ritu karidhal

Chandrayaan-3 की सफलता हर भारतीय के लिए  गर्व और उत्साह से भर देने वाला विषय है। 

Chandrayaan-3 मिशन का नेतृत्व करने वाली एक महिला हैं जो इस गौरवांवित बात को ओर भी अलंकृत करती है। यह एक संकेत भी है कि देश की महिलाएं आगे बढ़ रही हैं, जो देश की उन्नति के लिए आवश्यक है।

Chandrayaan-3 मिशन आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रमा अन्वेषण मिशन के उद्देश्य स्वरूप लॉन्च किया गया।

14 जुलाई को भारतीय समयानुसार दोपहर 2.35 बजे चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। इसका उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का पता लगाना और उसके बारे में जानना है।

चंद्रयान-3, 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरा। जो देश की अंतरिक्ष गतिविधियों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। 

ISRO की ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए भारतीय जनता से लेकर राजनेताओं तक, सभी चंद्रयान-3 मिशन के पीछे वैज्ञानिकों की टीम की सराहना कर रहे हैं। लगभग 54 महिला इंजीनियर और वैज्ञानिक चंद्रयान-3 मिशन का हिस्सा थीं। जिन्होंने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभालीं। 

इस मिशन का नेतृत्व भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की वरिष्ठ वैज्ञानिकों मे से एक 

रितु करिधाल श्रीवास्तव ने  किया।

कौन है, रितु करिधाल श्रीवास्तव?

रितु करिधाल श्रीवास्तव एक भारतीय वैज्ञानिक और एयरोस्पेस इंजीनियर हैं। वह भारत के मंगल कक्षीय मिशन, मंगलयान की उप परिचालन निदेशक भी रहीं थीं।

वह भारत की “Rocket Women” भी कही जाती हैं।

रितु करिधाल लखनऊ उत्तर प्रदेश में 13 अप्रैल 1975 को जन्मी। वह ऐसे परिवार मे पली बढ़ी, जहां शिक्षा के महत्व को समझते हैं। उनके पिता रक्षा सेवाओं मे कार्यरत थे।

अगर शिक्षा के प्रति भारत में रहने वाले हर परिवार की मानमानसिकता सकारात्मक हो जाए तो हर घर मे एक मेधावी मिलेगा। और देश हर दिन उन्नति और प्रगति करेगा।

बचपन से ही रितु करिधाल को चांद – तारों और अन्तरिक्ष के बारे मे जानने की बड़ी रूचि रही। रात मे अक्सर आसमान की ओर टकटकी लगाए, चंद्रमा के हर रात घटते – बढ़ते आकार का क्या कारण है को समझने की तीव्र इच्छा रही। तारों के विषय मे अध्ययन करने की उत्सुकता उन्हें हमेशा अन्तरिक्ष के बारे मे अधिक से अधिक समझने को प्रेरित करती।

वह NASA और ISRO की अन्तरिक्ष से सम्बन्धित सभी गतिविधियों के विषय मे समाचार पत्रों से कटिंग एकत्र करती।

शिक्षा

रितु करिधाल ने अपनी शिक्षा नवयुग कन्या महाविद्यालय से प्राप्त की। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से बीएससी, भौतिकी में स्नातक (graduation) की डिग्री ली। और एमएससी, भौतिकी में स्नातकोत्तर (Post graduation) डिग्री प्राप्त की।

और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में अपनी स्नातकोत्तर डिग्री हासिल करने के लिए भारतीय विज्ञान संस्थान (आई आई ऐस सी) में प्रवेश लिया।  

फिर उन्होंने पीएचडी, भौतिकी मे अध्ययन किया। छः महीने बाद उन्होंने ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग (GATE) परीक्षा उत्तीर्ण की। जिसके बाद रितु करिधाल अपनी पीएचडी की शिक्षा छोड़ अंतरिक्ष अन्वेषण की ओर अग्रसर हुई।

करियर 

प्रोफेसर मनीषा गुप्ता के मार्गदर्शन में रितु करिधाल 1997 में ISRO में शामिल हुईं।

यूआर राव सैटेलाइट सेंटर (यूआरएससी) में, उनकी शैक्षिक पृष्ठभूमि और आईआईएससी में असाधारण प्रदर्शन ने उन्हें चुनौतीपूर्ण भूमिकाओं में पहुंचा दिया। जहां उन्होंने निडर होकर उन उन्नत परियोजनाओं को निपटाया जो आमतौर पर वरिष्ठ वैज्ञानिकों के लिए आरक्षित थीं।

रितु करिधाल की नेतृत्व यात्रा मंगल कक्षीय मिशन – मंगलयान (Mars Orbiter Mission – Mangalyaan) से प्रारंभ हुई। इस मिशन में वह उप निदेशक के रूप मे नियुक्त हुईं।

यह मिशन 5 नवंबर 2013 को लॉन्च किया गया। इस मिशन को पूरा होने में 10 महीने का समय लगा। जो 450 करोड़ रूपए से भी कम कीमत मे पूरा किया गया था।

जो ISRO की महत्वपूर्ण उपलब्धि में से एक है। इस मिशन की सफलता के साथ भारत मंगल पर पहुंचने वाला विश्व का चौथा देश बन गया। 

इसके बाद, 22 जुलाई, 2019 को सफलतापूर्वक लॉन्च किए गए चंद्रयान -2 के समय रितु करिधाल ने मिशन निदेशक के रूप में पदभार संभाला। 

जब यूनाइटेड किंगडम ने 2021 में जी7 की अध्यक्षता संभाली, तब रितु करिधाल श्रीवास्तव को देश की महिला और समानता मंत्री लिज़ ट्रस ने सारा सैंड्स की अध्यक्षता में नवगठित लैंगिक समानता सलाहकार परिषद (जीईएसी) में नियुक्त किया था।

चंद्रयान -3 का नेतृत्व करना, उनके शानदार करियर में एक और मील का पत्थर है।

उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों पत्रिकाओं में 20 से अधिक पत्र प्रकाशित किए हैं।

अवार्ड और सम्मान

रितु करिधाल श्रीवास्तव को उनकी उपलब्धियों के लिए कई पुरस्कार और सम्मान से सम्मानित किया गया है।

  • उन्हें पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा ‘इसरो यंग साइंटिस्ट अवार्ड’ से सम्मानित किया गया।
  • ‘इसरो टीम अवार्ड फॉर एमओएम (2015)’
  • ‘एएसआई टीम अवार्ड’
  •  ‘वीमेन अचीवर्स इन एयरोस्पेस, (2017)’ 
  • इंडियन एयरोस्पेस टेक्नोलॉजीज एंड इंडस्ट्रीज (SIATI)।

उन्हें वार्षिक दीक्षांत समारोह 2019 के दौरान लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा डीएससी की मानद उपाधि (मानद डॉक्टरेट) से सम्मानित किया गया है।

अगर देश की हर बेटी को ज्ञान की ज्योति से प्रकाशित किया जाए तो निश्चित ही समाज और देश का विकास शीघ्र ही संभव हो पाएगा।

Jagdisha: चंद्रयान -3 से जुड़े सभी वैज्ञानिकों को उनकी उपलब्धि के लिए ढेरों शुभकामनाएं।

सभी पाठकों से निवेदन है कि वे इस लेख को पूरा पढें और अपनी राय साझा करें। धन्यवाद!

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