प्रभा अत्रे शास्त्रीय परंपरा की शीर्ष गायिकाओं में से एक हैं | इन्होंने विश्व स्तर पर भारतीय शास्त्रीय संगीत को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है | वे ऐसे दुर्लभ कलाकारों मे आती हैं जिन्हें अलग अलग तरह के संगीत की विद्याओं जैसे खयाल, ठुमरी, दादरा, गजल और गीत इत्यादी में महारत प्राप्त है |
शास्त्रीय संगीत की ज्ञाता प्रभा अत्रे ने अपूर्व कल्याण, दरबारी कौन्स, पटदीप-मल्हार, शिव काली, तिलंग-भैरव, रवि भैरव और मधुर-कौन जैसे नए रागों का आविष्कार भी किया है |
प्रभा अत्रे ने संगीत के विभिन्न विषयों पर अलग-अलग पुस्तकें लिखी हैं | उनके द्वारा लिखी गई पहली किताब ‘स्वरामयी’ है | जो उसके संगीत पर लिखे गए लेख का एक संकलन है | उन्होंने ‘स्वरागिनी’ और ‘स्वरंजनी’ नामक पुस्तकें भी लिखी हैं |
प्रभा अत्रे भारतीय शास्त्रीय संगीत के विषयों की विचारक, प्रशिक्षक, व्याख्यान-प्रदर्शक, शोधकर्ता और लेखिका हैं | वे विदेशों में भी कई विश्वविद्यालयो में अतिथि प्रशिक्षक रही हैं |
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उनके नाम 11 पुस्तकें (एक चरण से) जारी करने का विश्व रिकॉर्ड भी है | 18 अप्रैल 2016 को उन्होंने दिल्ली के इंडिया हैबिटैट सेन्टर में संगीत पर हिन्दी और अंग्रेजी में 11 पुस्तकें विमोचित की थीं |
संगीत जगत के जाने-माने पुरस्कारों के साथ-साथ, भारत सरकार ने उन्हें 1990 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2022 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया |
प्रभा अत्रे को 25 जनवरी 2022 को, देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण के लिए चुना गया | जिसे उन्होंने अपने माता-पिता, गुरुओं और श्रोताओं को समर्पित किया है |
भारत में शास्त्रीय संगीत को लोकप्रिय बनाना उनका सपना है | उनका मानना है कि इसके लिये सरकार, श्रोता, कलाकार सभी को मिलकर प्रयास करना होगा |
प्रभा अत्रे विश्व भर में गुरू-शिष्य परंपरा और संस्थागत शिक्षण के अनुरूप संगीत की शिक्षा दे रही | गुरू-शिष्य परंपराओं के बीच सेतु निर्माण हेतु उन्होंने ‘स्वरमयी गुरूकुल’ की स्थापना की |
जन्म और प्रारंभिक जीवन
प्रभा अत्रे का का जन्म 13 सितंबर 1932 को पुणे में हुआ था | उनके पिताजी स्वर्गीय दत्तात्रेय पिलाजी आबासाहेब अत्रे रास्ता पेठ एजुकेशन सोसाइटी स्कूल पूणे ( वर्तमान में आबासाहेब अत्रे हाई स्कूल और जूनियर कॉलेज ) में प्रधानाध्यापक थें | उनकी माँ स्वर्गीय इन्दिराबाई अत्रे एक शिक्षिका थीं |
प्रभा अत्रे और उसकी बहन उषा अत्रे बचपन से ही संगीत में रुचि रखते थे, लेकिन उन्होंने करीअर के रूप में संगीत को आगे बढ़ाने की कोई योजना नहीं बनाई थी |
जब प्रभा जी आठ वर्ष की थीं, उनकी माँ थोड़ी बिमार रहने लगी थीं | उन्हें उनके एक मित्र ने शास्त्रीय संगीत सिखने का सुझाव दिया क्योंकि शास्त्रीय संगीत सुनने से स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है | इस बात से प्रेरित हो प्रभा जी के मन में शास्त्रीय संगीत सिखने की इच्छा जागृत हुईं |
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शिक्षा
उन्होने शास्त्रीय संगीत शुरूआत में विजय करंदीकर से सीखना आरंभ किया | फिर उन्होंने उन्नत प्रशिक्षण लिए किराना घराना के प्रसिद्ध संगीतकार सुरेश बाबु माने और श्रीमती हिराबाई बरोदेकर से गुरु शिष्य परम्परा प्रणाली में शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण प्राप्त किया |
इसी के साथ ही उन्होंने दो अन्य महान कलाकार उस्ताद बड़े गुलाम अली खान और उस्ताद अमीर खान से प्रभावित हो अपनी गायिकी में ठुमरी को प्रदर्शित किया | उन्होंने कथक नृत्य शैली में औपचारिक प्रशिक्षण भी प्राप्त किया है |
प्रभा जी ने फर्ग्यूसन कॉलेज, पुणे विश्वविद्यालय से विज्ञान से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की | फिर उन्होंने लॉ कॉलेज, पुणे विश्वविद्यालय से कानून (एलएलबी) का अध्ययन किया |
उन्होंने गंधर्व महाविद्यालय मंडल संगीत अलंकार (संगीत के मास्टर), संगीत और नृत्य के ट्रिनिटी लाबान संगीतविद्यालय, लंदन (पश्चिमी संगीत सिद्धांत ग्रेड- IV) में भी अध्ययन किया है |
बाद में उन्होंने संगीत में पीएच.डी. की डिग्री प्राप्त की | उनकी डॉक्टरेट थीसिस का शीर्षक सरगम था, और भारतीय शास्त्रीय संगीत में सोल-फा नोट्स (सरगम) के उपयोग से संबंधित था |
करियर
प्रभा जी ने अपने करियर के शुरुआती दिनों में एक गायन मंच-अभिनेत्री के रूप में एक छोटा कार्यकाल किया था | उन्होंने मराठी थिएटर क्लासिक्स की एक लाइन-अप में भी भूमिकाएँ निभाईं, जिसमें संगीत नाटक जैसे संशाय-कल्लोल, मनापमान, सौभद्र और विद्याहारन शामिल थे |
वर्तमान में प्रभा जी किराना घराने का प्रतिनिधित्व करने वाले देश के वरिष्ठ गायकों में से एक हैं |
एक प्रतिभाशाली रचनात्मक विचारक के रूप में, महान कलाकार, संगीतकार, लेखक और संगीत जैसे विविध पहलुओं में प्रभा जी को एक अलग स्थान प्राप्त है |
मारू बिहाग और कलावती के साथ उनका पहला एलपी, आमिर खान के प्रभाव को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करता है | उन्होंने वैश्विक स्तर पर भारतीय शास्त्रीय गायन संगीत को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है |
प्रभा जी ख्याल, ठुमरी, दादरा, ग़ज़ल, गीत, नाट्यसंगीत और भजन जैसी विभिन्न संगीत शैलियों में सक्षम हैं | वे 1969 से छात्रों को प्रशिक्षित कर रही हैं |
प्रभा जी की मंच पर सुखद और सम्मानजनक उपस्थिति, पवित्र और रचनात्मक दृष्टिकोण, स्वन और गतिशीलता की बारीकियों के साथ कल्पनाशील खेलने, आलाप, तान और सरगम, शब्दों की सटीक जोड़बंदी में जटिल और आकर्षक वाक्यांशों पर उनका सरल नियंत्रण, भावनात्मक चित्रण सभी एक साथ चरम श्रेष्ठ स्तर के दिखते है |
उन्होंने भरतनाट्यम नृत्यांगना सुचेता भिडे चापेकर द्वारा कोरियोग्राफ किए गए पूर्ण-लंबाई वाले नृत्य कार्यक्रम ‘नृत्य प्रभा’ के अनुकूल संगीत रचनाएं रची है |
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प्रभा जी नीदरलैंड में रॉटरडैम कंज़र्वेटरी सहित पश्चिम के कुछ संस्थानों में अतिथि प्रशिक्षक रही हैं | म्यूज़िक कंज़र्वेटरी, मॉन्ट्रो स्विटज़रलैंड, कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजिल्स में अतिथि प्रशिक्षक रही | उन्हें एथनोम्यूज़िकोलॉजी में प्रयुक्त शोध सामग्री का अध्ययन करने के लिए इंडो-अमेरिकन फैलोशिप प्राप्त है |
ऑल इंडिया रेडियो के साथ एक पूर्व सहायक निर्माता रही | वे हिंदी और मराठी भाषा में ए ग्रेड – ऑल इंडिया रेडियो ड्रामा आर्टिस्ट भी रही |
संगीत के लिए सेवाओं की मान्यता के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा ‘विशेष कार्यकारी मजिस्ट्रेट’ के रूप में उनकी नियुक्ति की गई थी |
एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय, मुंबई में संगीत प्रशिक्षक और प्रमुख पद पर कार्यरत रही |
1992 में, उन्होंने एक वार्षिक पंडित सुरेशबाबू माने और हीराबाई बडोडेकर संगीत सम्मेलन संगीत समारोह शुरू किया | यह समारोह हर साल दिसंबर में मुंबई में होता है |
वे 1981 से ‘स्वराश्री’ रिकॉर्डिंग कंपनी के लिए मुख्य संगीत निर्माता और निर्देशक रही | 1984 में केंद्रीय फिल्म सेंसर बोर्ड के सलाहकार पैनल की सदस्य बनी |
डिस्कोग्राफी :
- मारू बिहाग, कलावती, खमाज ठुमरी
- निरंजनी – पुरिया कल्याण, शंकरा, बसंत
- अनंत प्रभा – ललित, भिन्न शद्ज, भैरवी ठुमरी
- बागेश्री , खमाज ठुमरी
- जोगकौंस, टोडी, ठुमरी
- मलकौंस , दादरा
- चंद्रकौंस
- मधुकौंस
- मधुवंती, देसी
- यमन, भैरवी
- श्याम कल्याण, बिहाग, रागश्री ठुमरी
- 1970 के दशक के लाइव संगीत समारोहों से गज़ल और भजन रिकॉर्डिंग |
पुरस्कार
- संगीत के लिए आचार्य अत्रे पुरस्कार (1976)
- जगतगुरु शंकराचार्य ने गण-प्रभा की उपाधि प्रदान की
- भारत सरकार द्वारा 1990 में पद्म श्री और 2002 में पद्म भूषण से सम्मानित
- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1991)
- जायंट्स इंटरनेशनल अवार्ड, राष्ट्रीय कालिदास सम्मान
- संगीत नाटक अकादमी द्वारा टैगोर अकादमी रत्न पुरस्कार की घोषणा (2011)
- दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार
- हाफिज अली खान पुरस्कार
- ग्लोबल एक्शन क्लब इंटरनेशनल द्वारा अभिनंदन सम्मान
- गोविंद-लक्ष्मी पुरस्कार
- गोदावरी गौरव पुरस्कार
- डागर घराना पुरस्कार
- आचार्य पंडित राम नारायण फाउंडेशन अवार्ड मुंबई
- उस्ताद फैयाज अहमद खान मेमोरियल अवार्ड ( किराना घराना )
- कला-श्री सम्मान (2002)
- पीएल देशपांडे बहुरूपी सनमन
- संगीत साधना रत्न पुरस्कार
- पुणे विश्वविद्यालय द्वारा ‘लाइफटाइम अचीवमेंट’ पुरस्कार
- शिवसेना मुंबई द्वारा माहिम रत्न पुरस्कार
- मुंबई के मेयर द्वारा अभिनंदन, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय जीवनी कार्यों में नाम शामिल है
- उनकी पुस्तक स्वरमयी को राज्य सरकार पुरस्कार
- तात्यासाहेब नाटू ट्रस्ट और गणवर्धन पुणे द्वारा स्थापित वर्ष 2011 से “स्वरायोगिनी डॉ प्रभा अत्रे राष्ट्रीय शास्त्री संगीत पुरस्कार”
अपनी मेहनत और लगन से प्रभा जी ने साहित्य और कला जगत में अपनी एक अलग ही छाप बनाई है |
जीवन में कुछ पल ऐसे आते है जो हमे अपने जीवन उद्देश्य की ओर अग्रसर करते है | यह तो केवल और केवल हम पर निर्भर करता है कि हम परिस्थितियों से हार कर भाग्य को कोसने लगे या फिर उसमें कोई अवसर ढूंढे |
Jagdisha का महान शास्त्रीय संगीतकार को कोटि कोटि प्रणाम | हम आपके स्वस्थ जीवन की कामना करते है |