साँप अचानक से दिख जाए तो बस घबराहट से इंसान हक्का बक्का रह जाता है | कभी अगर पड़ोस से आवाज आए साँप साँप घर में साँप तो सबसे पहले तो लाठी, डंडा ढूंढते है और अंततः साँप को मार के फैक दिया जाता है |
अब साँप को देखकर डर लगना तो निश्चित ही है, कही डस लिया तो?
लेकिन एक महिला जो सांपों को ऐसे पकड़ती हैं जैसे लोग अपने दोस्तों से मिलते हैं | साँप को देखकर अच्छे अच्छो के रोंगटे खडे हो जाते है, और वह तो सांपो की मित्र है | सांपों के साथ उनकी तस्वीर देखकर लोगों के पसीने छूट जाएं लेकिन वह सांपों को हाथ में लेकर भी बेहद शांत नजर आती हैं |
50 हजार से ज्यादा सांपों को बचाने के कारण उन्हें सांपों की मित्र कहा जाता है |
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वनिता जगदेव बोराडे सांपों को नई जिंदगी देने वाली देश की पहली महिला रेस्क्यूअर को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च, 2022) के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया |
वनिता जी को वन्यजीव संरक्षण के लिए उनके विशेष प्रयासों के लिए यह प्रतिष्ठित सम्मान दिया गया है | वह सांपों को बचाने के साथ-साथ उनके संरक्षण के लिए जागरुकता अभियान भी चलाती हैं |
25 मई 1975, को महाराष्ट्र के बुलढाणा में जन्मी वनिता जगदेव बोराडे अपने साहस और सांपों के प्रति उनके स्नेह के कारण अब तक 51,000 सांपों को बचाकर उनके प्राकृतिक आवास में सुरक्षित रूप से छोड़ चुकी हैं |
महाराष्ट्र राज्य वन विभाग को इन सभी सांपों के बचाव और रिहाई गतिविधि के बारे में विधिवत सूचित किया गया था, जिसकी पुष्टि वन विभाग द्वारा 4 जुलाई, 2019 को की गई थी |
भारतीय डाक विभाग ने भी डाक टिकट जारी करके उन्हें सम्मानित किया है | महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज वनश्री पुरस्कार से सम्मानित किया है |
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वनिता जी सोयरे वनचारे बहुउद्देशीय फाउंडेशन की संस्थापक भी हैं | वहाँ वह प्रकृति और वन्यजीव संरक्षण की दिशा में काम करती है |
वनिता जी बताती है, सांप एक बहुत ही अलग प्रजाति हैं | वे कभी भी मनुष्यों के साथ हस्तक्षेप नहीं करते हैं और न ही वे हमारा उनके साथ हस्तक्षेप करना पसंद करते है | साँप पर्यावरण चक्र और खाद्य श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं |
साँप को देखकर उससे डर जाना और भय के कारण सांपों को मारना भारत में आम बात है | लेकिन यह एक बड़ा पर्यावरणीय असंतुलन पैदा करता है | साँप एक मूक जीव हैं | साँप की प्रजातियाँ में ज्यादातर गैर विषैले साँप होते हैं | वे हमेंशा मनुष्य की उपस्थिति से डर के स्वयं की सुरक्षा के लिए हमे डसते हैं |
सांप संकेतक प्रजाति हैं, इसका मतलब है कि जलवायु बदलने पर सबसे पहले वही प्रभावित होते हैं |
वनिता जी का उदेश्य सांपों के बारे में जागरूकता फैलाना है, वही उनके जीवन का मिशन है |
वह चाहती हैं, कि हमारी अगली पीढ़ी जहरीले और गैर-जहरीले सांपों की पहचान करने के लिए कौशल विकसित करे | इससे कई सांपों की जान बच जाएगी | वह समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाती रहती है और स्कूलों का दौरा भी करती रहती हैं |
दुनिया में सांपों की कोई 2500-3000 प्रजातियाँ पाई जाती हैं | भारत में सांपों की लगभग 270 प्रजातियां पायी जाती हैं | जिनमें से लगभग 50 ही ऐसी प्रजातियां हैं जो जहरीली है | इनमें से सिर्फ 15 ऐसी प्रजातियां हैं, जिनके काटने से इंसान की जान जा सकती है |
जहरीले साँप के सिर में जहरीला संचालक तथा ऊपरी जबड़े में एक जोड़ी जबड़े पाये जाते है | बिषहीन सांपों के काटने पर अनेको छोटे गड्ढे सेमि सरकल में पाये जाते है | जबकि बिषाक्त सांपों में केवल दो गहरे गड्ढे पाये जाते है |
सांपों को बचाना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि ये प्रकृति के भोजन चक्र का सबसे अहम हिस्सा हैं, पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने में ये महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं |
Jagdisha का साहसी महिला को सलाम | हम आपके उद्देश्य पूर्ति और स्वस्थ जीवन की कामना करते है |
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