सबसे ऊपर कोई खबर चर्चा में अगर है तो वह है, रूस – यूक्रेन के बीच का युद्द | इस जंग के कारण यूक्रेन की आम जनता भी सुरक्षित नही है | ऐसे में वहाँ रहने वाले दूसरे देशों के लोग कैसे भी अपने देश वापस लौटने की फिराक में है | सभी अन्य देशों की सरकार भी अपने नागरिको को सकुशल अपने देश वापस लाने के लिए प्रयत्नशील है |
भारत देश की सरकार भी मिशन गंगा के नाम से यूक्रेन गए अपने नागरिको और पढ़ने के लिए गये सभी छात्रों को वहाँ से सुरक्षित लाने में लगी हुई है | वहां पढ़ने गए भारतीय छात्रों ने कई वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किए और वहां बढ़ रहे खतरे के बारे में बताया | अब जब वो छात्र वापस अपने देश भारत आ रहे हैं तो बहुत खुश हैं और धन्यवाद कर रहे हैं | ऐसे बूरे हालात के बीच में कोई आने से ही मना कर दे, तो यह सुनने में ही बड़ी अचंभित बात लग रही है |
लेकिन हरियाणा के चरखी दादरी की एक 17 साल की बहादुर लड़की नेहा अपने मकान मालिक की सहायता के लिए यूक्रेन में ही डटी है |
उसने जब तक युद्ध चल रहा है, तब तक वही रहने का फैसला लिया है | और भारत लौटने से साफ इंकार कर दिया |
उसका कहना है कि उन्हें मेरी इस समय बहुत अधिक आवश्यकता है | जब मेरे पास कोई आसरा नहीं था तो वो मेरी मदद के लिए आगे बढ़कर आए थे | अब कर्ज चुकाने की बारी मेरी है | मैं यहां से नहीं लौटने वाली |
आपने यह तो सुना ही होगा कि जब मुश्किल घड़ी आती है, तब स्वयं की परछाई भी दूर भागने लगती है | हम नैतिकता और मानवता के पाठ सिर्फ किताबो में ही पढ़ते है, लेकिन नेहा ने तो इंसानियत का सही सबक दे दिया |
अपनी माँ के बुलाने पर भी नेहा अपनी बात से टस से मस न हुई, और उन्हें भी कह दिया मैं रहूं या न रहूं लेकिन जब तक युद्ध चल रहा है इस परिवार को छोड़ कर नही आऊंगी |
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17 साल की नेहा की मां एक स्कूल में शिक्षिका हैं | उसके पिता भारतीय सेना में थे, कुछ सालो पहले उनकी मृत्यु हो चुकी है | वह वहां मेडिकल की पढ़ाई के लिए गई थी | लेकिन जब हॉस्टल में कमरा नहीं मिला तो कीव के एक निर्माण इंजिनियर ने उसे पेइंग गेस्ट (PG) के रूप में अपने घर में स्थान दिया |
नेहा जिस घर में रहती हैं उस घर का मालिक अपनी इच्छा से यूक्रेन फौज में शामिल हो गया और रूस के खिलाफ हथियार उठा लिए हैं | ऐसे में उसकी बीवी और 3 बच्चे घर पर अकेले रह गए हैं | पिता का साया खो चुकि नेहा ने जिसके बाद यह आश्चर्यजनक फैसला किया है कि उनके साथ ही रहेगी और बच्चों को संभालने में बच्चों की मां की मदद करेगी | इसलिए, नेहा ने अपनी मां से कहा है कि मैं रहूं या न रहूं लेकिन बच्चों और उनकी मां को ऐसी हालत में मैं अकेला नहीं छोड़ सकती |
नेहा की माँ की मित्र सविता जाखड़ ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि कुछ समय के लिए नेहा का फोन बंद हो गया था | लेकिन अब उसने फोन चार्ज करने का साजोसामान जुटा लिया है |
अपनी फेसबुक पोस्ट में सविता ने बताया कि मकान मालिक के हथियार उठाने के बाद उनकी पत्नी और तीन बच्चों ने बंकर में शरण ली | नेहा भी उनके साथ बंकर में ही है | वो उनकी देखभाल कर रही है | नेहा की माँ ने बड़ी कठिनाई से दूतावास में अपनी बेटी के सुरक्षित देश लौट आने के लिए मदद मांगी और उसे वापस लाने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा दी, कि उसे वहां से वापस बुला लिया जाए | लेकिन उसने वापस लौटने से ही इंकार कर दिया | सविता का कहना है कि वो हैरत में है कि कौन सी चीज उसे वहां रुके रहने की प्रेरणा दे रही है |
इस बीच, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार 27 फरवरी को कहाँ कि केंद्र सरकार यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए दिन-रात काम कर रही है | उत्तर प्रदेश, बस्ती में एक जनसभा को संबोधित करते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि ‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत हजारों भारतीय नागरिकों को सुरक्षित घर वापस लाया जा रहा है |
किसी की मदद करने के लिए अपने जीवन को भी संकट में डाल देना हर किसी के बस की बात नही है | हर मनुष्य पहले स्वयं की सुरक्षा सुनिश्चित करता है | अपने आप को खतरे में डालना वो भी दूसरों के लिए, उसके लिए तो कठोर हृदय चाहिए यानी बड़ा जिगरा होना चाहिए |
कौन कहता है इंसानियत अब शेष नही है, यह भारत है और आज भी प्रेम भाव और मानवता का प्रभाव यहाँ देखा जा सकता है |
Jagdisha का इस जटिल फैसला करने वाली लड़की को सलाम |
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