सपने, महत्वाकांक्षा, उदेश्य मात्र सोच भर से या ख्याली पुलाव बनाने से तो कभी पूरे नही होते | दिमाग में जब तक जूनून न हो तब तक डर और परिस्थिति का रूदन ही होता है | सभी कोशिशें बेकार है, अगर आप स्वयं ही दृढ़ नही हो |
दृढ़ता, निरंतरता, आत्मविश्वास, महत्वाकांक्षा, निडरता और जज्बे का अनूठा संयोजन है, भारतीय महिला तैराक भक्ति शर्मा |
2010 में, भक्ति शर्मा चार महासागरों में तैरने वाली दुनिया की दूसरी और सबसे कम उम्र की तैराक बनीं | 2012 में, उन्हें उनकी उपलब्धियों के लिए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया था |
10 जनवरी, 2015 को अंटार्कटिक महासागर में एक डिग्री सेल्सियस तापमान में 1.4 मील की दूरी 52 मिनट में तैरकर विश्व रिकार्ड बनाने का गौरव भक्ति शर्मा के नाम है | यह उपलब्धि प्राप्त करने वाली वे विश्व की सबसे कम उम्र की युवा तथा प्रथम एशियाई महिला हैं |
तैराकी खेलो में भक्ति शर्मा के प्रवेश का मुख्य आधार उनकी माँ ही है, जो उनकी प्रशिक्षक और प्रेरणा हैं |
हार नही मानी
भक्ति शर्मा को ढाई साल की उम्र से ही उनकी माँ लीना शर्मा ने तैराकी के गुर का परीक्षण देना शुरू कर दिया था | उनके क्षेत्र में स्विमिंग पूल की उचित व्यवस्था न होने के कारण आरंभ में निरंतर अभ्यास नही कर पाती थी |
कुछ वर्षों के बाद वह जिस स्कूल में जाती थी, वहाँ एक स्विमिंग पूल की व्यवस्था भी करवा दी गई | अब अपने स्कूल के पूल में ही वह अभ्यास करने लगी |
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भक्ति शर्मा ने कुछ जिला स्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया और उनमें इनाम भी जीते |
14 साल की उम्र में उन्होंने राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लिया, जिसमें उनका सबसे अंतिम स्थान आया | लेकिन मुख्य बात यह है कि भक्ति शर्मा ने प्रतियोगिता पूरी की | उसी वर्ष उन्होंने 2 सीबीएसई राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की |
लेकिन राजस्थान में हर मौसम में उनके पास स्विमिंग पूल की व्यवस्था नहीं होती थी, क्योंकि सभी पूल अक्टूबर के बाद, फरवरी या मार्च तक सर्दियों के लिए बंद हो जाते थे |
राष्ट्रीय स्तर पर उनके प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए, उनकी माँ पूल मालिकों और कभी-कभी कुछ रिसॉर्ट मालिकों से भी अनुरोध करती थीं कि वे उनके अभ्यास समय में पूल को बंद न करें | उन्हें सही अभ्यास के लिये नवंबर के अंत या दिसंबर के पहले सप्ताह तक का समय चाहिए होता था | इस तरह, अपनी गति को बनाए रखने के लिए भक्ति शर्मा अभ्यास करती, साथ ही कम तापमान के प्रति अपनी प्रतिरोध क्षमता को भी बढ़ा रही थी |
उनकी माँ लीना शर्मा चाहती थी, कि वे इंग्लिश चैनल तैराकी में भाग ले, जो समुद्र में एक ठंडी, लंबी दूरी की तैराकी है | अब भक्ति शर्मा ने खुले पानी में तैरना शुरू किया |
पहली बार उन्होने वर्ष 2003 में उरण बंदरगाह से गेटवे ऑफ इंडिया तक, अरब महासागर में 16 कि.मी. लंबी तैराकी की | उसके बाद वह निरंतर अपने पथ पर आगे बढ़ती रही |
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2004 में, भक्ति शर्मा ने हिंद महासागर में 36 कि.मी. की दूरी तैरकर तय की |
6 जुलाई 2006 को मात्र 16 वर्ष की आयु में 13 घंटे और 55 मिनट में शेक्सपियर बीच डोवर, इंग्लैंड से फ्रांस के कलैस तक इंग्लिश चैनल को पार किया |
6 अगस्त 2006 को, भक्ति शर्मा ने 19वीं इंटरनेशनल सेल्फ ट्रांसेंडेंस मैराथन श्विममेन, रैपर्सविल ज्यूरिख झील तैराकी प्रतिस्पर्द्धा में भाग लिया | मैराथन 26.4 कि.मी. लंबी थी | वह इस प्रतिस्पर्द्धा में पहले स्थान पर रही और 40 से कम आयु वर्ग में 10 घंटे, 41 मिनट और 42 सेकंड में यह उपलब्धि हासिल करने वाली सबसे कम उम्र की महिला बन गईं |
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2007 में, उन्होंने स्पेन में भूमध्य सागर में 5 घंटे, 13 मिनट में जिब्राल्टर की खाड़ी को पार किया, जिसे सबसे चुनौतीपूर्ण समुद्री मार्ग में से एक माना जाता है।
2007 में, ही उन्होंने प्रशांत महासागर में रॉक (अलकाट्राज़) के चारों ओर तैराकी कि 6.5 कि.मी. की प्रतियोगिता में हिस्सा लिया |
2007 में, भक्ति शर्मा ने अटलांटिक महासागर के की वेस्ट आइलैंड तैराकी मैराथन में स्वर्ण पदक जीता |
भक्ति शर्मा ने 2008 में फिर से इंग्लिश चैनल पर, अपनी कोच और मां लीना शर्मा और दोस्त प्रियंका गहलोत के साथ धर्मतर से गेटवे ऑफ इंडिया, मुंबई तक 16 घंटे, 58 मिनट में 72 कि.मी. की दूरी तैरकर तय कर डाली | इसके साथ ही यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली मां-बेटी की जोड़ी बन गई |
10 जनवरी 2015 को भक्ति शर्मा ने लिन कॉक्स (यूएसए) और लुईस पुघ (ग्रेट ब्रिटेन) के रिकॉर्ड तोड़ दिए और अंटार्कटिका के ठंडे पानी में 2.25 कि.मी. तक तैरते हुये एक नया रिकॉर्ड बनाने वाली दुनिया की और सबसे कम उम्र की पहली एशियाई महिला बन गयी है |
जिद्द और लगन आपके जीवन के हर लक्ष्य को हासिल करने में आपके सबसे बड़े हथियार है | मुश्किलों में हार मानना समाधान नही होता अपितु परिस्थितियों से सबक लेकर फिर से डट जाना ही जीत होती है |
ऐसे ही नही मील के पत्थर स्थापित होते | उसके लिये स्वयं का सर्वस्व देना पड़ता है |
Jagdisha का भक्ति शर्मा के होसले और जज्बे को सलाम |
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