इस पृथ्वी पर चाहें कोई भी दौर रहा हो, चाहें कोई भी समय काल रहा हो या कहें कि कोई भी युग रहा हो और यहां तक कि किसी भी सभ्यता या व्यवस्था में एक बात है वो आज के समय में भी नहीं बदली है और वो है महिलाओं द्वारा हर चुनौती का सामना करना और उस चुनौती को पार कर खुद की काबिलियत को सारे संसार में सिद्ध कर श्रेष्ठता की ओर बढ़ना ।
चाहें वो रामायण काल हो या महाभारत काल स्त्रियों ने हर काल में अपने ऊपर हुए अत्याचारों का शक्ति, भक्ति और युक्ति से उसका पूर्ण रूपेण संहार किया है और स्वयं को सिद्ध किया है ।
वर्तमान काल में भी अनेकों ऐसी स्त्रियां हैं जो ना सिर्फ अपने चुने हुए क्षेत्र में सफल हैं बल्कि दुनिया के लिए सफलता का पर्याय बन गई हैं ।
ऐसी ही एक महिला के जीवन के बारे में हम इस लेख में पढ़ने जा रहे हैं जिनको सही मायने में सफलता का पर्याय ही कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होनी चाहिए क्यूंकि उनकी सफलता श्रेष्ठ है, श्रेष्ठ भी इसलिए है क्यूंकि वे उस दौर से सफल होकर निकली हैं जब महिलाओं को घर से भी निकलने पर उनके जीवन को असफल मान लिया जाता था, जब महिलाओं के अधिक पढ़ लिख जाने पर अधिक बल नहीं दिया जाता था ।
तब यह हलाहल जैसे विचारों से भरे सामाजिक व्यवस्था सुधा में परिवर्तित होता है और दक्षिण भारत से मूर्ति रूपित होकर सारे संसार को दर्शित करता है ।
हम पढ़ने जा रहे हैं पदम श्री, पदम भूषण जैसे सम्मानों से सुशोभित श्री सुधा मूर्ति जी के जीवन के बारे में…..
परिचय व प्रारंभिक जीवन
सुधा मूर्ति एक जानी मानी सामाजिक कार्यकर्ता व इंफोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन हैं । सुधा मूर्ति जी के पति प्रसिद्ध सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस टेक्नोलॉजीज के संस्थापक और उद्योगपति श्री नारायण मूर्ति हैं ।
सुधा मूर्ति का जन्म 19 अगस्त 1950 में उत्तरी कर्नाटक में शिवांग में हुआ था । विवाह से पहले उनका नाम सुधा कुलकर्णी था । उनकी माता का नाम विमला कुलकर्णी और पिता का नाम डॉ आर एच कुलकर्णी था ।
शिक्षा
सुधा मूर्ति ने बीवीबी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीई किया था । पूरे राज्य में प्रथम स्थान प्राप्त किया जिसके लिए उन्हें उस समय के कर्नाटक के मुख्यमंत्री द्वारा रजत पदक से सम्मानित किया गया ।
सन 1974 में उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री ग्रहण की | उस समय उन्होंने इसमें प्रथम स्थान प्राप्त किया जिसके लिए उन्हें स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया ।
सुधा मूर्ति बचपन से ही पढ़ने में बहुत होशियार और तीव्र थीं । वह अपने कॉलेज में सभी लड़कों में अकेली थी, उस समय में लड़कों के बीच में पढ़ लेना बहुत बड़ी बात थी और जिसमें भी इंजीनियरिंग करना और उस पर सभी लड़कों के बीच अव्वल आना बहुत हिम्मत का काम था । उस जमाने में इंजीनियरिंग सिर्फ लड़कों का ही प्रोफेशन माना जाता था, लड़कियों का उस तरफ देखना भी सही नहीं माना जाता था ऐसे में सुधा मूर्ति अपनी तीव्रता और तेज दिमाग से इस मुकाम को हासिल कर पाईं इसके लिए वह सच एक सुपर विमेन से कम नहीं हैं ।
इतने कठिन चुनौतियों के बीच में पढ़ना और अव्वल आना ये एक जिंदा और स्थिर बुद्धि वाला व्यक्ति ही कर सकता है । आज की लड़कियों को उनसे शिक्षा लेते समय सुधा जी के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए ।
करियर
सुधा मूर्ति भारत की सबसे बड़ी ऑटो निर्माता टाटा इंजीनियरिंग और लोकोमोटिव कंपनी टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी (टेल्को) में काम करने वाली पहली महिला इंजीनियर बनीं थीं । टेल्को में पहली महिला इंजीनियर बनने के पीछे एक महत्वपूर्ण और प्रेरक किस्सा यह है कि सुधा मूर्ति ने तत्कालीन अध्यक्ष को एक पोस्टकार्ड लिखा और कंपनी में लैंगिक भेदभाव की शिकायत की, जिसके बाद उनका इंटरव्यू लिया गया और तुरंत काम पर रख लिया गया जिसमें वह पहली महिला इंजीनियर के रूप में नियुक्त हुईं ।
वह पहले पुणे में एक डेवलपमेंट इंजीनियर के रूप में काम किया और बाद में मुंबई और जमशेदपुर में पोस्टेड थीं । उन्होंने पुणे में वालचंद ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज के साथ सीनियर सिस्टम एनालिस्ट के रूप में काम किया ।
वर्ष 1996 में, उन्होंने इंफोसिस फाउंडेशन की स्थापना की और वर्तमान में संगठन की अध्यक्ष हैं । वह बैंगलोर विश्वविद्यालय में विजिटिंग प्रोफेसर भी हैं । वह क्राइस्ट यूनिवर्सिटी में भी प्रोफेसर थीं ।
इंफोसिस फाउंडेशन ने दो संस्थानों का उद्घाटन किया – आईआईटी कानपुर में एचआर कदीम दीवान बिल्डिंग और एनएलएसआईयू में नारायण राव मेलगिरी मेमोरियल नेशनल लॉ लाइब्रेरी का ।
उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं और प्रकाशित की हैं, जिनमें से दो यात्रा वृतांत, दो तकनीकी पुस्तकें, छः उपन्यास और तीन शिक्षाप्रद पुस्तकें हैं ।
व्यक्तिगत जीवन
सुधा मूर्ति ने एनआर नारायण मूर्ति से शादी की जब वह पुणे में टेल्को में एक इंजीनियर के तौर पर कार्यरत थीं ।
सुधा मूर्ति और नारायण मूर्ति के दो बच्चे हैं एक बेटी- अक्षता और बेटा- रोहन । अक्षता ने स्टेनफोर्ड के अपने सहपाठी और यूके के पूर्व वित्त मंत्री ऋषि सुनक से शादी की ।
लिज़ ट्रस के 7 सप्ताह के इस्तीफा देने और यूके के सबसे कम समय तक शासन करने वाले प्रधानमंत्री बनने के बाद, ऋषि सुनक ने शासन अपने हाथों में ले लिया और अक्टूबर 2022 में यूके के पहले भारतीय मूल के प्रधानमंत्री बनकर इतिहास रच दिया ।
सुधा मूर्ति ने अपने दामाद के ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने पर कहा कि वह सुनक की सफलता से खुश हैं और उन्हें शुभकामनाएं देती हैं ।
जेआरडी टाटा ने सुधा मूर्ति को एक बार कहा कि कोई भी पैसे का मालिक नहीं है । आप धन के एकमात्र ट्रस्ट हैं और यह हमेशा हाथ बदलता है । जब आप सफल हों तो इसे उस समाज को वापस दें जिसने आपको इतनी सद्भावना दी है ।
प्रकाशित पुस्तकें
सुधा मूर्ति ने अब तक कई पुस्तकें प्रकाशित की हैं । ये पुस्तकें मुख्यतः कन्नड़ और अंग्रेजी भाषा में हैं जो इस प्रकार हैं ।
- कन्नड़ भाषा में पुस्तकें
- डॉलर डोज (Dollar Dose)
- रूणा (Runa)
- कावेरी इंदा मेकांगिगे (Kaveri Inda Mekaangige)
- हक्कैया तेरादल्ली (Hakkiya Teradalli)
- अथिरिक्थे (Athirikthe)
- गुट्टोंडू हेलुवे (Guttondu Heluve)
- तुमला (Tumla)
- नूनिया सहसगलु (Nooniya Sahasagalu)
- महाश्वेता(Mahashweta)
- समान्यरल्ली असामान्यरु (Samanyralli Asamanyaru)
- कंप्यूर लोकादल्ली (Compue Lokadalli)
- अस्तित्व (Astitva)
- परिधि (Paridhi)
- यशस्वी (Yashsvi)
- सुखेसिनी मट्टू इतरा मक्काला कठेगलु (Sukhesini Itara Makkala Kathegalu)
- येरिलिटाडा दारियल्ली (Yerilitada Daariyalli)
- अंग्रेजी भाषा में पुस्तकें
- द मदर आई नेवर न्यू
- थ्री थाउसैंड स्टिच्स
- द मैन फ्रॉम एग
- हीयर, देयर, एवरीव्हेयर
- मैजिक ऑफ द लॉस्ट टेंपल
- हाउ आई टॉट ग्रांडमदर टू रीड एंड अदर स्टोरीज
- द ओल्ड मैन एंड हिज स्टोरीज
- डॉलर बहु
- वाइज एंड अदरवाइज
- महाश्वेता
- द डे आई स्टॉप्ड मिल्क
- द सर्पेंट्स रिवेंज
- जेंटली फॉल्स द बकुला
- हाउस ऑफ कार्ड्स
- समथिंग हैपेंड ऑन द वे टू हेवंस
- द मैजिक ड्रम एंड अदर फेवरेट स्टोरीज
- द बर्ड विद द गोल्डन विंग्स
- हाउ द सी बिकेम साल्टी
- द अपसाइड डाउन किंग
- द डॉटर फ्रॉम अ विशिंग ट्री
- ग्रांड मां बैग ऑफ स्टोरीज
सामाजिक गतिविधि
1996 में सुधा मूर्ति ने एक पब्लिक चेरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की । ट्रस्ट ने अब तक बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 2,300 घर बनाए हैं । उनके पास प्रत्येक स्कूल के लिए एक पुस्तकालय का भी सपना है और अब तक उन्होंने 70,000 पुस्तकालय स्थापित किए हैं । उनके संगठन ने अब तक 16,000 सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण किया है । उन्होंने कई अनाथालयों की स्थापना भी की ।
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