11 साल की उम्र में किया था अपनी शादी का विरोध, आज बाल विवाह जैसी कुप्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं

11 साल की उम्र में किया था अपनी शादी का विरोध, आज बाल विवाह जैसी कुप्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं

बाल विवाह एक ऐसी प्रथा है जो, बच्चों से उनका पूरा बचपन ही छीन लेती है | गुड्डे गुड़िया के खेल जैसा उन बच्चों के जीवन के महत्वपूर्ण साल उनके अभिभावको के उनकी शादी के मुर्खता पूर्ण फैसले द्वारा कुचल दिए जाते है | 

छोटी सी उम्र में जिस लड़की की शादी हो गई उसके बचपन का खेल, दोस्त और किताबें सब कुछ ही तो उससे दूर कर दिया जाता है | उसके भी ऊपर माँ बनने का बोझ लाद दिया जाता है | जिस उम्र में उसे ही दुलार चाहिए, उस उम्र में उसे अपने बच्चे को मातृत्व भाव देना हो | क्या ये उससे शारीरिक और मानसिक विकास के लिए सही निर्णय है?

बाल विवाह प्रथा आज भी हमारे समाज में अपनी जड़े फैलाए बैठी है | आज सरकारों के साथ बहुत सी समाजसेवी संस्था और समाजसेवी इस दिशा में लगातार प्रयास कर रहे हैं | 

इस बाल विवाह कुप्रथा का पुरजोर विरोध कर रही है, राजस्थान के अलवर जिले के छोटे से गाँव हिंसल की पायल जांगिड़ |  पायल लंबे समय से इस कुप्रथा के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ रही हैं |

वह बाल विवाह, बाल श्रम और घुंघट प्रथा के विरूद्ध कार्य कर रही है | 


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पायल को बाल विवाह और बाल श्रम के उनके सराहनीय कार्यो के लिये न्यूयॉर्क में बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने चेंजमेकर पुरस्कार से सम्मानित किया है |

पायल के लगातार प्रयासों का परिणाम है कि वे अब तक अपने जिले अलवर में कई लड़कियों को बाल विवाह की चपेट से बचाने में सफल रही हैं | और बीते कई सालो से उनके गाँव हिंसल में कोई बाल विवाह नही हुआ है |

अब तक का सफर

पायल जांगिड का जन्म राजस्थान के अलवर जिले के हिंसल गांव में हुआ था | उनके पिता का नाम पप्पू जांगिड है और वे किसान है | उनकी माँ एक गृहणी है |

साल 2012 में जब पायल कक्षा 5वीं की छात्रा थीं तब उनके गाँव हींसल में नोबल पुरस्कार विजेता समाजसेवी कैलाश सत्यार्थी की चिल्ड्रेन फाउंडेशन द्वारा बाल मित्र ग्राम कार्यक्रम के तहत बाल विवाह, बाल श्रम जैसी कुप्रथाओं के बारे में जानकारी दी जा रही थी |

11 साल की पायल का परिवार चाहता था कि उनकी और बड़ी बहन की शादी जल्द ही कर दी जाए | पायल परिवार के इस फैसले का विरोध करते हुए भूख हड़ताल पर बैठ गई | उस समय कैलाश सत्यार्थी के चिल्ड्रेन फाउंडेशन ने आगे आकर उनके परिवार को समझाया | चिल्ड्रेन फाउंडेशन के प्रयास और बेटी की हठ के आगे माँ-बाप की एक न चली और उन्होंने पायल और उनकी बहन की शादी का फैसला बदल दिया |

चिल्ड्रेन फाउंडेशन के कार्यकर्ताओं द्वारा इन कुप्रथाओं के खिलाफ पंचायतों को सलाह दी जा रही थी | साथ ही अलवर में एक बाल पंचायत का गठन भी किया गया था |

साल 2013 में पायल को उस बाल मित्र ग्राम पंचायत का मुखिया चुना गया था |

इसी के साथ शुरू हुआ पायल का सफर | उन्होंने लोगों के बीच बच्चों की शिक्षा को लेकर जागरूकता फैलाने का काम शुरू कर दिया | 

बाल पंचायत के 11 सदस्यों के साथ उन्होने अपने आसपास के क्षेत्रों में बाल श्रम और बाल विवाह के विरूद्ध पुरजोर आवाज़ उठाई |

इस तरह पायल समाजसेवी कैलाश सत्यार्थी के बचपन बचाओ आंदोलन का हिस्सा बनकर इस दिशा की ओर अग्रसर हुई | 

 

वह 2012 में चिल्ड्रेन फाउंडेशन ट्रस्ट से जुडकऱ लगातार बाल-विवाह, बाल श्रम और घूंघट प्रथा जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ लोगों को जागरुक कर रही हैं | 

पायल घर घर जाकर माता-पिता को शिक्षा के महत्व को समझाती है | उन्हें बताती है बेटियाँ को शिक्षा से वंचित न रखे | शिक्षा हर बच्चे के विकास और भविष्य की उचित राह की नीव होती है | साथ ही वो उन्हें परिवार में प्रेम भाव बनाये रखने के लिए भी प्रेरित करती है | और बच्चों और महिलाओं पर मार-पिटाई के लिये भी पुरूषों का विरोध करती है | 

पायल ने सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने के लिए युवाओं और महिलाओं के साथ मिलकर रैलियां निकाली और विरोध प्रदर्शन भी किए | वह पढ़ाई के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भी बढकऱ भूमिका निभाती रही है |

पायल बच्चों के अधिकार और उनकी शिक्षा के लिए काम करने वाली संस्था द वल्डर्स चिल्ड्रन प्राइज की जूरी सदस्य भी है |

राज्य सरकार ने पायल को अलवर में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान का ब्रांड एम्बेस्डर बनाया है |

अपनी इस यात्रा में उन्हें सकारात्मक परिणाम मिले है | पायल ने अपने क्षेत्र के आस-पास शालेटा, गढ बसई, गढ़ी, भीकमपुरा आदि गांवों में बाल-विवाह और बाल श्रम रुकवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है |

साल 2015 में भारत दौरे पर आए अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनकी पत्नी मिशेल ओबामा ने भी दिल्ली में पायल से भेट की थी |

साल 2017 में उन्‍हें वैश्विक खेल और फिटनेस ब्रांड रिबॉक द्वारा यंग अचीवर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है |

चेंजमेकर सम्‍मान सतत विकास कार्यों के लिए युवा सामाजिक कार्यकर्ताओं, अभियानकर्ताओं और नव परिवर्तकों की उपलब्धियों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रदान किया जाता है |

पायल को 17 साल की उम्र में उनके निरंतर प्रयासों के लिए साल 2019 में न्यूयॉर्क में बिल गेट्स फाउंडेशन के द्वारा प्रतिष्ठित गोलकीपर्स ग्लोबल गोल्स पुरस्कारों में चेंजमेकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था | 

पायल निरंतर बाल विकास और महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा मे प्रयास कर रही हैं | वह वैश्विक स्तर पर इन समस्याओं को समाप्त करने के अपने उद्देश्य के लिए आगे कार्य करना चाहती हैं |

सच भी है अगर हमारे उद्देश्य में निरंतरता, विश्वास और ईमानदारी होती है तो प्रयास सफलता की ओर बढ़ते जाते है |

Jagdisha आपके प्रयासों की सरहाना करते है और आपके उद्देश्य पूर्ति और सफल भविष्य की कांमना करते हैं |


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