जुलाई, 2018 में असम की एक 18 वर्षीय एथलीट का नाम गूगल में सबसे ऊपर ट्रेंड कर रहा था | जानते है, किसलिए क्योंकि उन्होंने फिनलैंड के टैम्पेयर शहर में इतिहास रच दिया था |
क्या पहचान यूँ ही मिल जाती है?
वैसे क्षण भर में कुछ नही होता हर सफलता के पीछे एक बड़ा मजबूत और जुनून भरा संघर्ष होता है | सफलता का वह दिन हर कोई देख सकता है, लेकिन वहाँ पहुँचने का जटिल पथ किसी को नही दिखता |
हम बात कर रहे है भारतीय स्प्रिंटर हिमा दास की जिन्होंने आईएएएफ विश्व अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर दौड़ स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता | उन्होंने यह दौड़ 51.46 सेकेंड में पूरी की थी |
उनसे पहले भारत की कोई महिला खिलाड़ी जूनियर या सीनियर किसी भी स्तर पर विश्व चैम्पियनशिप में गोल्ड नहीं जीत सकी थी | हिमा दास को ‘धिंग एक्सप्रेस’ के नाम से भी जाना जाता है |
रोमानिया की एंड्रिया मिकलोस को सिल्वर और अमरीका की टेलर मैंसन को ब्रॉन्ज मेडल मिला था | आपको अचंभा होगा पर यही तो हिमा दास की खासियत भी है कि इस दौड़ के 35वें सेकेंड तक हिमा दास शीर्ष तीन खिलाड़ियों में भी नहीं थीं, लेकिन बाद में उन्होंने जो रफ्तार पकड़ी तो इतिहास बना लिया |
भारत को आईएएएफ की ट्रैक स्पर्धा में पहला मेडल दिलाने वाली हिमा दास ने केरल के कोझिकोड में चल रहे भारत के प्रमुख एथलेटिक्स टूर्नामेंट फेडरेशन कप (AFI Federation Cup 2022) में 6 मार्च 2022 को महिलाओं की 200 मीटर दौड़ का गोल्ड मेडल अपने नाम किया | इस स्पर्धा में ऐश्वर्या कैलाश मिश्रा ने सिल्वर मेडल जीता |
यह भी जानें- ओलंपिक के 125 साल के इतिहास में हॉकी में हैट्रिक लगाने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी
हिमा दास ने ऐश्वर्या कैलाश मिश्रा को हराकर गोल्ड मेडल जीता | दो दिन पहले ही ऐश्वर्या कैलाश मिश्रा ने 400 मीटर का गोल्ड अपने नाम किया था, लेकिन यहां वह हिमा दास से केवल 1 सेकेंड के मामूली अंतर से पीछे रह गई | हिमा दास ने 23.63 सेकेंड में रेस पूरी की, तो ऐश्वर्या कैलाश मिश्रा ने 23.64 सेकेंड लिए | प्रिया एच मोहन ने 23.85 सेकेंड के साथ तीसरे स्थान पर रहते हुए ब्रॉन्ज मेडल जीता |
हिमा दास की कहानी सिर्फ इतनी सी नही है, तो आइये जानते है उनकी कहानी
हिमा दास की अपार सफलता के पीछे उनकी कड़ी मेहनत, जुनून, लगन और मजबूत हौसले की अमित भूमिका है | वह एक साधारण किसान परिवार से आती है |
हिमा दास का ट्रैक पर दौड़ने का अंदाज कुछ खास है | वह मुख्य तौर पर 200 मीटर और 400 मीटर की दौड़ में भाग लेती हैं |
वह धीमा दौड़ते हुए शुरूआत करती है और एकाएक जब सभी उनके जीतने की उम्मीद ही छोड़ देते है तब वह अपनी बिजली की भांती तेज रफ्तार पकड़ती है और सीधा अपनी जीत दर्ज कराती हैं |
धान की खेती करता है परिवार
हिमा दास का जन्म 9 जनवरी 2000 में असम राज्य के नागांव जिले के कांधूलिमारी गाँव में हुआ था | यह गाँव असम के धिंग नगर के पास स्थित है | उनके पिता का नाम रणजीत दास तथा माता का नाम जोनाली दास है |
उनका 17 लोगों का परिवार हैं | वह 6 भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं | पूरा परिवार धान यानी चावल की खेती करता है | हिमा ने भी अब तक के जीवन का एक हिस्सा खेतों में बुआई और निराई करते बिताया है |
फुटबॉल खेलने का था शौक
हिमा दास ने अपने गाँव के ही एक विद्यालय से अपनी आरंभिक शिक्षा प्राप्त की | वह अपने विद्यालय के दिनों में फुटबॉल खेलने का शौक रखती थी | वह स्कूल में लड़कों के साथ फुटबॉल खेला करती थी | उस समय वह अपना कैरियर फुटबॉल में ही देख रही थीं |
वह अपने जिले व गाँव के आस-पास कुछ छोटे स्तर पर होने वाले फुटबॉल मैच खेलकर 100-200 रूपये जीत लिया करती थी |
फुटबॉल खेलते वक्त काफी दौड़ना होता है इसलिए उनका स्टैमिना काफी बढ़ गया था |
फिर जवाहर नवोदय विद्यालय के फिजिकल एजुकेशन शिक्षक शमशुल हक ने उन्हें दौड़ में करियर बनाने की सलाह दी | शमशुल हक़ ने उनकी पहचान नागांव स्पोर्ट्स एसोसिएशन के गौरी शंकर रॉय से कराई |
रनिंग ट्रैक की सुविधा न होने के कारण हिमा दास ने अपने करियर के शुरुआती दिनों में दौड़ने का अभ्यास मिट्टी के फुटबॉल मैदान में ही किया था |
यह भी जानें- 6 साल की उम्र से शतरंज खेलना शुरू किया आज हैं शतरंज चैंपियन तानिया सचदेव
शुरूआती संघर्ष
नागांव में अक्सर बाढ़ के हालात बन जाते हैं वह जगह बहुत अधिक विकसित नहीं है | हिमा दास जब गाँव में ही अभ्यास किया करती थी तब बाढ़ के कारण कई-कई दिनों तक अपना अभ्यास नहीं कर पाती थी | ऐसा इसलिए क्योंकि जिस खेत या मैदान में वह दौड़ की तैयारी करती थी, बाढ़ आने से वह पानी से भर जाता था | अब ऐसे में अभ्यास करना तो असंभव ही है | भला गिली मिट्टी में कैसे दौड़ा जाए?
जिला स्तरीय प्रतियोगिताओं में हिमा दास ने हिस्सा लिया और अपना सर्वश्रेष्ठ भी दिया |
हिमा दास ने गुवाहाटी में स्टेट चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और ब्रॉन्ज मेडल जीता | फिर उन्हें जूनियर नेशनल चैंपियनशिप के लिए भेजा गया | उनकी ट्रेनिंग कम थी और अनुभव न के बराबर था | फिर भी वह 100 मीटर की रेस के फाइनल तक पहुँची | पर इस बार उनके हाथ खाली ही रह गये | वह काफी निराश हो गई थीं |
यह प्रतिभा कही गुम हो गई होती अगर कोच निपोन दास ने उनमें छुपी प्रतिभा को न पहचाना होता |
जब वर्ष 2017 में हिमा राजधानी गुवाहाटी में युवा कल्याण निदेशालय की ओर से आयोजित किए गए इंटर-डिस्ट्रिक्ट कम्पटीशन में हिस्सा लेने आई थीं तब उस जिला स्तरीय प्रतियोगिता के दौरान ‘स्पोर्ट्स एंड यूथ वेलफेयर’ के निपोन दास की नजर उन पर पड़ी | जिसके बाद कोच निपोन दास ने ही उन्हें एथलिट के सभी गुणों से परांगत किया |
इस प्रतिस्पर्धा में हिमा दास ने 100 मीटर और 200 मीटर की दौड़ में भाग लिया था | उन्होंने इन दोनों दौड़ में प्रथम स्थान हासिल किया था |
निपोन दास ने एक इंटरव्यू में बताया, “वह जनवरी का महीना था | हिमा दास एक स्थानीय कैम्प में हिस्सा लेने राजधानी गुवाहाटी आई थी, वह जिस तरह से ट्रैक पर दौड़ रही थी, मुझे लगा कि इस लड़की में आगे तक जाने की क्षमता है |”
कोच निपोन दास ने हिमा के घरवालों को मनाया कि वे अपनी बेटी को ट्रेनिंग के लिए गुवाहाटी जाने की अनुमति दें | यह थोड़ा मुश्किल था, लेकिन कोच की कोशिश से घरवालों ने हां कर दी |
उनके पिता को इस बात से खुश थी कि उनकी बेटी को तीन वक्त का खाना मिल सकेगा | लेकिन यह तो अभी एक नए संघर्ष की शुरुआत मात्र थी |
हिमा दास को अब हर रोज गांव से 140 किलोमीटर दूर गुवाहाटी जाने के लिए बस पकड़नी होती थी | फिर ट्रेनिंग से घर वापस आने में रात के 11 तक बज जाते थे | यह घरवालों की चिंता का विषय बन गया |
एक बार फिर कोच निपोन दास ने साथ दिया और उन्होंने एक लोकल डॉक्टर की मदद से हिमा दास को स्पोर्ट्स कॉम्पलैक्स के ठीक बगल में रहने का स्थान दिलवाया |
यह भी जानें- वेटलिफ्टर मीराबाई चानू का जीवन परिचय
जब रचा इतिहास
2018 में 4 से 15 अप्रैल के बीच कॉमनवेल्थ गेम्स ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में होने थे | अब हिमा दास टूर्नामेंट से पहले दुविधा में थी क्योंकि उसी दौरान उनकी बोर्ड परीक्षाएं होने वाली थी |
लेकिन इस बार घरवालों ने पूरा साथ दिया और कहा कि खेलने का ऐसा मौका 4 साल के बाद ही मिलेगा, बोर्ड परीक्षा अगले साल भी हो सकती हैं |
उनकी उलझन पूर्णतः दूर हो गई थी, वह अपनी पूर्ण शक्ति के साथ तैयार थी | कॉमनवेल्थ में 400 मीटर की दौड़ में वे छठे स्थान पर रहीं | 4*400 रिले दौड़ में उनकी टीम सातवें स्थान पर रही |
हिमा दास ने बैंकॉक देश में हुई एशियाई यूथ चैंपियनशिप की 200 मीटर की दौड में भी भाग लिया था और सातवें स्थान पर रही |
2018 में गुवाहाटी में हुई अंतरराज्यीय चैंपियनशिप में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता था |
12 जुलाई 2018, फिनलैंड के ताम्पेर में वर्ल्ड अंडर-20 चैंपियनशिप में हिमा दास ने भारत के इतिहास के पन्नों में नया कीर्तिमान रचा | 400 मीटर की दौड़ में 51.46 सेकंड का समय लेकर भारत का पहला गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया |
इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में अगस्त 2018, में 18वें एशियाई खेलो में उन्होंने 26 अगस्त को 400 मीटर की दौड़ में 50.79 सेकंड के समय से सिल्वर मेडल अपने नाम किया था | इसके साथ ही, 4*400 की रिले दौड़ में उनकी टीम ने दो गोल्ड मेडल जीते थे |
ADIDAS फुटवियर बनाने वाली जर्मन कंपनी का अपने क्षेत्र में बोलबाला है | उस कंपनी ने सितंबर 2018 में एक चिट्ठी लिखकर हिमा दास को अपना एम्बेसडर बनाया | अब उनका नाम ADIDAS के जूतों पर छपता है | आज हिमा दास स्वंय एक ब्रांड हैं, जिसकी रफ्तार लगातार तेज हो रही है |
2019 में हिमा दास ने अपनी 12वीं के बोर्ड की परीक्षा दी, और फर्स्ट डिविजन से पास हुईं |
यह भी पढ़ें- हर महिला को सशक्त होने के लिए ये जानना बहुत जरूरी है
19 साल की हिमा दास ने 19 दिनों में 5 गोल्ड मेडल अपने नाम किए
हिमा दास ने 2 जुलाई 2019 से लेकर 20 जुलाई 2019 के बीच यूरोप में होने वाली प्रतियोगिताओं में 5 बार स्वर्ण पदक हासिल करके देश को गौरवान्वित किया |
हिमा दास ने पहला गोल्ड मेडल 2 जुलाई 2019 को पोलैंड, ‘पोज़नान एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स’ में 200 मीटर दौड़ में 23.65 सेकंड का समय लेकर जीता था |
7 जुलाई 2019 को पोलैंड में ‘कुटनो एथलेटिक्स मीट’ में 200 मीटर दौड़ में हिमा दास ने 23.97 सेकंड में अपनी दौड़ को पूरा कर दूसरा गोल्ड मेडल हासिल किया था |
13 जुलाई 2019 को हिमा दास ने चेक रिपब्लिक में हुई ‘क्लांदो मेमोरियल एथलेटिक्स’ में महिलाओं की 200 मीटर दौड़ को 23.43 सेकेंड में पूरा कर फिर से तीसरा गोल्ड मेडल प्राप्त किया था |
19 साल की हिमा दास ने 17 जुलाई 2019 को चेक रिपब्लिक में आयोजित ‘ताबोर एथलेटिक्स मीट’ के दौरान महिलाओं की 200 मीटर दौड़ को 23.25 सेकेंड में पूरा कर एक बार फिर से अपना चौथा गोल्ड मेडल हासिल किया |
हिमा दास ने चेक गणराज्य में ही 20 जुलाई 2019 में 400 मीटर की दौड़ में 52.09 सेकेंड के समय में जीत हासिल की | हिमा दास का जुलाई 2019 के महिने में मात्र 19 दिनों के अंदर प्राप्त किया गया यह पांचवां स्वर्ण पदक था |
यह भी जानें- 110 दिनों में 6,000 किलोमीटर की दूरी तय कर बनाया अपना दूसरा गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड
5 गोल्ड मेडल अपने नाम करने के बाद भी उन्हें सितंबर में होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप का टिकट नहीं मिला | ऐसा इसलिए, क्योंकि 400 मीटर की स्पर्धा में 51.80 सेकंड क्वालीफाइंग मार्क था जबकि हिमा दास 52.09 पर ही रह गईं |
200 मीटर की केटेगरी में क्वालीफाय करने के लिए 23.02 सेकंड में रेस पूरी करनी थी | हिमा ने 4 गोल्ड मेडल जरूर जीते, लेकिन किसी में भी इस पॉइंट तक पहुँचने में नाकाम रहीं | जिन प्रतियोगिताओं में हिमा ने सोने का तमगा हासिल किया है, वे E और F केटेगरी में आते हैं | इन्हें इंटरनेशनल लेवल पर सबसे निचले स्तर पर रखा जाता है |
हिमा दास की उपलब्धि बेसक ज्यादा बड़ी नही थी, पर कई मायनो में खास हैं |
एले इंडिया, फेमिना, वोग जैसी मैगजीनों के कवर तक पहुंचने के लिए सुंदरता के मानक तय हैं, वहाँ हिमा दास ने उन मानकों को चुनौती दी और अपनी प्रतिभा के दम पर अपनी जगह हासिल की |
पीठ के निचले हिस्से में चोट के कारण भारत की 400 मीटर महिला रिकॉर्ड धारक हिमा दास ने 2021 में शॉर्ट स्प्रिंट स्पर्धाओं की 100 मीटर और 200 मीटर स्प्रिंट में ही भाग लिया |
उन्होंने 2022 सीज़न में भी 100 मीटर और 200 मीटर स्पर्धाओं पर ध्यान केंद्रित किया हुआ है | लेकिन वह जल्द ही ट्रैक पर पहले की तरह दिखने के लिए कड़ी प्रैक्टिस में जुटी हैं |
डीएसपी का मिला पद
26 फरवरी, 2021 के दिन हिमा दास को असम पुलिस में पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) के पद पर नियुक्त किया गया | हिमा दास को राज्य की ‘एकीकृत खेल नीति’ के तहत इस पद पर नियुक्त किया गया |
पुरस्कार और सम्मान
- 25 सितंबर 2018 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा हिमा दास को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया |
- 2020 में वह खेल रत्न के लिए नॉमिनेट हुईं थी |
- वह 1 नवंबर 2019 को कौन बनेगा करोड़पति नामक अभिनेता अमिताभ बच्चन द्वारा संचालित भारत के प्रसिद्ध टीवी रियलिटी-शो में आई नजर |
कैसी लगी आपको हिमा दास की संघर्ष यात्रा? हमे कमेंट बॉक्स में बताना न भूले |
Jagdisha का हर रोज अपनी रफ्तार को नए आयाम तक पहुँचाती एथलीट को ढेरों शुभकामनाएं |
0 टिप्पणियाँ