यू तो महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपना परचम लहराया है | महिलाओं को अधिकतर पाकशास्त्र, अध्यापन और फ़ैशन के क्षेत्र से ही जोडा जाता है | आज की महिला इन क्षेत्रों से भिन्न सभी कार्य कर रही है | अब राजनीति हो या मिशाइल बनाना, डॉक्टर, वकिल, पुलिस कर्मी से लेकर फाइटर जेट चलाने तक ऐसा कोई कार्यक्षेत्र नही जहां महिलाएं न हो |
हां कुछ रूढ़ी और क्षीण बुद्धी के लोग महिलाओं के उच्च पद को हजम नही कर पाते | महिलाओं को हमेशा सहजता, कोमलता, ममता और सहनशीलता जैसे गुणों का हवाला दिया जाता है |
लेकिन हम आज बात कर रहे है साहस, धैर्य, चतुर और निडर महिला की | ऐसी महिला जिन्होंने अपने करियर के रूप में जासूसी को चुना |
अब जासूसी तो एक जोखिम भरा कार्य है | अपनी पहचान तक छिपानी होती है, यहाँ तक की जीवन पर खतरा भी मडराता रहता है | फिर एक महिला के लिये तो सुरक्षित भी नही | लेकिन जब जुनून और जज्बा आपके हथियार होते है तब निश्चित ही डर नौ दो ग्यारह हो जाता है |
ऐसी ही तो है भारत की पहली महिला जासूस रजनी पंडित |
रजनी पंडित साल 1962 में महाराष्ट्र के पालघर जिले में जन्मी और वही पली-बढ़ी है | उसके पिता अपराध जांच विभाग (CID) में सब-इंस्पेक्टर के रूप में कार्यरत थे | उन्होंने बचपन से ही पिता के काम के किस्से कहानिओं में बहुत रूची थी | उनसे उन्होंने बहुत कुछ सीखा भी था | वह हमेशा से चीजो को अलग नजरिये से देखती थी | इसलिए हमेशा से ही रहस्य और जासूसी वाले उपन्यास पढ़ना उन्हें बहुत पसंद थे |
वह पढ़ाई में ठीक ठाक थी | उन्होंने मुंबई के रूपारेल कॉलेज में मराठी साहित्य में ग्रेजुएशन किया |
रजनी ने कभी नहीं सोचा था कि वह जासूस बनेगी और उसी में नाम कमाएंगी | वह भी अन्य महिलाओं की तरह ही नौकरी करना चाहती थी और पैसे कमाकर घर चलाना चाहती थीं |
कैसे शुरू हुआ जासूसी का सफर
पहली बार साल 1983 में जासूसी का कीड़ा तब उठा जब वह कॉलेज में थी | उनकी एक सहेली (क्लासमेट) जो कि अच्छे घर की लड़की थी, एक बार फोन पर किसी को बता रही थी कि कैसे वह अपने परिवार को धोखा दे रही है |
बस ये ही बात रजनी को चुभ गई और उन्होंने छानबीन करना शुरू कर दिया | उन्होंने उसका पीछा किया तो पाया कि वह गलत लोगों से मिलती है | फिर क्या था उन्होंने उसके परिवार को बताया लेकिन वे लोग तो उन्हीं पर बरस पडे | भला बुरा सुनाने लगे | बाद में जानकारी और सबूत उसके परिवार को दिखाएं तब कही जाकर उस लड़की के परिवार को यकीन हुआ और वे लोग सतर्क हुए | फिर उन्होंने रजनी को धन्यवाद देते हुए कहा कि अरे आप तो स्पाई हो!
संभवत: यह पहला वाकया था जिसने उनके मन में एक बीज बोया था |
कॉलेज खत्म हो गया, इसके बाद वह एक ऑफिस में क्लर्क की नौकरी करने लगी | वहाँ एक सहकर्मी महिला ने रजनी से अपनी दुविधा बताई कि उसके घर में चोरी हो गई है लेकिन चोर का पता नहीं लग पाया है | महिला को शक था कि चोरी उसकी बहू ने की है | उसे पता था कि रजनी को इन बातों में ज्यादा दिलचस्पी है | और वो किसी अन्य पर भरोसा भी नहीं कर सकती थी, इसीलिए उसने इस गुत्थी को सुलझाने का जिम्मा रजनी को दे दिया |
रजनी को फिर एक बार जासूसी करने का मौका मिला और उन्होंने महिला के परिवार के सभी सदस्यों के दैनिक कार्यक्रम पर अपनी नजर जमा दी | और पाया कि उस महिला का सबसे छोटा बेटा ही चोरी कर रहा था | सवाल जवाब करने पर उसके बेटे ने भी अपनी गलती मानी | इस तरह 22 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला केस सुलझा दिया |
पिता नही चाहते थे कि वे जासूसी करें
इस केस के बाद, रजनी की बहुत तारीफ होने लगी थी | इसके बाद लोग उन्हें ढूंढ ढूंढ कर अपना केस देने लगे | और वह भी एक के बाद एक केस सुलझाने लगी | काफी समय तक तो रजनी के इन कारनामों की उनके घर परिवार व माता-पिता को भनक तक न लगी | लेकिन उनके कारनामे कहाँ छुपने वाले थे | एक बार जब किसी क्षेत्र में किसी का नाम बढ़ने लगता है तो भला वो नाम गुप्त कैसे रह सकता है |
अखिरकार उनके घर में सब को उनकी जासूसी के खतरनाक काम के विषय में पता चल ही गया |
उनके पिता बिल्कुल नहीं चाहते थे कि रजनी यह सब करें | उनके पिता ने समझाया कि ज़रा सी गलती होती है तो लोग उंगली उठाते हैं और शिकायतें करते हैं | साथ ही यह काम कितना खतरनाक हो सकता है |
लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि वो उसे रोकेंगे नहीं अगर इस काम में होने वाले खतरों को जानते हुए भी वो ये करना चाहती है तो करे |
रजनी ने अपने पिता की बातो को समझा और उन्हें विश्वास दिलाया कि डर के मारे कुछ नहीं करेंगे तो जीवन भर कुछ नहीं कर पाएंगे और कभी आगे नहीं बढ़ पाएंगे |
पिता की स्वीकृति के बाद रजनी को अब किसी का डर नहीं था | उनकी मां ने भी उनका पूरा सहयोग दिया | रजनी की मां ने हर बार यही कहा, ‘वह जो करना चाहती है, कर जाएगी ; हिम्मती है मुझे भरोसा है, उस पर’ | उनकी इस बात ने हमेशा रजनी को प्रोत्साहित किया |
वहीं दूसरी ओर, परिवार के अन्य सदस्य और रिश्तेदार अपनी ही अलग राय देने और टीका-टिप्पणी करने से बाज नहीं आते |
पुलिस ने उनकी बहुत मदद की| साथ ही उन्हें गाइड भी करते थे, जिससे किसी गैरकानूनी समस्या से पहले ही सावधान हो जाती थी | इसलिए जिन लोगों के केस वे लेती हैं, उनसे कुछ लिखित कागजात पर साइन ले लेती हैं |
धीरे धीरे कई न्यूज़ चैनल्स और अख़बारों ने रजनी को कवर करना शुरू कर दिया | और अब देश की पहली महिला जासूस के तौर पर उनकी पहचान बनाने लगी थी |
नौकरी छोड़कर पूरी तरह मैदान में उतरने से पहले उन्होंने होम डिपार्टमेंट से यह जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की कि पेशेवर जासूसी के काम के लिए क्या कोई लाइसेंस चाहिए होता है | तब उन्हें बताया गया कि ऐसा कोई लाइसेंस नहीं मिलता | 3 साल तक ऐसे ही काम करती रही |
रजनी पंडित ने साल 1988 में रजनी इन्वेस्टिगेशन्स नामक कंपनी की स्थापना की | जिसमें शुरूआत में 3 लोग जुड़े थे | आज 20 लोग बतौर जासूस जुड़े हैं जो स्वतंत्र रूप से भी जासूसी के प्रोजेक्ट लेते हैं |
सबसे कठिन केस
रजनी के जीवन का सबसे कठिन केस एक डबल हत्या केस जाल को सुलझाना था | एक पिता और उसके पुत्र दोनों की हत्या हो गई थी लेकिन कातिल का कोई सुराग नहीं मिला था | ये केस रजनी के पास पहुंचा | अब इस केस की गुत्थी तो सुलझानी थी | फिर क्या जिस महिला के पति और बेटे की हत्या हुई थी रजनी उसके घर में नौकरानी बन कर घुस गईं |
वो महिला जब बीमार पड़ी तो रजनी ने उसकी बडी सेवा की और उसका विश्वास जीत लिया | लेकिन एक दिन उनके रिकॉर्डर का क्लिक बटन आवाज कर गया | और उस महिला को उन पर शक हो गया |
अब उस महिला ने रजनी का बाहर निकलना तक बंद कर दिया | और धीरे-धीरे उन्हें उस महिला के घर में काम करते हुए 6 महीने बीत चुके थे | लेकिन अभी तक ऐसा कोई सबूत हाथ नहीं लगा था जो उस महिला को गुनहगार साबित कर सके | इसी बीच एक दिन एक पुरूष उस महिला से मिलने आया | उनकी बातों से रजनी जान गई कि पिता पुत्र की हत्याएं उस व्यक्ति ने ही की हैं |
अब परेशानी यह थी कि वो घर से बाहर कैसे जाए? रजनी यह मोका कैसे जाने दे सकती थी उन्होंने किचन से चाकू लिया और अपना पैर काट लिया | उस महिला के पास चोट दिखाने गई तो पैर से खून बहता देख उसने उन्हें इसकी पट्टी कराने के लिए डॉक्टर के पास जाने दिया |
रजनी जैसे ही घर से बाहर निकली वो भागती हुई एस.टी.डी. बूथ पर गई और अपने क्लाइंट को फोन करके बताया कि “जल्दी से पुलिस लेकर उस महिला के घर पहुंचो अपराधी मिल गया है |”
कुछ ही देर में वहां पुलिस पहुंच गई और उन दोनों को गिरफ्तार कर लिया | जांच के बाद पता चला कि वो व्यक्ति उस महिला का प्रेमी था | और उसी ने महिला के कहने पर पिता और पुत्र को मारा था | रजनी के लिए यह सबसे बड़ी सफलता थी |
रजनी ने इसके बाद कई केस सुलझाएं | जिसके लिए उन्होंने बहुत बार अपना भेष भी बदला | कभी प्रेग्नेंट औरत तो कभी फेरीवाले का भेष बदलकर काम किया |
ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे ने भी उन्हें फीचर किया, जहां उन्होंने बताया कि अब तक उन्होंने 80 हजार से ज्यादा केस सुलझाए हैं |
रजनी को पहला अवॉर्ड 1990 में मिला और आज 30 साल से कम समय में ही उन्हें 67 अवॉर्ड मिल चुके हैं |
पहले तो लोग कहते थे कि जो औरत लोगों का घर तोड़ रही है उसे क्यों अवॉर्ड दिया गया | मगर कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने कहा कि बीमारी पहले पता चल जाए तो अलर्ट हो जाते हैं |
रजनी ने फेसिस बिहाइंड फेसिस और मायाजाल नाम से दो किताबें भी लिखी हैं | उनके जीवन पर एक डॉक्यूमेंट्री भी बन चुकी है और कहा जाता है कि विद्या बालन अभिनीत फिल्म बॉबी जासूस उनके जीवन पर आधारित है |
साल 2017 में वह एक कॉन्ट्रोवर्सी का शिकार हुई थीं | रजनी पर अपने क्लाइंट के लिए गलत ढंग से कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स (सीडीआर) प्राप्त करने, अवैध रूप से सोर्सिंग और सीडीआर बेचने का गंभीर आरोप लगा था | इस मामले में उन्हें फरवरी 2018 में अरेस्ट भी किया गया था |
रजनी को दूरदर्शन द्वारा हिरकणी अवार्ड दिया गया | राष्ट्रपति कोविंद द्वारा उन्हें फर्स्ट लेडी डिटेक्टिव अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है | यह अवॉर्ड उन्हें महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से दिया गया |
हर महिला को साहस, निडरता और धैर्य को अपना गहना बनाना चाहिए | चांद जैसा चेहरा नही सूरज जैसी दमक चाहिए | असहाय का रोना नहीं बल्कि साहस का शक्ति पुंज चाहिए | इस बात में कोई दोराय नही कि हर महिला में अपार साहस है |
Jagdisha आपके साहस और जज्बे को सलाम करते है |
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