अक्सर घुटनों के दर्द की समस्या अपने अपने घर में देखी-सुनी होगी| घर की महिलाएं इस समस्या से ज्यादा परेशान दिखती है| क्यों आपने सुना तो होगा ही जैसे – घुटनो के दर्द ने तो जान ले रखी है|
सीढ़ियां चढ़ने-उतरने, चलने फिरने या आलथी-पालथी मार कर बैठने में दिक्कत हो और घुटनों से कड़कड़ की आवाज़ आए, तो यह घुटनों के दर्द की समस्या है| एक तिहाई महिलाएं 40-45 साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते घुटनों में दर्द की शिकायत करने लगती हैं|
देखा जाए तो घुटनों का दर्द महिलाओं में एक आम समस्या बन गई है| बढ़ती उम्र के साथ अक्सर घुटनों का दर्द होना पाया जाता है| लेकिन आजकल यह समस्या युवाओं में भी हो रही है| इसे नी-आर्थराइटिस भी कहते हैं |
करीब 90% भारतीय महिलाओं में विटामिन-डी की कमी पाई जाती है, जो बोन मेटाबोलिज्म को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण है| शरीर में विटामिन-डी की कमी सीधे या परोक्ष रूप से घुटने को प्रभावित करती है|
बढ़ते जंक फूड या फास्ट फूड और खान-पान की गलत आदतों के कारण शरीर की हड्डियों को कैल्शियम एवं जरूरी खनिज नहीं मिल पाते हैं, जिससे कम उम्र में ही हड्डियों का घनत्व कम होने लगता है| हड्डियां घिसने और कमजोर होने लगती हैं|
महिलाओं में घुटने की समस्याओं के जल्द शुरू होने के कारण मोटापा, व्यायाम नहीं करना, धूप में कम रहना और खराब पोषण है| महिलाओं में पुरुषों की तुलना में 2 से 3 गुना अधिक घुटनों में दर्द की समस्या होती हैं|
आर्थराइटिस भी कई तरह का होता है, पर घुटनों में दर्द के लिए आस्टियो आर्थराइटिस और रयूमेटॉइड आर्थराइटिस जिम्मेदार होते हैं|
साधारण शब्दों में समझे तो हमारे घुटने मुख्य रूप से दो हड्डियों के जोड़ से बने होते है| इन दोनों हड्डियों के बीच सुगमता लाने के लिए कार्टिलेज होता है जिससे घुटने आसानी से मुड़ पाते है|
कई बार दुर्घटना, चोट, कसरत न करने, सारा दिन बैठे रहने, विटामिन डी की कमी, बीमारी, उचित पोषण न मिलने और मोटापे के कारण उम्र से पहले या उम्र बीतने के साथ कार्टिलेज घिसने लगता है या क्षतिग्रस्त होने लगता है| कार्टिलेज के अधिक क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण घुटनों में अकड़न, सूजन और बहुत ज्यादा दर्द होने लगता है|
चलिए जानते हैं महिलाओं में नी-आर्थ राइटिस की समस्या के कारण
वजन बढ़ना एक कारण है क्योंकि वजन बढ्ने से घुटनों पर दबाव ज्यादा पड़ता है| आपका वजन जितना अधिक होगा उससे 3 से 5 गुना अधिक घुटनों पर दबाव पड़ेगा|
घुटनों को स्वस्थ रखने में फीमेल हार्मोन एस्ट्रोजन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है| मासिक चक्र के दौरान और मीनोपॉज के पश्चात एस्ट्रोजन के स्तर में कमी आ जाती है| एस्ट्रोजन का स्तर कम होने के कारण घुटनों के जोड़ों में कार्टिलेज की मात्रा कम हो जाती है|
महिलाओं में पुरुषों की तुलना में बोन मांस जल्दी घटते हैं, इससे उनकी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और जोड़ों के खराब होने की आशंका बढ़ जाती है|
जब नी-कैप, हिप और पेल्विस के आसपास की मांसपेशियां शक्तिशाली होती हैं, तो ये घुटनों को स्थिर रखती हैं, जिससे उन्हें सहारा मिलता हैं| और घुटनों पर पड़ने वाले दबावों को रोकती हैं लेकिन जो महिलाएं शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं रहतीं उनकी मांसपेशियां कमजोर और कम लचीली हो जाती हैं |
शरीर में पानी की कमी के कारण घुटनों में यूरिक एसिड जमा हो जाता है| आमतौर पर शराब का ज्यादा सेवन और लंबे समय तक भोजन न करने के कारण जोड़ों में यूरिक एसिड जमा हो जाता है| यूरिक एसिड के जमने के कारण घुटने में दर्द हो सकता है| इसके अलावा ज्यादा फास्ट फूड, मीट, मसाले, चीनी, नमक और खट्टी चीजें खाने से भी घुटनों पर बुरा प्रभाव पड़ता है|
जब आप एक ही जगह पर ज्यादा देर तक बैठे रहते हैं तो शरीर में खून का संचार सही तरह से नहीं हो पाता, जिसके कारण घुटनों में दर्द होने लगता है|
हाई हील के कारण कमर पर चर्बी बढ़ती और इससे घुटनों पर अतिरिक्त भार पड़ता है| कई बार हील्स पहनने के कारण चाल भी खराब हो जाती है|
घुटनों पर लगी चोट में लापरवाही और समय रहते इलाज न कराने से भविष्य में दर्द का खतरा बढ़ सकता है| घुटनों में अगर लगातार दर्द हो रहा हो, सूजन आ रही हो या उन्हें मोड़ने में समस्या हो रही हो तो इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए| घुटनों के लिगामेंट्स खिंच जाना या टूट जाना भी घुटनों के दर्द का कारण बन सकते हैं|
बचाव के लिये क्या कर सकते है
घुटने की आर्थराइटिस की आरंभिक अवस्था में घुटने के व्यायाम, साइकिल चलाना और तैराकी रोग को बढ़ने से रोकने का सबसे बेहतर तरीका है|
लंबे समय तक बैठे रहने से बचें| ऐसे में काम करते वक्त बीच-बीच में थोड़ा विराम जरूर लें| इससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होगा और घुटनों के दर्द की परेशानी नहीं होगी| इसके लिए आप घर या ऑफिस में कुर्सी पर बैठे-बैठे 15-20 मिनट पैरों को गोल-गोल घुमाएं|
शारीरिक रूप से जितने सक्रिय रहेंगे, उतना ही घुटनों के दर्द से बचे रहेगे|
विटामिन डी की कमी से बचने के लिए पर्याप्त समय तक धूप में रहना चाहिए|
कैल्शि यम व प्रोटीन के लिए दूध व दूध से बनी चीजें, अंकुरित अनाज, सोयाबीन, फल व हरी सब्जियां आदि लें| जंक फूड व अधिक तले-भुने पदार्थों का सेवन न के बटराबर करें|
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