आपकी इनफर्टिलिटी का यह एक कारण भी हो सकता है - क्या है एंडोमेट्रियोसिस?

पीरियड के समय सामान्यतः पेट में दर्द, पेट में ऐठन, कमर में दर्द जैसी समस्याएं का होना आम बात है| 

हर एक महिला का शरीर प्रति माह गर्भावस्था के लिए तैयार होता है| गर्भावस्था के लिए एंडोमेट्रियल अस्तर कोशिकाओं की एक परत से घिरा होता है| ऐसे समझिए जैसे गर्भाशय में एंडोमेट्रियल अस्तर के रूप में पोषण के लिए जमीन तैयार होती है| 

लेकिन गर्भावस्था न होने पर गर्भाशय निषेचित अंडों और गर्भाशय के टिश्यू (lining of the uterus) योनि से रक्तस्त्राव के जरिए बाहर निकालने लगता है| इस प्रक्रिया को पीरियड कहते हैं| 

एंडोमेट्रियल ऊतक जब आपकी गर्भाशय गुहा के बाहर बढ़ता है, तो इसे एंडोमेट्रियोसिस कहा जाता है| लेकिन पीरियड के समय यह बाहर नहीं निकल पाता है, जिससे आपको असहनीय दर्द हो सकता है| और साथ ही महिलाओं में प्रजनन क्षमता भी कम हो सकती है|

एक अध्ययन के अनुसार भारत में 10 में से 1 महिला एंडोमेट्रियोसिस से ग्रसित है|

एन्डोमीट्रीओसिस क्या है?

एंडोमीट्रियल ऊतक गर्भाशय की आंतरिक परत में पाई जाती है जबकि एन्डोमीट्रीओसिस ऊतक गर्भाशय से बाहर अंडाशय, आंत्र और श्रोणि (Pelvic) पर बढ़ने लगते है| प्रति माह ये एंडोमीट्रियल ऊतक की तरह बनते है और झड़ जाते है| 

लेकिन इस ऊतक के बाहर निकलने का कोई रास्ता नही होता तो यह रक्त फिर अंडाशय, आंत्र और श्रोणि के अंगों के आस-पास ही जमने लगता है| और इस जमे हुए रक्त के कारण गर्भाशय के आस-पास के अंग आपस में चिपक जाते है|

एंडोमेट्रिओसिस अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब, योनि, सर्विक्स (गर्भाशय ग्रीवा), वल्वा, आंत्र, ब्लैडर (मूत्राशय), या रेक्टम (मलाशय) जैसे अंगो में हो सकता है| कुछ दुर्लभ स्थिति में एंडोमेट्रिओसिस शरीर के अन्य भागों में हो सकता है, जैसे कि फेफड़े और त्वचा|

आपके पीरियड के समय हार्मोनल परिवर्तन गलत एंडोमेट्रियल ऊतक को प्रभावित करते हैं| इसका मतलब है कि ऊतक बढ़ेगा, मोटा होगा, और टूट जाएगा| समय के साथ, जो ऊतक टूट गया है उसे बाहर निकलने का रास्ता तो मिलता नहीं और वह श्रोणि में फंस जाता है|

एन्डोमीट्रीओसिस एक क्रोनिक बीमारी है जो समय के साथ-साथ बढ़ती जाती है|

एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण अलग-अलग होते हैं| कुछ महिलाएं हल्के लक्षणों का अनुभव करती हैं, लेकिन अन्य में मध्यम से गंभीर लक्षण हो सकते हैं| आपके दर्द की गंभीरता स्थिति की डिग्री या अवस्था का संकेत नहीं देती है| 

किसी महिला में एंडोमेट्रियोसिस का हल्का रूप हो फिर भी पीड़ादायक दर्द का अनुभव हो सकता है| और यह भी संभव है कि इसका गंभीर रूप हो लेकिन बहुत कम असुविधा या कोई असुविधा महसूस ही न हो|

आपको अजीब लगेगा परंतु कुछ महिलाओं में एंडोमेट्रियोसिस का कोई लक्षण ही महसूस नही होता| गर्भधारण न होने की स्थिति में डॉक्टर द्वारा किए गए परीक्षण में पता चलता है कि उन्हें एंडोमेट्रियोसिस विकार ने खेर रखा है|

एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण क्या है?

 

  • पीरियड के समय बहुत दर्द होना
  • अधिक रक्तस्राव
  • बिना पीरियड के श्रोणि के हिस्से में दर्द होना
  • संभोग के दौरान दर्द होना
  • बाँझपन
  • थकान
  • आंत्र समस्याएं जैसे समय-समय पर सूजन, दस्त या कब्ज
  • शौच में दर्द या मुश्किल होना
  • मूत्र में खून आना
  • गुदा से खून आना
  • कंधे में दर्द
  • कमर में दर्द

अगर आपको इनमें से एक से अधिक लक्षण मेहसूस होते हैं तो अपने डॉक्टर से जरूर सलाह ले|

एंडोमेट्रिओसिस के चरण?

एंडोमेट्रिओसिस के 4 चरण होते है|

पहला चरण या न्यूनतम एंडोमेट्रियोसिस

एंडोमेट्रिओसिस के पहले चरण में बहुत कम प्रत्यारोपण होते हैं जिन्हें कभी-कभी अल्सर या ओवेरियन कैंसर भी समझ लिया जाता है| वे श्रोणि की सतह पर छोटे धब्बों की तरह लगते हैं| आपको पेल्विक कैविटी में या उसके आसपास जलन और सूजन हो सकती हैं|

 

दूसरा चरण या हल्का एंडोमेट्रियोसिस

हल्के एंडोमेट्रिओसिस का निदान हो सकता है| दूसरे चरण में पहले चरण जैसे ही लक्षण महसूस होते हैं लेकिन वह और भी ज़्यादा गंभीर होते हैं| हल्के एंडोमेट्रियोसिस में अंडाशय और श्रोणि की सतह पर हल्के घाव और उथले प्रत्यारोपण शामिल हैं| जिससे ओवुलेशन के समय दर्द होता है| दूसरे चरण में गर्भाशय और मलाशय के बीच के हिस्से में घाव हो जाते हैं|

 

तीसरा चरण या मध्यम एंडोमेट्रियोसिस

तीसरे चरण में एंडोमेट्रीओमा या चॉकलेट अल्सर दिखाई देने लगते हैं| मध्यम एंडोमेट्रियोसिस में आपके अंडाशय और श्रोणि की सतह पर कई गहरे प्रत्यारोपण होते हैं| यदि रसोली फट जाती है तो इससे बहुत अधिक पेट दर्द और श्रोणि में सूजन हो सकती है| सूजन और संक्रमण से चिपकाव भी ज़्यादा होते हैं| 

 

चौथा चरण या गंभीर एंडोमेट्रिओसिस

इस चरण में एंडोमेट्रीओमा एक अंगूर के दाने जितना बड़ा हो सकता है| इस चरण में महिलाओं को पाचन समस्याएं, दर्दनाक मल त्याग, कब्ज, उल्टी, दस्त और पेट दर्द होते हैं| इसके अलावा, चौथे चरण में बाँझपन की समस्या भी सकती है|

एंडोमेट्रियोसिस के क्या कारण है?

एंडोमेट्रिओसिस का सही कारण ज्ञात नही है| विशेषज्ञ इसका निश्चित कारण नहीं जानते है लेकिन निम्नलिखित में से कुछ स्थितियां इसका कारण​ हो सकती हैं|

रेट्रोग्रेड पीरियड्स

रेट्रोग्रेड पीरियड्स मे पीरियड के रक्त वाली एंडोमेट्रिअल कोशिकाएं फैलोपियन ट्यूबों के माध्यम से शरीर के बाहर जाने की जगह पेल्विक कैविटी में चली जाती हैं|  ये एंडोमेट्रियल कोशिकाएं श्रोणि अंगों और श्रोणि की दीवारों से चिपक जाती हैं| जहाँ वे मोटी हो जाती हैं और पीरियड के समय रक्तस्राव शुरू कर देती हैं|

पेरिटोनियल कोशिकाओं का परिवर्तन 

यौवन के दौरान पेट के अंदरूनी भाग को रेखांकित करने वाली पेरिटोनियल कोशिकाओं का एंडोमेट्रिअल कोशिकाओं में परिवर्तन| इसे इंडक्शन सिद्धांत भी कहा जाता है|

 

भ्रूण कोशिका परिवर्तन 

एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन यौवन के दौरान भ्रूण कोशिकाओं को एंडोमेट्रिअल कोशिका प्रत्यारोपण में बदल सकते हैं|

 

सर्जिकल निशानों में जमावट 

हिस्टेरेक्टॉमी या सी-सेक्शन जैसी सर्जरी के बाद  एंडोमेट्रिअल कोशिकाएं सर्जरी में लगे चीरे से जुड़ सकती हैं|

 

एंडोमेट्रिअल सेल ट्रांसपोर्ट 

रक्त वाहिकाएं या लिम्फेटिक सिस्टम एंडोमेट्रिअल कोशिकाओं को शरीर के अन्य भागों में ले जा सकती हैं|

 

प्रतिरक्षा प्रणाली विकार 

संभवतः प्रतिरक्षा प्रणाली की किसी समस्या के कारण, यह शरीर को एंडोमेट्रिअल ऊतक को पहचानने और नष्ट करने में असमर्थ बना सकता|

एंडोमेट्रियोसिस होने का अधिक खतरा

 

  • सभी उम्र की महिलाओं में एंडोमेट्रिओसिस होने की संभावना होती हैं| यह प्राय: 25 से 40 की उम्र के बीच की महिलाओं को प्रभावित करता है, लेकिन लक्षण यौवन से शुरू हो सकते हैं|
  • पारिवारिक इतिहास होना|
  • गर्भावस्था, एंडोमेट्रिओसिस से महिलाओं को बचाती है| जिन महिलाओं ने कभी जन्म नहीं दिया है उन्हें एंडोमेट्रिओसिस होने का जोखिम ज़्यादा होता है| हालांकि, यह उन महिलाओं में भी हो सकता है जो पहले गर्भवती हो चुकी हैं|

 

अगर आपको पीरियड से सम्बंधित समस्याएं हैं, तो अपने डॉक्टर से बात करें क्योंकि इससे आपको ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतर बढ़ जाता है|

एंडोमेट्रियोसिस के संकेत क्या हो सकता है?

 

  • गर्भधारण करने में असमर्थ
  • पीरियड की शुरुआत जल्दी होना
  • रजोनिवृत्ति ज्यादा उम्र के बाद होना|
  • 27 दिनों से कम समय में पीरियड होना
  • आपके शरीर में एस्ट्रोजन का उच्च स्तर होना
  • शारीरिक द्रव्यमान का कम होना
  • एक या अधिक परिवार के सदस्य को एंडोमेट्रियोसिस होना
  • गर्भाशय में असामान्यताएं

एंडोमेट्रियोसिस विकार को पूरी तरह रोका नहीं जा सकता हैं| एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण स्थायी रूप से समाप्त हो सकते हैं| आप अपने शरीर में एस्ट्रोजेन हार्मोन के स्तर को कम करके इसकी विकसित होने की आशंका कम कर सकती हैं|

एस्ट्रोजेन आपके मासिक चक्र के दौरान आपके गर्भाशय की लाइनिंग को मोटा करता है|

गर्भवती होने पर अस्थायी रूप से समाप्त हो जाते हैं|

रजोनिवृत्ति के बाद आप इस समस्या से मुक्त हो जाती है|

एस्ट्रोजन का स्तर कम करने के लिए क्या करे

 

  • नियमित रूप से व्यायाम करें| यह आपको शरीर में फैट कम करने में भी मदद करेगा| 
  • अधिक मात्रा में शराब का सेवन न करे
  • अधिक मात्रा में कैफीन-युक्त पेय का सेवन न करे|

हार्मोनल गर्भनिरोधक विधियों के बारे में अपने डॉक्टर से सलाह लें|

एंडोमेट्रिओसिस का कोई इलाज नहीं है लेकिन इसके लक्षणों को सुधारने के लिए उपचार उपलब्ध हैं| 

 

  • एंटी-इंफ्लेमेटरी या एनएसएआईडी दवाओं का प्रयोग रक्तस्त्राव और दर्द को कम करने के लिए किया जाता है जैसे इब्यूप्रोफन|
  • गर्भनिरोधक गोलियां अक्सर एंडोमेट्रिओसिस के इलाज के लिए उपयोग होती हैं लेकिन अगर आप गर्भवती होना चाहती हैं तो आप इनका उपयोग नहीं कर सकतीं|
  • हार्मोन थेरेपी से पीरियड को रोका जाता है| जो प्रत्यारोपण को सिकोड़ती है| लेकिन इसके दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं| जन्म नियंत्रण गोलियों की तरह, हार्मोन थेरेपी भी आपको गर्भवती होने से रोकती है
  • प्रत्यारोपण और स्कार टिश्यू को हटाने के लिए लैपरोस्कोपी का उपयोग किया जाता है| लेप्रोस्कोपी यह निर्धारित करने में मदद करती है की प्रत्यारोपण का स्थान क्या है और कितना बड़ा है| इससे दर्द कम हो सकता है| यह आपको गर्भवती होने में भी मदद कर सकता है
  • गंभीर दर्द के लिए अंतिम उपाय के रूप में, कुछ महिलाओं को अपने गर्भाशय और अंडाशय को निकलवाना पडता हैं जिसे हिस्टेरेक्टॉमी और ओफेरेक्टमी कहते है
 

 

हमारा उद्देश्य आपको जानकारी देना है| अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात करे और उनसे राय ले|

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