मर्चेंट नेवी कैप्टन राधिका मेनन को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस (8/3/2022), मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नारी शक्ति सम्मान से सम्मानित किया |
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिलाओं के सशक्तीकरण में उत्कृष्ट योगदान देने वाली 29 महिलाओं को 2020 और 2021 के लिये नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किये |
नारी शक्ति पुरस्कार व्यक्तियों और संस्थानों द्वारा किए जाने वाले उल्लेखनीय योगदान के लिए मान्यतास्वरूप महिला और बाल विकास मंत्रालय की पहल के तहत प्रदान किए जाते हैं
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नारी शक्ति पुरस्कार 2020 और 2021 संस्करणों के विजेताओं के साथ संवाद किया | पीएम मोदी ने पुरस्कार पाने वाली महिलाओं से लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने आधिकारिक आवास पर मुलाकात की |
इस दौरान नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित और भारत की पहली मर्चेंट नेवी महिला कप्तान कैप्टन राधिका मेनन ने पीएम मोदी की सराहना की |
कैप्टन राधिका मेनन ने समुद्री क्षेत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद दिया |
कैप्टन राधिका मेनन अपनी बहादुरी के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (आईएमओ) पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं |
यह पुरस्कार उन लोगों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदान किया जाता है जो अपनी जान की बाजी लगाकर असाधारण बहादुरी दिखाते हैं |
मर्चेंट नेवी कैप्टन राधिका मेनन ने साल 2016 में अशांत बंगाल की खाड़ी में मछली पकड़ने वाली एक नौका से सात मछुआरों को बचाने के लिए अपनी असाधारण बहादुरी के लिए आईएमओ के पुरस्कार से पुरस्कृत होने वाली पहली महिला के रूप में इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज कराया |
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कौन है कैप्टन राधिका मेनन?
कैप्टन राधिका मेनन एक भारतीय महिला मर्चेंट नेवी अधिकारी हैं, वह वर्तमान में भारतीय मर्चेंट नेवी के कप्तान के रूप में कार्यरत हैं |
वह भारतीय मर्चेंट नेवी की पहली महिला कप्तान भी हैं, जो तेल उत्पादों के टैंकर सुवर्ण स्वराज्य का नेतृत्व करती हैं |
वह दिल्ली स्थित समुद्री पत्रिका सी एंड कोस्ट के सलाहकार बोर्ड में शामिल हैं |
जन्म और प्रारंभिक जीवन
कैप्टन राधिका मेनन का जन्म और पालन-पोषण कोडुंगल्लूर, केरल में हुआ था | वह बचपन से ही एक कुशल छात्र और असाधारण प्रतिभा की धनी रही है | वह हमेशा से ही चुनौतीपूर्ण और समाज की रूढ़िवादी सोच के विरूद्ध कुछ बेहतर करना चाहती थी |
उनकी इसी इच्छाशक्ति के कारण वह नौसेना की ओर अग्रसर हुई |
प्रारंभ में उन्हें अपने परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों के कडे विरोध का सामना करना पड़ा | लेकिन वह मजबूत इरादो की पक्की और कुछ कर गुजरने की इच्छा से लबालब कहा हार मानने वाली थीं | उनके अटल निश्चय के सामने उनके माता-पिता को हार माननी पड़ी | 1985 में 16 साल की उम्र ने उन्होंने अपनी स्नातक की शिक्षा परी की और फिर उन्होंने कोच्चि के ऑल इंडिया मरीन कॉलेज में डेढ़ साल का रेडियो कोर्स पूरा किया |
करियर
कैप्टन राधिका मेनन ने शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया में एक रेडियो अधिकारी के रूप में अपने करियर की शुरूआत की |
शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के साथ एक संक्षिप्त कार्यकाल के बाद, वह भारतीय नौसेना की एक प्रमुख कैडर बन गईं | उन्हें 2012 में, भारतीय मर्चेंट नेवी का कप्तान के रूप में पदोन्नत किया गया और इतिहास में इस पद से सम्मानित होने वाली पहली भारतीय महिला बनीं |
उसी वर्ष, उन्होंने तेल टैंकर सुवर्ण स्वराज्य के प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाला, जिसका वजन लगभग 21,827 टन है |
कार्यभार संभालने के दिन से ही वह जहाज की सभी जिम्मेदारियों को संभालने में काफी सक्रिय रही हैं | उन्हें अपने पति का भी भरपूर समर्थन प्राप्त हुआ, जो स्वयं एक रेडियो अधिकारी रहे और इस नौकरी के चुनौतीपूर्ण पहलुओं को जानते हैं |
कैप्टन राधिका मेनन और उनकी टीम की सबसे बड़ी उपलब्धि थी, जून, 2015 में दुर्गम्मा नौका के सात मछुआरों को सफलतापूर्वक बचा कर ले आना |
खराब मौसम में इंजन खराब हो जाने के कारण यह नौका भटक गई थी और समुद्री तुफान के कारण उनका सारा खाना भी बह गया था | यह नौका ओड़िशा में गोपालपुर के तट से करीब ढाई किलोमीटर दूर शिपिंग कोरपोरेशन ऑफ इंडिया के जहाज संपूर्ण स्वराज को दिखी थी जिसकी प्रभारी कैप्टन राधिका मेनन थी |
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मछली पकड़ने वाले जहाज पर किसी भी कृत्रिम ट्रैकर्स के बिना, किसी भी मछुआरे के लिए किसी अन्य जहाज से मदद मांगना असंभव था | इसलिए उनके बचने की बहुत कम संभावना थी | सौभाग्य से उसी समय, कैप्टन राधिका मेनन ने लगभग 2.5 किलोमीटर की दूरी पर किसी का हाथ लहराते हुए देखा | वह जानती थी कि यह किसी के जीवन और मरण की बात है | और उन्होंने बिना कोई विचार किए उन सात मछुआरों के बचाव अभियान का आदेश दिया |
हालांकि ऐसे मौसम में खुले डेक पर जाना एक कठिन निर्णय था, लेकिन कैप्टन राधिका मेनन ने अपनी टीम को उनकी क्षमताओं पर विश्वास दिलाया और इस बचाव अभियान को निर्देशित किया | उनकी टीम ने उन पर भरोसा किया और सभी मछुआरों की जान बचाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दिया |
इस बीच एक समय ऐसा भी था जब तेज हवाओं और खराब मौसम के कारण उनका पहला प्रयास विफल हो गया था | लेकिन कैप्टन राधिका मेनन ने अपना निर्णय नही बदला और अपने जहाज के इंजनों को रोका ताकि नाव टैंकर के प्रोपेलर क्षेत्र को साफ कर सके | अपने दूसरे प्रयास में, उन्होंने दो मछुआरों को सफलतापूर्वक बचाया, और फिर शेष पांच को उनके अंतिम प्रयास में बचा लिया गया |
भारत सरकार ने उन्हें उनके राष्ट्रीय कर्तव्य और बहादुरी के लिए प्रासंगिक पुरस्कार के लिए नामांकित किया और वह आईएमओ बहादुरी पुरस्कार प्राप्त करने वाली पहली महिला बन गईं |
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कैप्टन राधिका मेनन ने युवा महिला नाविकों को प्रेरित करने के उद्देश्य से मुंबई में साथी नौसेना अधिकारियों सुनीति बाला और शरवानी मिश्रा के साथ 3 नवंबर 2017 को अंतर्राष्ट्रीय महिला नाविक फाउंडेशन (IWSF) की स्थापना की |
29 सितंबर 2019 को, उन्हें भारत की लक्ष्मी हैशटैग अभियान में भारत सरकार द्वारा सम्मानित किया गया था | जिसे भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मन की बात श्रृंखला के एक भाग के रूप में भारतीय महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए पेश किया गया था |
दृढ़ विश्वास और बुलंद हौसलों के सामने बड़ी-बड़ी समस्याओं को भी दम तोड़ना पड़ता है | इसलिए पूर्ण विश्वास और मजबूत इरादे के साथ अपने पथ पर अडिग रहिए, सफला आपके कदम अवश्य चूमेगी |
Jagdisha का बहादुर वीरांगना को सलाम | हम आपके स्वस्थ और सुखद जीवन की कामना करते है |
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