padam shri vandana luthra

भारतीय प्रसिद्ध उद्यमियों में एक बड़ा नाम हैं वंदना लूथरा | वह वीएलसीसी (VLCC) हेल्थ केयर लिमिटेड की संस्थापक हैं | जो एक सौंदर्य और कल्याण सेवा उद्योग है जिसका प्रतिनिधित्व एशिया, जीसीसी और अफ्रीका में किया जाता है |

वंदना लूथरा ब्यूटी एंड वेलनेस सेक्टर स्किल एंड काउंसिल (B & WSSC) की अध्यक्ष भी हैं | यह एक पहल है, जो प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षण प्रदान कराती हैं |

उन्हें 2014 में ब्यूटी एंड वेलनेस सेक्टर स्किल काउंसिल की अध्यक्ष नियुक्त किया गया था | यह भारत सरकार द्वारा समर्थित है और सौंदर्य उद्योग के लिए कौशल प्रशिक्षण देती हैं |

वंदना लूथरा को फोर्ब्स की एशिया सूची 2016 में 50 शक्तिशाली महिला उद्यमियों में 26वां स्थान दिया गया था | 

वीएलसीसी देश में सर्वश्रेष्ठ सौंदर्य और कल्याण सेवा उद्योगों में से एक है | इसका संचालन दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया, जीसीसी क्षेत्र और पूर्वी अफ्रीका के 18 देशों के 153 शहरों में 350 स्थानों पर चल रहा है | 

उनके इस उद्योग में चिकित्सा पेशेवरों, पोषण परामर्शदाताओं, फिजियोथेरेपिस्ट, कॉस्मेटोलॉजिस्ट और सौंदर्य पेशेवरों सहित पूरी दुनिया के 39 देशों के 6000 कर्मचारी काम करते हैं |

भारत, श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, मलेशिया, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), ओमान, बहरीन, कतर, कुवैत, सऊदी अरब और कीनिया में कम्पनियाँ अपना काम स्वयं व्यवस्थित करती हैं |

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इसके अतिरिक्त भारत और सिंगापुर स्थित इसके प्लांट में वीएलसीसी की बड़ी रेंज़ के स्किन केयर, हेयर केयर और बाॅडी-केयर प्रोडक्ट का उत्पादन भी होता है |

वंदना लूथरा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उनकी उद्यमी यात्रा ने उन्हें कई सबक सिखाए हैं जिससे जीवन में कई परिवर्तन आए | उन्होंने जो प्रमुख चीजें सीखीं, उनमें से एक है संगठन के लिए मजबूत आधार मूल्य और हर समय इसके साथ खड़े रहना | एक ब्रांड बनाने में वर्षों की मेहनत, समर्पण और प्रतिबद्धता लगती है | चलते रहना और पीछे मुड़कर नहीं देखना बहुत ज़रूरी है |

आइये जानते है वदना लूथरा के जीवन बारे में…

प्रारंभिक जीवन

वंदना लूथरा का जन्म 12 जुलाई 1959 में नई दिल्ली में हुआ था | उनके पिता एक मैकेनिकल इंजीनियर थे और उनकी माँ एक आयुर्वेदिक डॉक्टर थीं |

उनकी माँ अमर ज्योति नामक एक सामाजिक संस्था चला रही थीं | जिस कारण उन्हें लोगों के जीवन को प्रभावित करने के लिए प्रेरणा मिली |

उन्होंने नई दिल्ली से पॉलिटेक्निक फॉर वीमेन से स्नातक की पढ़ाई पूरी की | जिसके बाद वह सौंदर्य, भोजन, पोषण और स्किनकेयर में विशेषज्ञता प्राप्त करने के लिए यूरोप चली गईं |

फिर उन्होंने लंदन, म्युनिख और पेरिस में ब्यूटी केयर, फिटनेस, फूड एण्ड न्यूट्रीशन और स्किन केयर में कई स्पेशलाइज्ड कोर्स और माॅड्यूल किए | 

उन्होंने 1988 में मुकेश लूथरा से शादी की | वह वीएलसीसी हेल्थकेयर लिमिटेड के सहसंस्थापक और अध्यक्ष हैं | उनकी दो बेटियां हैं |

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पार की सभी चुनौतियां

वंदना लूथरा जिस दौरान अपना बिजनेस खड़ा कर रही थीं उन दिनों बस नाम मात्र के लिए ही महिलाएं उद्यमी के तौर पर दिखाई देती थीं |

खास तौर पर गैर-व्यावसायिक परिवारों की महिलाएं तो बिजनेस क्षेत्र में आ ही नही रही थीं |

उनके पास केवल दो हजार रुपए थे और सपनों की उड़ान बहुत ऊँची थी | सपनों की डोर थामे वह चल पड़ीं उन्हें पूरा करने के लिए |

उन्होंने बैंक से लोन लिया और एक अनजान राह को चुना जिस क्षेत्र का उन्हें जरा भी अनुभव नहीं था | 

उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती रहा अपने काम को सफलता तक ले जाने के लिए लोगों का भरोसा जीतना और अपनी पहचान बनाना | क्योंकि लोग उस समय ब्यूटी पार्लर तो जानते थे लेकिन ट्रांस्फाॅर्मेशन सेंटर यह तो नाम ही अभी उनके लिए बिल्कुल नया था |

एक महिला होने के नाते उनकी क्षमताओं को भी मार्केट में सबल होने के लिए कमतर आंका जा रहा था | लेकिन उन्होंने न ही हिम्मत हारी और न ही अपना आत्मविश्वास घटने दिया |

उनकी मेहनत रंग लाई और दिल्ली सफदरजंग इलाके में खोला गया उनका पहला सैलून लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गया | इस बीच उनके लिए अपने बिजनेस को मजबूत बनाने के लिए पैसा जुटाना भी एक बड़ी चुनौती थी |

वह चाहती थीं कि उनका ब्रांड ग्लैमर के साथ- साथ क्लिनिकली भी हो | उनके लिए डॉक्टरों को उनके साथ स्वास्थ्य पर काम करने के लिए राजी करना पहली बार में निराशाजनक था | 

जब पोषण विशेषज्ञ और कॉस्मेटोलॉजिस्ट को समझाने की बात आई तो उन्हें प्रतिक्रियों का सामना करना पड़ा | लेकिन हौसले और लगन दृढ़ थी और पूरे जतन के बाद, कुछ सहमत हुए | 

उन्होंने अंततः कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों को अपने साथ जोड़ लिया |  

आज उनके सपने और दूरदृष्टि ने दुनिया भर के लोगों को प्रभावित किया है |

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वीएलसीसी की शुरूआत

साल 1989 में जब वंदना लूथरा ने दिल्ली में वीएलसीसी की शुरूआत की तब यह भारत का पहला ‘ट्रांस्फाॅर्मेशन सेंटर’ था | 

उन दिनों देश में वेलनेस मार्केट पहचान ही बना रहा था और फिटनेस व ब्यूटी मिलाकर संपूर्ण वेलनेस एक बिल्कुल ही भिन्न क्षेत्र बना |

टीवी पर उन दिनों एक सीरियल आता था-जस्सी जैसी कोई नहीं | उसमें हीरोइन जस्सी अपने रूप और वेशभूषा के कारण बहुत प्रसिद्ध हुई थी | बाद में उसका मेकओवर किया जाता है और वह बहुत साधारण लड़की से ग्लैमरस बन जाती है | 

फिर हर जाते हफ्ते जस्सी ओर स्मार्ट होती जाती है और फाइनल तक उसे एक बहुत ही खूबसूरत मॉडर्न लड़की के रूप में देखा जाता है |

वंदना लूथरा ने एक इंटरव्यू में कहा, “हमने वह मेकओवर पहली बार टीवी पर किया था | इसके बाद जस्सी वाला शो इतना पॉपुलर हुआ कि महिलाएं अपना लुक बदलने के लिए घराें से बाहर निकलने लगी | यह एक टर्निंग पॉइंट था, यहां से हमने जाना कि लड़कियां खुद को बदलने के लिए तैयार हैं, हमें उनकी थोड़ी सी मदद करनी है | पहले वे अपने सामान्य लुक को लेकर दुखी रखती थीं | ट्रांसफॉर्मेशन उनके लिए एक कारगर चीज साबित हुई |”

वे अपने पति को भी काफी श्रेय देती हैं जिन्होंने उनका हमेशा सहयोग किया |

उन्होंने अपने पहले आउटलेट की स्थापना के एक महीने के अंदर, आसपास रहने वाले कई ग्राहकों और मशहूर हस्तियों को भी आकर्षित किया |

एक रिपोर्ट के अनुसार, उसके शीर्ष ग्राहकों में से 40% अंतरराष्ट्रीय केंद्रों से हैं |

एक रिपोर्ट के अनुसार, वीएलसीसी का अनुमानित वार्षिक रेवेन्यू $91.1 मिलियन है |

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महिला सशक्तिकरण की चुनी राह

वीएलसीसी कंपनी अपने स्तर पर महिला सशक्तिकरण के लिए योगदान भी देती है | कंपनी का ‘एंटरप्रेन्याॅरशिप फाॅर वुमन प्रोग्राम’ महिलाओं में उद्यम व प्रतिभा को बढ़ावा देता है और उन्हें पुरस्कृत भी करता है | 

आज देश में कंपनी के 10 में से सात विभागों की प्रमुख महिलाएं ही हैं | 13 देशों में 300 से अधिक सभी रिटेल आउटलेट की लीड मैनेजर खासकर महिलाएं ही हैं | 

वीएलसीसी का प्रत्येक वेलनेस सर्विस सेंटर और वोकेशनल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट लाभ कमाने वाला, अपने-आप में एक स्वतंत्र केंद्र है जो एक उद्यमी, सेंटर मैनेजर की देखरेख में काम करता है | 

उनसे जुड़ी महिलाओं के लिए आर्थिक आत्मनिर्भरता और खुद पर भरोसे का रास्ता स्वतः ही खुल जाता है |

महिला सशक्तिकरण के लिए सबसे जरूरी है उनकी आर्थिक आत्मनिर्भरता | आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर महिला को स्वयं की सक्षमता पर आत्मविश्वास जटिल हो जाता है |

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पद्म श्री से भी हुईं सम्मानित

वंदना लूथरा औद्योगिक क्षेत्र में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए ‘पद्म श्री’ से भी सम्मानित की जा चुकी हैं |

सही राह, लगन और इच्छाशक्ति से लक्ष्य की प्राप्ति निश्चित ही संभव हो जाती है |  

वंदना लूथरा महिलाओं में छुपी असीम क्षमताओं का उदाहरण हैं | 

सामाजिक कल्याण कार्य

वंदना लूथरा ने अमर ज्योति चैरिटेबल ट्रस्ट ने दिव्यांग और बिना विकलांग बच्चों को नर्सरी से आठवीं कक्षा तक समान संख्या में शिक्षित करने की अवधारणा का बीड़ा उठाया है | उस चैरिटेबल ट्रस्ट के दो स्कूलों में 1000 से अधिक बच्चे शिक्षा प्राप्त करते हैं |

वह वर्तमान में एक गैर सरकारी संगठन खुशी की कुलपति हैं | एनजीओ विभिन्न प्रकार की परियोजनाओं पर काम करता है, जिसमें व्यावसायिक प्रशिक्षण सुविधाएं, 3,000 बच्चों के लिए एक शिक्षा सुविधा और एक टेलीमेडिसिन केंद्र शामिल है | 

वह मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान की एक सक्रिय सदस्य भी हैं जिसके माध्यम से वह योग, मानसिक स्वास्थ्य और आत्म-विकास को बढ़ावा देती हैं |

पुरस्कार और सम्मान   

  • वंदना लूथरा को 2013 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया |
  • 2010 में वह द एंटरप्राइज एशिया वुमन एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर से हुईं सम्मानित | 
  • 2012 में, उन्हें द एशियन बिजनेस लीडर्स फोरम ट्रेलब्लेज़र अवार्ड मिला |
  • एपीएसी क्षेत्र में 50 शक्तिशाली व्यवसायी महिलाओं की प्रतिष्ठित वार्षिक फोर्ब्स एशिया 2016 की सूची में उन्हें 26वां स्थान दिया गया था |
  • फॉर्च्यून पत्रिका की ‘भारत में व्यापार में 50 सबसे शक्तिशाली महिलाओं’ की वार्षिक सूची में वह 2011 से 2015 तक पांच वर्षों के लिए सूचीबद्ध रही |

प्रकाशन और पुस्तक

  • वंदना लूथरा ने 2011 में वेलनेस और फिटनेस पर एक कम्पलीट फिटनेस प्रोग्राम प्रकाशित किया |
  • उन्होंने 2013 में ”ए गुड लाइफ – द वीएलसीसी वे” किताब लिखी थी |

कैसी लगी आपको वंदना लूथरा की कहानी? हमें कमेंट बॉक्स में अवश्य बताएं |

हर महिला को रूढ़ियों की बेड़ियों को तो तोड़कर आगे बढ़ना ही होगा क्योंकि अधीनता और डर के सायों में रोशनी की हर किरण अनछुई सी ही लगती है | इसलिए संघर्ष और विरोध तो अवश्यम्भावी है |

Jagdisha हम वंदना लूथरा के निरंतर प्रयत्नों और इच्छाशक्ति को सलाम करते है | आप देश-विदेश की महिला के लिए महिला सशक्तिकरण का उच्चतम उदहारण और प्रेरणा हो | सत्य ही है कि सफलता की यात्रा कठिन हो सकती है, लेकिन अगर निर्णय दृढ़ हो तो कुछ भी संभव है |

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