इस महिला बाइकर ने उच्चतम पास पर बाइक चलाने के कई विश्व रिकॉर्ड बनाये है |
आसानी से या बैठे बिठाये कोई ख्याति नही मिलती, अब अगर ऊँचाइयों को छूना है तो भय का वहाँ कोई काम नहीं | क्या तो मुश्किलों का हवाला दे कर राह बदल दो और किस्मत को कोस उस पर सारा आरोप लगा दो | या फिर साहस और दृढ़ता से मुश्किलों को पार कर केवल अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हो जाओं |
बात महिला या पुरूष की नही है, मुख्य बात तो आपकी स्वयं की है | अगर आपके जीवन का कोई उद्देश्य है, तो वो इतना बड़ा होना चाहिये कि आपको सिर्फ अपनी मंजिल तक पहुँचने की हर संभव राह दिखाई दे | महिला होना कोई कमजोरी या कोमलता का प्रतीक नही है | साहस महिलाओं में भी प्रचुर होता है |
पल्लवी फौजदार एक उत्तम उदाहरण है, सभी महिलाओं के लिए हिम्मत, जज्बे और निडरता का | इन्होंने बाईक राइडिंग में कई विश्व रिकॉर्ड बनाएं है |
20 दिसंबर 1979 में जन्मी पल्लवी फौजदार को अपने पापा की बाइक बहुत पसंद थी | उनमें बाइक चलाने की एक अलग ही धुन थी | उनके पापा अशोक फौजदार, सेवानिवृत्त इलैक्ट्रिकल इंजीनियर है | जब भी वह अपने पापा को बाइक चलाते देखती तो उनके मन में भी बाइक चलाने की तीव्र इच्छा उत्पन्न होती |
इन्होंने सबसे पहले 14 साल की उम्र में बाइक चलाई थी, और तब से ही उनकी बाइक राइडिंग की रूची बढ़ती गई |
अक्सर वह अपने पापा की बाइक चूरा कर ले जाया करती थी | घर में किसी को पता न चले इसलिए आधा किलोमीटर तक बाइक को पैदल खींच कर ले जाया करती और फिर स्टार्ट करके चलाती थी |
उनके पापा के दोस्त ने जब उनके पापा से उनकी यह शिकायत लगाई कि वह बाइक चलाती है, तब वे हैरान तो अवश्य ही हुए थे | लेकिन उन्होंने बेटी के शौक को दबाने नही दिया | उनका मानना था कि जब बेटा और बेटी की शिक्षा में कोई अंतर नही तो बेटी के शौक का क्यों गला दबाया जाए |
साल 2004 में पल्लवी फौजदार की शादी नोएडा के परीक्षित मिश्रा से हुई | उनके पति भारतीय सेना में मेजर है | वह दो बच्चों की माँ है | दो बच्चों की माँ होने के नाते बाइक राइडिंग के अपने शौक को कायम रखना थोड़ा मुश्किल जरूर था | परंतु ससुराल में भी उन्हें पूर्ण सहयोग मिला | सच ही है, जब परिवार का साथ हो तो चीजें अपने आप ही संतुलित हो जाती है |
पल्लवी फौजदार बेंगलुरु में फैशन डिजाइनर भी रह चुकी है | साथ ही वे समाजसेवी और रेकी विशेषज्ञ भी है |
उन्होंने अपने राइडिंग करियर की शुरूआत नई दिल्ली के एक राइडिंग ग्रुप में शामिल हो कर की थी |
2015 में उन्होंने दो वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाएं | पहला सोलो राइड लेह लद्दाख, इसमें उन्होंने 16 पास कवर किए थे, जिसमें आठ पास 5000 मीटर से भी ऊंचे थे |
दूसरा देवभूमि उत्तराखंड का देव ताल, जिसकी ऊंचाई 5638 मीटर थी | साथ ही पल्लवी फौजदार 5471 मीटर या 17950 फीट की ऊंचाई पर स्थित देवताल झील, ताजे पानी की सबसे ऊंची झील की सवारी करने वाली पहली महिला बाइक चालक है |
पल्लवी फौजदार ने अपना तीसरा विश्व रिकॉर्ड माना पास पर पहुंच कर बनाया था, जिसकी ऊंचाई 18774 फीट थी | यह पहला किसी महिला और पुरुष बाइकर श्रेणी में बनाया गया रिकॉर्ड था |
पल्लवी फौजदार ने 2017 में अपना ही विश्व रिकॉर्ड तोड़ते हुए 19323 फीट या 5803 की ऊंचाई पर बाइक चलाई |
अपने नए रिकॉर्ड की शुरूआत पल्लवी फौजदार ने अपनी बोनविला बाइक ले 26 जुलाई 2017 को की | 15 दिनों में उन्होंने दुर्गम पहाड़ियों पर 4000 किलोमीटर का सफर तय किया |
इस सफर में उन्होंने 5114 मीटर ऊँचे थिट जारबो ला, 5008 मीटर ऊँचे बोनली ला, 5215 मीटर ऊँचे सालसाल ला, 5526 मीटर ऊँचे फोटो ला से होते हुए सबसे ऊंचे पास 5803 उमलिंग ला पर खत्म किया |
इस दौरान जंगली जानवरों, सड़कों पर दरार, भूस्खलन के अलावा बर्फली हवाओं ने उनका रास्ता रोकने की कोशिश की लेकिन वह निरंतर धैर्य और साहस से आगे बढ़ती रही |
यही नहीं उन्होंने 5008 मीटर की ऊंचाई पर एक अज्ञात पास की खोज की जिसे उन्होने खुद नामित करते हुए बोनली ला पास नाम दिया |
यह उच्चतम पास बाइक से तय करने वाली पल्लवी फौजदार पहली बाइकर बन गई है |
पल्लवी फौजदार के सभी रिकॉर्ड लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड, भारत में दर्ज है |
पल्लवी फौजदार गैर-सरकारी संगठनों और यूपी सरकार के महिला एवं बाल विभाग के साथ भी जुडी़ हुई हैं |
वह महिला एवं बाल हेल्पलाइन 181 की ब्रांड एंबेसडर है | साथ ही ” बेटी बचाओ, बेटी पढाओ ” अभियान का समर्थन करती है |
पुरस्कार
- 8 मार्च 2017 को, भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया |
- 30 अप्रैल 2016 को, उत्तर प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा उत्तर प्रदेश (यूपी) की उत्कृष्ट वैश्विक महिला सम्मान |
- 24 मई 2017 को, डीएलए वुमन ऑफ द ईयर अवार्ड (2016-2017) |
- 26 मार्च 2018 को, उत्तर प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ द्वारा रानी लक्ष्मीबाई वीरता पुरस्कार (2017)
अजीब है न हमारे समाज की सोच लड़की होकर बाइक चलाने की क्या जरूरत है? चलानी ही है तो स्कूटी चलाओ | क्यों भला अब क्या वाहनों के आविष्कार भी लड़का-लड़की या महिला-पुरूष के आधार पर होते है? महिला होने के नाते जीवन के शौक भी समाज तय करेगा | क्या महिलाओं को अपनी पसंद और न पसंद की भी स्वतंत्रता नही? अगर हाँ तो क्यों?
Jagdisha नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा देने वाली इस एकल महिला शक्ति को शुभकामनाएं देते है | साथ ही आपकी नई प्रसिद्धि और स्वस्थ जीवन की कामना करते है |
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