशिक्षण मॉडलों के माध्यम से मंदारिन, अंग्रेजी, हिंदी और स्पेनिश सहित कई भाषाएं सीख सकते हैं | यहां स्काइप के माध्यम से ट्यूटर्स के साथ सत्र भी ले सकते हैं और अपनी समस्या का हल उनसे जान सकते हैं |
यह भी पढ़ें- शार्क टैंक इंडिया सीजन-1 जज नमिता थापर का जीवन परिचय, लाइफस्टाइल व बिजनेस
सबसे लोकप्रिय शैक्षिक ऐप
दुनिया भर से एक अरब लोग हर साल एक विदेशी भाषा सीखने की कोशिश करते हैं, जिसमें लगभग 60 प्रतिशत अंग्रेजी सीखते हैं |
2014 के वर्ष में, कल्चर एलाई ने 500 स्टार्ट-अप के वैश्विक बैच में प्रवेश किया | प्रांशु पाटनी के लिए यह मौका था कि वह मॉडल को और अधिक आकर्षित करें, इसलिए उनकी विशेषज्ञता की मदद से उन्होंने मॉडल को एक वेबसाइट से एक मोबाइल-लर्निंग ऐप में बदल दिया, जिसे कल्चर एलाई द्वारा ‘हैलो इंग्लिश’ कहा जाता है |
अक्टूबर 2014 में, कल्चर एलाई ने हैलो इंग्लिश मोबाइल लर्निंग एप्लिकेशन, अंग्रेजी-ऐप लॉन्च किया, जो ग्राहकों को इंटरैक्टिव मॉड्यूल के माध्यम से भाषा सीखने में मदद करता है | लॉन्च होने के बाद से, ऐप गुगल प्ले के भारतीय एंड्रॉइड स्टोर पर सबसे लोकप्रिय शैक्षिक ऐप में से एक बन गया है | जिसने 8 महीने के अंदर ही 220 से अधिक देशों में 4,50,000 से अधिक डाउनलोड किये गये है |
अन्य भाषाओं को सीखने के पारंपरिक तरीके जैसे फ्लैशकार्ड और सीडी एक शिक्षार्थी को प्रेरित और व्यस्त रखने में असमर्थ हैं |
इस प्रकार कल्चर एलाई भाषा पाठ्यक्रमों को अपने कई प्रतिस्पर्धियों से अलग करता है, इस विषय को छात्र की दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बनाने पर उनका ध्यान केंद्रित है | उदाहरण के लिए, सॉफ़्टवेयर उपयोगकर्ता के फ़ेसबुक न्यूज़फ़ीड में विदेशी शब्दों को सम्मिलित करता है ताकि वह भाषा के साथ अधिक सहज हो जाए |
यह सरल शब्दावली निर्माण उपकरण की भांति उपयोगकर्ताओं को खेल-आधारित शिक्षण टूल की सदस्यता लेने के लिए प्रेरित करता है | ऐप को मुफ्त में डाउनलोड किया जा सकता है, लेकिन उपयोगकर्ताओं को पिछले गेम में जीते गए टोकन का उपयोग या फिर भुगतान करना होगा यदि वे उच्च कठिनाई स्तरों तक पहुंचना चाहते हैं |
यह भी पढ़ें- भारतीय उद्यमी और वीएलसीसी हेल्थ केयर लिमिटेड की संस्थापक वंदना लूथरा का जीवन परिचय
हैलो इंग्लिश से पहले
हैलो इंग्लिश से पहले, प्रांशु पाटनी ने पिटनी बोवेज के साथ रणनीति, कार्यक्रम प्रबंधन और वित्तीय नियोजन में नेतृत्व के पदों पर काम किया | उन्होंने सन माइक्रोसिस्टम्स के साथ भी काम किया है |
वह इंजीनियरिंग और एमबीए में डिग्री के साथ एनएमआईएमएस, मुंबई से डबल गोल्ड मेडलिस्ट हैं |
यह भी पढ़ें- भारत की अग्रणी उद्यम पूंजीपति वाणी कोला की सफलता की कहानी
उपलब्धि
- हैलो इंग्लिश ऐप को 2017 में IAMAI बेस्ट ऐप अवार्ड और गुगल के एडिटर्स च्वाइस अवार्ड 2017 द्वारा सम्मानित किया गया |
- ऐप को गुगल द्वारा ‘बेस्ट ऑफ़ 2016 ऐप्स’ के रूप में भी चुना गया था, जो इसकी लोकप्रियता और उपयोगकर्ताओं को अपनी सामग्री के माध्यम से जोड़े रखने की क्षमता के आधार पर चुना गया था |
- प्रांशु पाटनी ने 2017 में फेसबुक का शी लीड टेक अवार्ड जीता |
- 2015 में वह फोर्ब्स इंडिया 30 अंडर 30 की सूची का हिस्सा रहीं |
- उन्होंने 2018 में सीएनबीसी का यंग बिजनेस वुमन अवार्ड जीता |
- वह 2018 के संयुक्त राष्ट्र और नीति आयोग का डब्ल्यूटीआई पुरस्कार से भी सम्मानित हुईं |
Jagdisha हम आपकी सोच और कार्यनीति की सराहना करते है | आप भविष्य में नए मील के पत्थर स्थापित करें |
0 टिप्पणियाँ