क्या आपके पीरियड हैवी फ्लो यानी अधिक रक्तस्राव के साथ आते है? जिस कारण हर घंटे बदलना पडता है पैड | क्या एक बार में दो पैड इस्तेमाल करने पड़ते है? क्या पीरियड के समय लगातार पेट में दर्द रहता है? दर्द से बुरा हाल और रोज-मर्रा के काम करने में भी होती है बड़ी परेशानी |
कही आप मेनोरेजिया से तो परेशान नही है | आप सोच रही होंगी, ये भारी सा शब्द क्या है? भला ये कौन सा रोग है?
तो चलिए जानते है इस मेनोरेजिया के बारे में…
मेनोरेजिया क्या है?
पीरियड के दौरान आमतौर पर 3 से 5 दिनों में 30 से 40 मिलीलीटर तक रक्तस्राव होता है | लेकिन अगर एक पीरियड चक्र जिसकी अवधि 21 से 35 दिन हो सकती है में, 80 मिलीलीटर या उससे अधिक रक्तस्राव हो तो इस अवस्था को मेनोरेजिया यानी पीरियड के दौरान भारी रक्तस्राव आना कहते हैं |
इससे ग्रसित महिला को 7 दिनों से भी अधिक रक्तस्राव हो सकता है | और पीरियड के दौरान रक्तस्राव इतना अधिक होता है कि उस महिला को दिन में कई बार पैड बदलने की आवश्यकता पड़ती है | इन महिलाओं को खून की कमी यानि एनीमिया की समस्या भी हो जाती है | एनीमिया की वजह से शरीर में खून की कमी हो जाती है और सासं लेने में दिक्कत महसूस होती है |
मेनोरेजिया के लक्षण :
- रक्तस्राव इतना अधिक होना कि हर एक घंटे में पैड बदलना पड़े |
- रात में सोने के दौरान भी पैड बदलते रहने की जरूरत महसूस होना |
- रक्तस्राव इतना अधिक होना कि एक समय में दो पैड लगाने की जरूरत महसूस होती है |
- अधिक रक्तस्राव के कारण पीरियड का 7 दिनों से ज्यादा होना |
- पेट में दर्द की वजह से कोई भी काम करने में दिक्कत होना |
- पेट के निचले हिस्से और श्रोणि में दर्द |
- थकान और कमजोरी मशसूस होना और सांस लेने में भी दिक्कत होना |
- पीरियड के दौरान रक्तस्राव में खून के थक्को का बड़े आकार में होना |
मेनोरेजिया होने के कारण :
- हार्मोन असुंतलन के कारण पीरियड चक्र के दौरान अंडे का उत्पादन न हो पाने के कारण मेनोरेजिया हो सकता है | बिना ओवुलेशन के पीरियड चक्र को ऐनोवुलेशन कहते हैं | यह दो स्थितियों में होता है – अगर पीरियड हाल में ही शुरु हुए हैं या रजोनिवृत्ति होने की स्थिति में |
- महिलाओं के यूट्रस में हर महीने एक परत बनती है जो पीरियड के दौरान रक्तस्राव के जरिए शरीर से बाहर आ जाती है | यदि प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजेन की सामान्य मात्रा में परिवर्तन होता है, तो एन्डोमीट्रीयम यानी गर्भाशय की अंदरूनी परत मोटी हो जाती है जो पीरियड के दौरान अधिक रक्तस्राव के रूप में बहती है |
- गर्भाशय कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, और अंडाशय के कैंसर प्रजनन तंत्र को प्रभावित करते हैं और अधिक रक्तस्राव का कारण होते हैं |
- अन्य रोग जैसे थायराइड विकार, एंडोमेट्रियोसिस, गर्भाशय फाइब्रॉएड, गर्भाशय पॉलीप्स, पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज, थाइरॉइड और यकृत या किडनी रोगों के कारण भी मासिक धर्म के दौरान भारी रक्तस्राव होता है |
- गर्भावस्था से संबंधित समस्या होने पर |
- शरीर में सूजन और जलन कम करने वाली दवाओं की वजह से भी अधिक रक्तस्राव होता हैं |
- आनुवंशिक
किसी भी प्रकार की समस्या या लक्षण की उपस्थिति में कृपया डॉक्टर या स्त्री विशेषज्ञ से सलाह ले | डॉक्टर ही सही जाँच कर आपको उचित सलाह देने में सक्षम हैं |
Jagdisha के साथ अपनी राय अवश्य सांझा करें |