यूँ ही नही सपनो को पंख मिलते, उड़ान भरने से पहले लगन, जुनून और मजबूत इरादों की कसौटी का सामना करना होता है | सफलता या असफलता मनुष्य पर ही निर्भर करती है | सिर्फ दवाब या अपनो की खुशी के लिए चुने गये रास्ते अक्सर तय नही होते और होते भी है तो उसमें आप कहाँ है? हम सच्ची लगन भी उन ही सपनों के लिए लगा सकते है जो, हमारे स्वयं के होते है या हमने चुने होते है |
मंजिलों को पाना मुश्किल हो सकता है पर इरादा मजबूत हो तो चक्रवात भी बाधा नही बन सकता |
सूरत, ओलपाड़ क्षेत्र के एक किसान परिवार की बेटी मैत्री पटेल ने अमरीका में प्रशिक्षण हासिल कर भारत की सबसे कम उम्र की महिला कोमर्शियल पायलट बनने का गौरव प्राप्त किया |
मैत्री का कमर्शियल पायलट बनने का यह सफर बहुत असान तो बिल्कुल नही था | आर्थिक रूप से कमजोर होने के बाद भी उनके पिता ने अपनी बेटी का हौसला गिरने नही दिया बल्कि पाषाण की तरह डटे रहे | मैत्री ने भी उन्हें कतई निराश नही किया | वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान है |
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कौन है मैत्री पटेल?
ओलपाड़ क्षेत्र शेरड़ी गांव के मूल निवासी और शहर के घोड़दौड़ रोड इलाके में रहने वाले मैत्री के पिता कांतिलाल पटेल किसान और इसके साथ ही म्युनिसिपल कॉरपोरेशन ऑफ़ सूरत में कर्मचारी हैं | उनकी माँ सूरत नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत हैं |
जब सूरत से दिल्ली तक के लिए विमान सेवा शुरु हुई थी, तब वह पहली बार प्लेन में सवार हुई थी | उन्होंने पहली बार जब प्लेन और पायलट को देखा तब से ही उनके मन में पायलट बनने की इच्छा जागृत हो गई थी | वही उस दौरान पिता ने उनसे पायलट बनने की बात कही, तो वह ओर भी दृढ़ हो गई |
मैत्री ने सूरत के मेटास एडवेंटिस्ट स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की | स्कूल में बारहवीं की पढाई के दौरान ही उन्होंने मुंबई में प्रशिक्षण शुरू कर दिया था | उसके बाद अपना प्रशिक्षण पूरा करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका चली गई |
सूरत से अमेरिका जाना इतना भी सरल नही था, सबसे बड़ी समस्या थी कोर्स की फ़ीस भरने के लिए पैसा कहां से आएगा |
बेटी को पायलट बनाने में मैत्री के पिता कांतिलाल पटेल का बहुत बड़ा योगदान रहा |
मैत्री के सपने को पूरा करने के लिए जब पिता कांतिलाल पटेल लोन के लिए बैंक गये तो उन्हें वहां से निराश होकर लौटना पड़ा | उनके पिता किसी भी तरह से अपनी बेटी का सपना पूरा होते हुए देखना चाहते थे |
फिर क्या, जब कोई अन्य विकल्प उनके पिता को नजर नही आया तब उन्होंने बेटी के कोर्स की महंगी फ़ीस भरने के लिए अपनी पुश्तैनी ज़मीन बेच दी |
पिता की पूरजोर कोशिश से मैत्री ने पायलट ट्रेनिंग के लिए अमेरिका की ओर उड़ान भरी |
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मैत्री के उत्साह और दृढ़ हौसलों के कारण उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने अपनी 18 महीनों की ट्रेनिंग को 11 महीनों के अंदर पूरा कर दिखाया |
आम तौर पर कमर्शियल विमान उड़ाने की ट्रेनिंग 18 महीने में पूरी होती है | जब कोई 18 महीने में भी ट्रेनिंग पूरी नहीं कर पाये तो ऐसे में उनके लिए ट्रेनिंग के 6 महीने बढ़ा दिए जाते हैं | लेकिन मैत्री ने तो केवल 11 महीने में ही कमर्शियल पायलट बनने की ट्रेनिंग पूरी कर ली |
इसके बाद अमेरिका में ही उनके नाम लाइसेंस भी जारी किया गया |
पायलट ट्रेनिंग पूरी हो जाने के बाद मैत्री ने अपने पिता को अमेरिका बुलाया | उन्होंने पिता के साथ 3500 फ़ीट की ऊंचाई पर एक उड़ान भी भरी |
मैत्री को उनके माता-पिता श्रवण कहकर पुकारते हैं | हिन्दू मान्यताओं के अनुसार श्रवण कुमार एक आदर्श पुत्र के रूप में माने जाते है |
मैत्री को भारत में बतौर ‘कमर्शियल पायलट’ उड़ान भरने के लिए अलग से लाइसेंस की आवश्यकता होगी | जिसके लिए वे जल्द ही ट्रेनिंग शुरू करेंगी |
मैत्री अपने सपनो का विस्तार धीरे-धीरे बढ़ा रही है, वह अब भविष्य में बतौर कैप्टन बोइंग जहाज उड़ाना चाहती हैं और वो जल्द ही इसके लिए भी अपनी ट्रेनिंग शुरू करने जा रही हैं |
“अपने हौसले को ये मत बताओ कि
तुम्हारी परेशानी कितनी बड़ी हैं,
अपने परेशानी को ये बताओ कि
तुम्हारा हौसला कितना बड़ा हैं”
Jagdisha आपकी दिन दोगुनी और रात चौगुनी तरक्की की कामना करते है | आप भविष्य में अपने सभी लक्ष्यो को प्राप्त करे |
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