बात अगर पढ़ाई-लिखाई की करे तो मैथ्स तो समझो किसी राक्षस से कम नही बच्चों के लिए | स्कूल में भी मैथ्स के टीचर सबसे खतरनाक की श्रेणी में आते हैं | जिस दिन मैथ्स के टीचर छुट्टी पर हो या मैथ्स का पीरियड लगे ही न उस दिन तो जैसे मौज आ गई बच्चों की |
आज कल तो बच्चे मैथ्स के सवाल हल करने के वजाय हिन्दी-इंग्लिश की तरह पढ़ते है | मैथ्स से तो मानो वो पिछा छुड़ाना चाहते है |
लेकिन जैसे सिक्के के दो पहलू होते है, वैसे ही मैथ्स कुछ बच्चों का पसंदीदा विषय भी होता | जिन्हें मैथ्स मजेदार और एक खेल जैसी लगती है | वे मैथ्स के सवाल को समझते है और उनके हल उनके उचित सूत्र के अनुसार निकालते है |
आज हम आपको एक ऐसी लड़की के बारे में बता रहे है जो नंबरो के साथ खेलती हैं | वह पलक झपकते ही नंबरो को अपने दिमाग में ही बिना कैलकुलेटर के हल कर लेती है |
हम बात कर रहे है मानव कैलकुलेटर प्रियांशी सोमानी की जिनका दिमाग नंबरो की गणना बहुत तेज कर लेता है | उन्होंने सिर्फ 11साल की उम्र में न केवल विश्व रिकॉर्ड बनाया बल्कि कई रिकॉर्ड भी तोड़े हैं |
2010 में आयोजित मानसिक गणना विश्व कप में वह अपनी जीत का बिगुल बजा चुकी है |
प्रियांशी सोमानी मेन्टल कैलकुलेशन विश्च चैम्पियनशिप 2020 में स्वर्ण पदक जीत कर भारत का नाम रौशन कर चुकी हैं |
6.51 मिनट में प्रियांशी सोमानी ने 11 साल की उम्र में 6 अंकों की संख्या का 8 अंकों तक वर्गमूल बडी आसानी से अपने दिमाग में निकाल लिया था |
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जन्म
प्रियांशी सोमानी का जन्म 16 नवंबर 1998 में गुजरात के सूरत हुआ था | प्रियांशी की मां का नाम अंजू सोमानी और पिता का नाम सत्येन सोमानी है |
आपने बच्चों को जिस उम्र में खिलौनो से खेलते देखा होगा उस उम्र में प्रियांशी सोमानी अपने दिमाग में नंबरो का हल निकाल डालती थी |
मैथ्स कैलकुलेशन का सफर कैसे हुआ शुरू
अपनी बेटी का मैथ्स के प्रति रूझान देख प्रियांशी सोमानी के माता-पिता ने 6 साल की उम्र से उन्हें मेंटल मैथामैटिक्स की कक्षाओं में भेजना शुरू किया जहां पर उन्हें गणित की बड़ी से बड़ी संख्या का कैलकुलेशन दिमाग में ही करना सिखाया गया | यह वह तकनीक है जो गणित के जटिल सिद्धांतो को सरलता से समझने में मदद करती है |
फिर क्या था, वह कागज और पेन्सिल के बिना ही मैथ्स के सवालों को हल करने लगी थीं |
धीरे-धीरे वो अभ्यास करती रहीं और अपनी कैलकुलेशन में हर रोज सुधार करती गईं |
7 साल की उम्र में आते आते, 2006 में वह भारत में आयोजित अबेकस और मानसिक अंकगणितीय प्रतियोगिता में नेशनल चैंपियन बन गईं |
इस शानदार जीत के बाद प्रियांशी सोमानी 2007 में, मलेशिया में आयोजित एक अंतराष्ट्रीय अबेकस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और वहाँ भी अपनी प्रतिभा का जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए चैम्पियन बनी |
यह सिलसिला 2010 में भी कायम रहा और 6:51 मिनट में मानसिक गणना विश्वकप में प्रियांशी सोमानी ने 8 महत्वपूर्ण अंकों तक का वर्गमूल निकालने के लिये भी पहला स्थान प्राप्त किया |
इसके साथ ही उन्होंने 6:28 मिनट में वर्गमूल के 10 अलग अलग कैलकुलेशन को भी सही तरीके से हल करके सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये |
साल 2012 में उन्होंने 6 अंकों की संख्या का 2:43 मिनट में 10 अंकों तक का वर्गमूल ज्ञात करके नया विश्व रिकॉर्ड बनाया |
2020 में प्रियांशी सोमानी मेंटल कैलकुलेशन विश्व चैम्पियन में भी पहला स्वर्ण पदक अपने नाम कर चुकी हैं |
प्रियांशी सोमानी को भारत की सबसे युवा ह्यूमन कैलकुलेटर होंने का सम्मान प्राप्त है | साथ ही उनका नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड व गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है |
मैथ्स के सवालो को हल करने केे अलावा प्रियांंशी सोमानी को थियेटर से भी बहुत लगाव है और फिलहाल वह थिएटर में सक्रिय हैं |
हर बच्चे में अलग-अलग प्रतिभा होती है | अभिभावको को चाहिए कि वे अपने बच्चों की प्रतिभा को पहचाने और उनका सहयोग करें | क्योंकि प्रतिभा जितनी निखरेगी उतनी ही चमकती भी जायेगी | मेहनत और लगन का परिणाम हमेशा सकारात्मक ही होता है |
आपको कैसी लगी प्रियांशी सोमानी की यह कहानी? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताए | आपका सहयोग ही हमारा मनोबल है |
हर इंसान के विचार अलग होते हैं | उसी तरह हर किसी के अपने ही अलग सपने होते है | किसी को समय पर सहयोग मिल जाता है तो वह अपने पथ पर जल्दी ही अग्रसर हो जाता लेकिन किसी को स्वयं ही संघर्ष करना होता है | लेकिन मेहनत, आत्मविश्वास और जज्बा होना सबसे अधिक आवश्यक है |
आप भी अपने हुनर को पहचाने और अपने सपनो को उड़ान दे |
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