यूनिकॉर्न क्लब में शामिल होने वाली पहली भारतीय महिला

यूनिकॉर्न क्लब में शामिल होने वाली पहली भारतीय महिला

सोचने और करने में जमीन और असमान जितना अंतर होता है | सफलता की ऊँचाई पर जा बैठना कोई कल्पनाओं का खेल नहीं है | यह तो एक संघर्ष से भरा आडा-टेढ़ा रास्ता है जिसे पार कर जाने वालों ने ही अपनी मंजिल पर पहुँच मुकाम हासिल किया है |

परिस्थितियाँ संभवतः विकट हो परन्तु इरादे दृढ़ होना अवश्मभावी है |

एक महिला उद्यमी जिससे जिन्होंने अपने इरादों के दम पर 10 लोगों को साथ ले एक इ-कॉमर्स वेबसाइट की नीव रखी और आज 1000 से अधिक कर्मचारी उनकी इस कंपनी के साथ जुड़े हुए हैं |

शक्तिशाली महिला उद्यमियों में एक जाना-माना नाम है, राधिका अग्रवाल | आज की सफल ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट शॉपक्लूज (Shopclues) की शुरूआत राधिका अग्रवाल ने 2011 में की थी | वह Shopclues की को-फाउंडर और चीफ मार्केटिंग ऑफिसर हैं |

हर महीने वह लगभग 80 करोड़ रुपये का कारोबार करती हैं |

राधिका अग्रवाल यूनिकॉर्न क्लब में प्रवेश करने वाली पहली भारतीय महिला हैं | उनकी सफलता की कहानी स्टार्टअप उद्यमियों के लिए प्रेरणादायक है |

राधिका अग्रवाल अपने बिज़नस को लेकर यह कहती हैं कि इस क्षेत्र में महिला प्रतिनिधि का होना बहुत महत्वपूर्ण है | समय के साथ-साथ देश में महिला उद्यमियों की संख्या भी बढ़ रही है |

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आइये जानते राधिका अग्रवाल की सफलता की कहानी…

प्रारंभिक जीवन

राधिका जी के पिता भारतीय सेना में अधिकारी थे और माँ एक आहार-विशेषज्ञ (dietician) थीं | पिता के सेना में होने के कारण उन्हें समय-समर पर स्थानांतरित होना पड़ा | 

एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरण के कारण राधिका जी ने भारत के लगभग 10 स्कूलों से पढाई की | और उन्हें हर बार नाए लोग, संस्कृती और व्यवहार को भी समझने का मौका मिला | वे मिलनसार व्यक्तित्व होने के कारण जल्द ही घुल मिल जाती और नए दोस्त बना लेतीं | उन्होंने जल्द ही बुनियादी जीवन कौशल और सामाजिक कौशल सीख लिया | 

उनके सामाजिक कौशल और नए दोस्त बनाने की प्रतिभा ने जल्दी ही उनके व्यक्तित्व को एक बेहतर स्वरूप दिया |

राधिका जी के पिता ने अपनी सेना की नौकरी पूरी होने के बाद एंटरप्रेन्योर की ओर मुख किया | पिता के बिजनेस में आने से वह भी छोटी उम्र में ही उद्यम सम्बन्धी बातों को समझने लगीं |

राधिका जी ने विज्ञापन और जनसंपर्क (Advertising and Public Relation) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया | 

साल 1999 में एमबीए करने के लिए अमेरिका चली गईं | वहाँ उन्होंने वाशिंगटन विश्वविद्यालय सेंट लुइस (Washington University St. Louis) से अपनी एमबीए की डिग्री हासिल की |  

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शॉपक्लूज से पहले करियर

राधिका जी ने साल 1997 और 1999 के बीच अपनी खुद की एक विज्ञापन एजेंसी चलाई |

वे साल 2000 में वित्तीय फार्म गोल्डमैन सैक्स (financial firm Goldman Sachs) से जुडी़ | साल 2002 में वे नॉर्डस्ट्रॉम (Nordstrom) में कार्यरत हुईं | नॉर्डस्ट्रॉम, वॉल-मार्ट (Walmart) की तरह ही अमेरिका की एक प्रतिष्ठित विभागीय दुकानों की श्रृंखला है |

नॉर्डस्ट्रॉम में उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला | वहाँ उन्होंने न केवल रणनीतिक योजनाओं को समझा बल्कि यह भी जाना कि कैसे इनवर्टिड़ पिरामिड (Inverted Pyramid) संरचना एक संगठन में वास्तव में एक अभ्यास होता है | 

नॉर्डस्ट्रॉम में ग्राहक इनवर्टिड़ पिरामिड के शीर्ष पर और सीइओ उसके तल पर है |

राधिका जी ने 2006 तक नॉर्डस्ट्रॉम में काम किया | साल 2006 में उन्होंने फ़ैशन क्लूज (Fashion Clues) नामक वेबसाइट शुरू की जिसमें उन्होंने दक्षिण एशिया और अमेरिका को टारगेट किया | इस कंपनी को उन्होंने अकेले ही संभाला |

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शॉपक्लूज करियर

नॉर्डस्ट्रॉम की सीख और फ़ैशन क्लूज के अनुभव से राधिका जी ने 2011 में अपने पति संदीप अग्रवाल और अपनी टीम में 10 सदस्यों के साथ शॉपक्लूज की स्थापना की | वर्तमान में इसका मुख्यालय गुरूग्राम (गुडगाँव) में है |

राधिका जी के अनुसार भारत में ग्राहकों की मानसिकता काफी अलग है जो की अपने आप में एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य है |

वे मानती हैं कि ग्राहकों का अनुभव महत्वपूर्ण है, खासकर जब कोई बात बिगड़ जाए |

उनकी कंपनी ग्राहक केंद्रित है और अपनी खरीदार सुरक्षा नीति के अंतर्गत वे ग्राहकों को सामान वापस करने की आसान सुविधा देती हैं, जिससे ग्राहकों का भरोसा बढ़ता है |

राधिका जी शॉपक्लूज को अपना तीसरा बच्चा मानती है और पूरी लगन और जज्बे से काम करती हैं | 

वे अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर स्टाफ की सभी महिलाओं को एकत्रित कर उन्हें मौका देती हैं कि वे उनकी परेशानियों और चुनौतियों के बारे में अपनी राय और बातो को बता सके |

बिजनेस की सफलता के साथ ही साल 2016 में राधिका जी को यूनिकॉर्न क्लब (Unicorn Club) में शामिल किया गया | यह उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि हैं और वे यूनिकॉर्न क्लब से जुड़ने वाली पहली भारतीय महिला हैं |

2016 में ही राधिका जी को आउटलुक बिजनेस अवार्ड्स के आउटलुक बिजनेस वुमन ऑफ वर्थ अवार्ड से भी सम्मानित किया गया | इसके अलावा उन्हें एंटरप्रेन्योर इंडिया अवार्ड्स, सीएमओ एशिया अवार्ड्स में भी सम्मानित किया गया |

साथ ही वे अपने व्यक्तिगत और व्यवसायिक जीवन में संतुलन बना कर चलती है |

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जब फूलों की जगह सॉफ्ट टॉय और चॉकलेट भेजी

उनकी शॉपक्लूज पर पहली व सबसे बड़ी चुनौती आई जब वेलेंटाइन डे के लिए उन्हें फूलों के 200 बुके चाहिए थे | लेकिन उनके विक्रेता ने बुके उन्हें सप्लाई करने की बजाये खुद ही सारे फूल बेच दिए |

ऐसे में फूलो की पूर्ति करे तो कैसे करे? यह मुख्य सवाल था सामने, इस समस्या के समाधान के लिए उन्होंने फूलों की जगह सॉफ्ट टॉय और चॉकलेट ग्राहकों को भेज दिए | साथ ही ग्राहकों से माफ़ी भी मांगी |  

यहाँ उन्होंने अपनी सूझबूझ और धैर्य का परिचय देते हुए बात की गंभीरता को समझ उसे ओर उलझाने के स्थान पर कम करने का प्रयास किया |

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व्यक्तिगत जीवन

राधिका जी ने संदीप अग्रवाल से शादी की, जिनसे वह अपने कॉलेज के दिनों में मिली थी | 

साल 2013 में एफबीआई द्वारा संदीप अग्रवाल को गिरफ्तार किए जाने के बाद उन्होंने अपने सीइओ पद से इस्तीफा दे दिया | 

संदीप अग्रवाल के बाद शॉपक्लूज के तीसरे सह संस्थापक संजय सेठी सीइओ के पद पर कार्यरत हैं |

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राधिका जी हमारी शुभकामनाएं है कि आप नए मील के पत्थर स्थापित करती रहें |

जीवन रूकने या ठहरने के लिए नही है | जीवन का हर दिन बीते दिन से बेहतर होना चाहिए | हर रोज कुछ सीखते रहना और उसे अपनी जीवन में उतारते जाना ही मानव जीवन को सही दिशा देने में सहयोगी साबित हो सकता है |

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