इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम क्या होता है? और इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम क्यों होता है?

दस्त, कब्ज और गैस जैसी समस्याएं तो आम होती है | लगभग सभी इनसे प्रभावित होते है | वो अलग बात है कि इनमे से कोई भी विकार हालत खस्ता कर देता है |

इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम क्या है?

इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (आईबीएस) बडी़ आंत को प्रभावित करने वाला विकार है | जिसके कारण पेट में दर्द, ऐंठन, सूजन, गैस, दस्त और कब्ज, व मल त्याग करने में परेशानी होती है |

इसे स्पैस्टिक कोलन, इर्रिटेबल कोलन, म्यूकस कोइलटिस जैसे नामों से भी जाना जाता है | यह आंतों को खराब तो नहीं करता लेकिन खराब होने के संकेत देने लगता है | 

इससे न केवल व्यक्ति को शारीरिक समस्या महसूस होती है, बल्कि उसकी पूरी जीवनशैली प्रभावित हो जाती है | 

पुरुषों की तुलना में यह बीमारी महिलाओं को लगभग दोगुना अधिक प्रभावित करती हैं |

हालांकि, इसके संकेत और लक्षण असहज हैं, आईबीएस – अल्सरेटिव कोलाइटिस (आंत की सूजन) और क्रोहन रोग, जो इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज के रूप हैं  | 

यह आंतों के ऊतक में परिवर्तन नहीं करता है या आपके कोलोरेक्टल कैंसर के खतरे को नहीं बढ़ाता है |

आईबीएस से ग्रसित केवल कुछ व्यक्तियों में गंभीर संकेत और लक्षण होते हैं |

आईबीएस आहार, जीवन शैली और तनाव के प्रबंधन द्वारा इसके लक्षणों को नियंत्रित कर सकते हैं | लेकिन कुछ व्यक्तियों को दवा और परामर्श की आवश्यकता होती है |

आईबीएस के लक्षण

  • पेट में दर्द या ऐंठन 
  • पेट फूला हुआ महसूस होना
  • गैस
  • दस्त या कब्ज, कभी-कभी कब्ज और दस्त का बारी-बारी से होना
  • मल त्यागने में कठिनाई होना
  • सूजन
  • श्लेष्म युक्त मल

जोखिम कारक 

मानसिक स्वास्थ्य समस्या :  चिंता, अवसाद, व्यक्तित्व विकार और बचपन में हुए यौन शोषण का इतिहास इसका जोखिम कारक हैं | महिलाओं के लिए घरेलू हिंसा भी एक खतरा हो सकता है | तनाव अधिक बढ़ने पर लक्षण और गंभीर होने लगते है और अन्य परिस्तिथि उत्पन्न हो सकती है |

महिलाओं में : महिलाओं के पीरियड के दौरान या गर्भावस्था के समय हार्मोन बदलाव होने पर आईबीसीएस के लक्षण को बढ़ा सकते है |  

युवा में : आईबीएस 45 वर्ष से कम उम्र के लोगों में उत्पन्न हो सकता है |

खाद्य पदार्थ : कुछ खाद्य पदार्थ, जैसे मसाले, सेम की फली, दूध, ब्रोकली, अल्कोहल आदि का अत्यधिक सेवन समस्या उत्पन्न कर सकते है | 

अन्य बिमारिया : बीमारिया जैसे दस्त या संक्रमण, आंत में जीवाणु की उपस्थिति होने से |

पारिवारिक इतिहास : अध्ययनों से पता चलता है कि जिन लोगों के परिवार के सदस्य आईबीएस से ग्रसित हैं, उन्हें इस बीमारी का अधिक खतरा हो सकता है |

इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम क्यों होता है? 

आईबीएस के स्पष्ट कारण का अभी तक नहीं पता चला है, लेकिन कई कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं | 

आंतों की सतह पर मांसपेशियों की परतें पंक्तिबद्ध होती हैं, जो एक नियमित लय में फैलती और सिकुड़ती हैं | और भोजन को आपके पेट से आंत्र नली के माध्यम से मलाशय में ले जाती हैं, जिससे पाचन क्रिया पूरी होती है |

  • यदि आप आईबीएस से ग्रसित हैं, तो यह संकुचन सामान्य से अधिक तेज और अधिक समय के लिए हो सकता है, जिससे गैस, सूजन और दस्त हो सकते हैं | 
  • इसके विपरीत कमजोर आंतों का संकुचन भोजन मार्ग को धीमा कर देता है और ठोस, शुष्क मल का कारण बनता है |
  • गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जठरांत्र संबधी) तंत्रिका तंत्र की असामान्यताओं के कारण आपके पेट में गैस या कब्ज हो सकती है, जिसके फलस्वरूप आप सामान्य से अधिक परेशानी महसूस कर सकते हैं |
  • मस्तिष्क और आंतों के बीच खराब तालमेल होने के कारण आपका शरीर उन परिवर्तनों के प्रति अनावश्यक प्रतिक्रिया कर सकता है, जो पाचन प्रक्रिया में सामान्यतः होते हैं | यह अनावश्यक प्रतिक्रिया दर्द, दस्त या कब्ज उत्पन्न कर सकती है |

डॉक्टर को कब दिखाएं?

यदि आपकी आंत की दशा में लगातार परिवर्तन हो या आप में आईबीएस के कोई अन्य संकेत या लक्षण हों, तो अपने डॉक्टर से परामर्श करना बहुत आवश्यक है | 

ये कोलन कैंसर जैसी अधिक गंभीर स्थिति का संकेत हो सकता हैं |

अधिक गंभीर स्थिति की ओर संकेत करने वाले लक्षणों में शामिल हैं :

  • मलाशय से रक्तस्राव
  • पेट दर्द जो रात में बढ़ जाता है
  • वजन घटना
  • आयरन की कमी

आहार और जीवन शैली में परिवर्तन आपको आईबीएस से राहत दे सकता है 

  • हाई प्रोटीन डाइट, वसायुक्त भोजन के सेवन से बचे |
  • मैदा व मैदे से बने खाद्य पदार्थ का सेवन न करें |
  • खिचड़ी, रस वाले फल, अनार, दही, छाछ आदि को भोजन में शामिल करना चाहिए |
  • अल्कोहल, चॉकलेट्स, कॉफी, सोडा, दूध उत्पाद लेने से आईबीएस की समस्या गंभीर बन जाती है | इनके सेवन से बचे |
  • अपना भोजन हमेशा सही समय पर लें, लंबे समय तक भूखे ना रहें |
  • अधिक पानी पीना चाहिए |
  • व्यायाम या एक्सरसाइज करे |

इस जानकारी का उद्देश्य सिर्फ जागरूकता है इसकी प्रमाणिकता के लिए आप अपने डॉक्टर से सलाह लें, किसी भी समस्या के लिये अच्छे डॉक्टर से परामर्श लिजिए | डॉक्टर आपकी समस्या को समझ उचित राय और उपचार से आपकी मदद कर सकते है |

Jagdisha के साथ अपनी राय आवश्य सांझा करे |

 

 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ