क्यों होती हैं महिलाओं में अवसाद या डिप्रेशन की समस्याएं अधिक?

क्यों होती हैं महिलाओं में अवसाद या डिप्रेशन की समस्याएं अधिक?

जाने क्यों हमारे समाज ने अवसाद या डिप्रेशन को एक अलग ही नजरिया दे दिया है| यदि कोई डिप्रेशन से ग्रासित है तो उसे पागल करार कर दिया जाता है | हाँ डिप्रेशन एक मानसिक बिमारी होती है पर इसका मतलब पागलपन नही होता | कई बार डिप्रेशन का नाम लेते ही सामने वाले व्यक्ति का मजाक बनाया जाता है | इन्ही कारणों से डिप्रेशन से पीडित व्यक्ति अपनी समस्या को दूसरो के सामने रखने में हिचकिचाहट महसूस करता है | 

डिप्रेशन कोई हास्यस्पद समस्या नही है | यह बहुत संवेदनशील घटना है| जिसमे सामने वाले व्यक्ति को आपके सहयोग अपनेपन की खास आवश्यकता होती है| डिप्रेशन एक मानसिक समस्या है | जो आपकी सोच और जीवन देखने के नजरिये को बिल्कुल बदल देती है | आपके अंदर सकारात्मकता की कमी होने लगती है, और आप उदासी व दुख के अनजाने बवंडर में फंसते चले जाते हैं |

सभी के जीवन में उतार-चढ़ाव आते जाते रहते है| ऐसे में किसी बात से परेशान होना, गुस्सा, चिड़चिड़ाहट, तनाव का सामना हर किसी को कभी न कभी करना पड़ता है| परंतु ये समस्याएं अगर लंबे समय तक ठहर जाए तब डिप्रेशन में परिवर्तित हो जाती है| 

 

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इस बात को दूसरी तरह से समझा जाए तो, मानसिक और बाहरी परिस्थिति के बीच असंतुलन की वजह से तनाव की उत्पत्ति होती है| यह तनाव जब लगातार बढने लगता है, तो डिप्रेशन में बदल जाता है| डिप्रेशन एक ऐसी समस्या है, जिसमें व्यक्ति लंबे समय से तनाव की परिस्थिति से गुजर रहा होता है|

डिप्रेशन के कारण हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है और दैनिक दिनचर्या पर भी असर पड़ता है|

डिप्रेशन का एक मुख्य कारण शरीर में रसायनिक और हार्मोनल परिवर्तन भी है| महिलाओ में प्यूबर्टी, मासिक धर्म, गर्भावस्था, बच्चे का जन्म, रजोनिवृत्ति आदि के समय उनके अंदर मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले हॉर्मोन का स्तर बिगड़ता है| जिसके कारण महिलाओं में डिप्रेशन की समस्या पुरुषों से अधिक होती है|

‘द लांसेट साइकेट्री’ में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, डिप्रेशन की शिकार महिलाएं आत्महत्या जैसे कदम ज्यादा उठाती हैं| यह भारत में इस तरह की मानसिक बीमारियों का पहला सबसे बड़ा अध्ययन है, जिसमें पाया गया है, कि साल 1990-2017 के बीच देश में मानसिक बीमारियां दोगुना हो गई हैं| रिपोर्ट की माने तो, 2017 में हर सात में से एक भारतीय में किसी न किसी रूप में दिमागी बीमारी पाई गई है| इसके कई रूप हैं जिन्हें अवसाद, चिंता, सिज़ोफ्रेनिया और बायपोलर डिसऑर्ड  के नाम से जाना जाता है| देश में 3.9% महिलाएं और 2.7% पुरुष डिप्रेशन का शिकार है|

हमारे देश में कई महिलाएं डिप्रेशन से ग्रसित होती है, लेकिन वह यह कहने में हिचकिचाती हैं कि उन्हें डिप्रेशन का सामना करना पड़ रहा है| इसी वजह से महिलाओं में डिप्रेशन का स्तर काफी ज्यादा बढ़ने लगता है| 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार दुनिया भर में अवसाद सबसे सामान्य बीमारी है| और दुनिया भर में लगभग 350 मिलियन लोग अवसाद से प्रभावित होते हैं| भारत में यह आंकड़ा 5 करोड़ से अधिक है जो कि एक बहुत गंभीर समस्या है| सामान्यता डिप्रेशन किशोरावस्था या 30 से 40 साल की उम्र में शुरू होता है लेकिन यह किसी भी उम्र में और किसी को भी हो सकता है|

आइए समझते है महिलाओं में डिप्रेशन के कारण

किशोरावस्था यानी प्यूबर्टी के समय हॉर्मोन के उतार-चढ़ाल के कारण किशोरियां (लड़कियाँ) डिप्रेशन का शिकार हो सकती है|

अधिक तनाव के वजह से महिलाओं को पीरियड्स अनियमितता की शिकायत हो सकती है| कुछ-कुछ परिस्थितियों में डिप्रेशन के कारण महिलाएं जल्द ही मेनोपॉज की चपेट में आ जाती है, जिसके कारण उनके शरीर में कई बदलाव नजर आने लगते हैं|

मासिक धर्म को लेकर आज भी समाज के एक बड़े हिस्से में खुलकर बात नहीं होती है| जिसके कारण, इससे जुड़ी सभी परेशानियां लड़की या महिला को खुद ही झेलनी पड़ती हैं| और वह घबराहट और डिप्रेशन से घिर जाती हैं| यह स्थिति उन्हें शारीरिक समस्याओं के साथ ही भावनात्मक रूप से भी कमजोर कर देती है| जिससे उनमें चिड़चिड़ापन और थकान महसूस होती है|

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के मन में तरह-तरह के विचार आते हैं और वे डिप्रेशन में चली जाती हैं| इसी कारण कई बार महिला प्रेगनेंसी के दौरान बेहोश हो जाती है| 

डिलीवरी के समय भी जिन महिलाओं को मोटापा और अन्य बीमारियां होती हैं, उनमें डिप्रेशन का खतरा अधिक होता है| मां बनने के बाद शुरुआती हफ्तों में महिलाएं भावनात्मक उतार चढ़ाव से गुजरती हैं| इसे बेबी ब्लूज कहते हैं|

डायस्टियमिया डिप्रेशन का वह रूप है जो लंबे समय तक रहता है| इसमे महिलाएं उदास रहती हैं और उनकी नींद कम हो जाती है| हमेशा थकी-थकी लगती है| 

डिप्रेशन के कारण महिलाओं में आत्मविश्वास डगमगाया रहता है और वे अक्सर अपनी ही आलोचना करती हैं| बीते समय में जो हुआ, अक्सर उन बातों को याद करके खुद को कोसती हैं| उन्हें सहानुभूति की तलाश होती है जिनसे वे अपने मन की बात साझा कर सकें| ऐसी महिलाएं ही आत्महत्या अधिक करती हैं|

डिप्रेशन की स्थिति में महिलाएं कई चीजों में अरुचि लेने लगती हैं| ऐसी स्थिति में महिलाएं अपने आस-पास के लोगों से बातचीज करना भी बंद कर देती हैं| हम में से कई लोग इस बात पर ध्यान नही देते, जिसकी वजह से डिप्रेशन की स्थिति और ज्यादा बढ़ जाती है|

डिप्रेशन में महिलाओं के साथ अक्सर मस्तिष्क में अस्थिरता की समस्या बढ़ जाती है यानी बहुत जल्दी-जल्दी उनका मूड बदल जाता है| कई बार मूड इस कदर बदलता है कि उन्हें घबराहट के दौरे तक पड़ने शुरू हो जाते हैं| 

डिप्रेशन की स्थिति में महिलाओं के खान-पान पर भी प्रभाव पडता है| वे अच्छा महसूस करने के लिए बहुत अधिक खाती हैं या फिर दुखी होकर भोजन ही नहीं करतीं|

डिप्रेशन के कारण महिलाओं को किसी भी चीज पर ध्यान केंद्रित करने में भय लगता है| उनसे कोई काम हो ही नही पाएगा इस विचार से खुद को घेर लेती है|

शादी को लेकर भी लड़कियों में कई चिंताएं होती हैं| वे यह सोचकर डिप्रेशन में आ जाती हैं कि शादी के बाद उनकी जिंदगी कैसी होगी| दहेज, घरेलू हिंसा जैसी खबरें उनके मन को आशंकित कर देती हैं| वहीं कुछ लड़कियां अपने पति और नए परिवार से कई उम्मीदें लगा बैठती हैं, जब उनकी आशाएं पूरी नहीं हो पाती तो उन पर डिप्रेशन हावी हो जाता है|

निरंतर घरेलू हिंसा की यातनाएं और बात-बात पर कलेश भी डिप्रेशन का एक कारण हो सकता है|

जब कोई महिला संतानोत्‍पत्ति नहीं कर पाती, तो उसके शरीर में मौजूद हॉर्मोंस में कई बदलाव होते हैं| जो डिप्रेशन का एक लक्षण हो सकता है|

अगर महिलाएं बिना बात के चिड़चिड़ी हो रही हैं, तो सम्भवतः वह डिप्रेशन का शिकार हो गई हैं|

डिप्रेशन से झूझती महिलाएं अपने पार्टनर के साथ भी अकेलापन महसूस करती हैं| उनमें सेक्स के प्रति रुचि खत्म हो जाती है| जिससे उन्हें सेक्स से जुड़ी परेशानी भी हो सकती है| 

डिप्रेशन में महिलाओं को पाचन और क्रोनिक पेन से संबंधित समस्या हो सकती है| थोड़ा सा खाने के बाद पेट में दर्द, गैस की परेशानी, सिरदर्द बने रहना जैसे लक्षण दिख सकते हैं| 

डिप्रेशन जब बहुत अधिक प्रभावित कर देता है तब मन में आत्महत्या के विचारों में तीव्रता आ जाती है| उन्हें अपने जीवन का कोई उद्देश्य नहीं दिखाई देता| सब व्यर्थ लगने लगता है| इस स्तर तक उनका डिप्रेशन पहुंचे इससे पहले उन्हें चिकित्सा की बहुत आवश्यकता है|

कैसे करे सहायता

डिप्रेशन से घिरी महिलाओं में अचानक आए परिवर्तन महसूस किये जा सकते हैं| अगर आपको भी ऐसा कुछ हो रहा है या फिर आपके आसपास की महिलाओं में इस तरह के परिवर्तन नजर आए, तो आपको किसी अच्छे डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए| वो भी बिना किसी हिचकिचाहट के|

परिवार के सदस्य और दोस्त इस समय एक महत्वपूर्ण भूमिका नीभा सकते है| आप उन्हें समझने की कोशिश करें, न की उनसे खीझ कर दूरी बनाएं|

डिप्रेशन का सबसे बड़ा लक्षण स्वभाव में नजर आता है| अगर आपको ऐसा कोई संकेत मिलता है तो योग और प्राणायाम की सहायता ले सकती है| इससे मस्तिष्क शांत होगा और आपको आनंद मिलेगा| 

संतुलित और पौष्टिक आहार का सेवन करे|

सुबह या शाम के समय और अगर संभव हो तो दोनो समय कम से कम 30 मीनट के लिए बहार टहलने जाये| 

एक्सरसाइज करे, क्योंकि एक्सरसाइज करने से रक्तसंचार (blood circulation) बढ़ता है, जिससे आपके शरीर में एंडोर्फिन नामक “फील-गुड हार्मोन” का निर्माण बढ़ता है|

आपके दिमाग में उठ रहे विचारों या जीवन में आ रही समस्याओं के बारे में विश्वसनीय दोस्त या परिवार के किसी सदस्य से खुलकर बात करें| अंदर ही अंदर घुटते न रहे, अपने मन के भावो और घुटन को व्यक्त करे|

अपने आप को लंबे समय तक अकेला न छोडे| दोस्तों के साथ मेल-जोल बढ़ाये, उनसे बात करे| परिवार के सदस्यों या दोस्तो के साथ कही बाहर घुमने जाएँ| करीबी लोगो से मिले जुले|

सकारात्मक किताबे पढ़े या इंटरनेट पर सकारात्मक कहानियां पढ़े|

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