Premenstrual syndrome

मासिक धर्म, माहवारी या पीरियड किसी भी प्रकार से शर्म का विषय तो बिल्कुल भी नही है| पीरियड कोई बिमारी नही है| यह तो एक प्राकृतिक प्रक्रिया होती है| जो हर लड़की और महिला के जीवन का भाग है| गर्भावस्था का एक मुख्य चरण है|

जब एक महिला का माँ बनना उस परिवार की खुशी का कारण होता है, तो फिर पीरियड घृणा का कारण कैसे हो सकता| ये अनजानी और शर्मसार चुप्पी क्यों?

 

आप बोलेगी नही? फिर कोई समझे कैसे कि आप किस कठिनता से जूझ रही है?

आज हम बात करेगे पीरियड से 1 या 2 सप्ताह पहले होने वाले शारीरिक और मानसिक व व्यवहारिक बदला के विषय में….

प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) या प्रागार्तव सामान्य घटना है| अधिकांश महिलाओं में पीरियड से पहले स्तनों में दर्द, स्तनों में सूजन, मृदुल स्तन, सूजन, पेट में दर्द, पेट में ऐंठन, कमर दर्द, मुहांसे, थकान, चिड़चिड़ाहट, स्वभाव में बदलाव जैसे लक्षण अनुभव होते है| लगभग 70 से 90% महिलाएं पीएमएस (PMS) से प्रभावित होती है| 

हर महिला में पीएमएस के लक्षण भिन्न-भिन्न दिखाई देते है, और उम्र के साथ-साथ बदलते रहते है|

पीएमएस वैसे तो सामान्य लक्षण है| जिनसे लगभग हर महिला गुज़रती है| और कुछ महिलाओं को तो इनका कोई अनुभव भी नही होता| यानी पीएमएस के लक्षण कुछ महिलाओं को अधिक और कुछ को बहुत हल्के अनुभव होते है| 

3 से 8% महिला में ऐसे लक्षण इतने गंभीर होते हैं जो उनके दैनिक जीवन पर प्रभाव डालते है| यह अधिक गंभीर रूप के पीएमएस का परिणाम होता है जिसे प्रीमेनस्ट्रियल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (पीएमडीडी) के रूप में जाना जाता है|

किसी भी गंभीर पीएमएस लक्षणों के बारे में स्त्री रोग विशेषज्ञ या डॉक्टर से अवश्य संपर्क करें|

पीएमएस क्या होता है?

पीएमएस शारीरिक और भावनात्मक लक्षणों का एक संयोजन है| जो कई महिलाओं को ओव्यूलेशन के बाद और उनके मासिक धर्म की शुरुआत से पहले होता है| मासिक चक्र औसतन 28 दिनों का होता है| ओव्यूलेशन, वह समय जब अंडाशय से अंडा निकलता है| ओव्यूलेशन लगभग 14वें दिन होता है और पीरियड्स इस चक्र के लगभग 28वें दिन होते हैं| 

विशेषज्ञों के अनुसार पीएमएस ओव्यूलेशन के बाद के दिनों में होता है क्योंकि अगर महिला गर्भवती नहीं होती है तो एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर कम होने लगता है| पीएमएस के लक्षण एक महिला के पीरियड शुरू होने के साथ ही या 2-3 दिनो में दूर हो जाते हैं क्योंकि हार्मोन का स्तर फिर से बढ़ना शुरू हो जाता है|

पीएमएस होने के कारण?

पीएमएस का सटीक कारण तो ज्ञात नही है| पीएमएस के लक्षण कुछ महिलाओं में अधिक और कुछ में कम देखे जाते है| विशेषज्ञ पीएमएस का सही कारण खोज नही पाए है| लेकिन ऐसा माना जाता है कि ये हार्मोनल असंतुलन के कारण होते है| ओव्यूलेशन के बाद एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर कम होने के कारण सेरोटोनिन के स्तर पर भी प्रभाव पड़ता है| सेरोटोनिन एक न्यूरोट्रांसमीटर होता है, यह एक मस्तिष्क रसायन है जो मूड, नींद और भूख को नियंत्रित करने में मदद करता है| सेरोटोनिन मे गिरावट के कारण पीएमएस के लक्षण प्रभावित होते है|

सामाजिक, सांस्कृतिक, जैविक और मनोवैज्ञानिक स्थिति भी पीएमएस के लक्षण का कारण हो सकती है|

पीएमएस के लक्षण का किन्हें हो सकता है अधिक अनुभव?

 

  • 20 से 40 वर्ष की उम्र के मध्य की महिलाओं में पीएमएस का अनुभव होने की सबसे अधिक संभावना होती है
  • आहार में पोषक तत्वों की कमी के कारण|
  • परिवार में अगर डिप्रेशन का कोई इतिहास हो|
  • आहार में तेज नमक, कैफीन और शराब का सेवन|
  • धुम्रपान करना|
  • जो महिलाएं माँ बन चुकी है|
  • बेबी ब्लूज और पोस्टपार्टम डिप्रेशन होने से|
  • मैनिक डिप्रेशन या बाइपोलर डिसआर्डर के कारण|
  • डिसमेनोरीया से पीड़ित हो|
  • स्कीज़ोफ्रेनिया विकार भी एक कारण हो सकता है|
  • महिलाएं जो घरेलू हिंसा का शिकार हो|
  • व्यायाम और एक्सरसाइज न करने से|
  • अपर्याप्त नींद के कारण|

भावनात्मक और व्यवहार संबंधी लक्षण :

  • तनाव या चिंता या डिप्रेशन
  • बिना कारण रोने का मन करना
  • चिड़चिड़ापन और छोटी-छोटी बात पर गुस्सा करना
  • बहुत भूख लगना
  • मीठे की ओर आकर्षित होना
  • ध्वनि और रोशनी के प्रति संवेदनशील होना
  • अनिद्रा या बहुत नींद आना
  • सामाजिक अलगाव
  • खराब एकाग्रता या चीजों को भूल जाना
  • संभोग की रूचि में बदलाव

शारीरिक लक्षण: 

  • ऐंठन 
  • सिरदर्द
  • स्तनों में दर्द
  • मुंहासे आना
  • जोड़ों या मांसपेशियों में दर्द
  • थकावट महसूस करना
  •  मोटापा
  • पेट में दर्द
  • पेट में सूजन
  • स्तन मृदुता
  • कब्ज या दस्त
  • हाथ और पैर का सूज जाना

अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण जैसे:

  • माइग्रने सिरदर्द 
  • दमा
  • डिप्रेशन
  • एलर्जी
  • ब्लैडर पेन सिंड्रोम: ब्लैडर में दर्द होने के कारण यूरिन न रोक पाने की समस्या महिलाओं में अधिक होती है|
  • एनीमिया: खून की कमी
  • एंडोमेट्रिओस: इस बीमारी से पीड़ित महिला गर्भवती नहीं हो सकती|
  • थाइरोइड: इससे घेंघा जैसी छोटी बीमारी से लेकर जानलेवा बिमारी कैंसर का खतरा होता है|
  • इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम: इसमें बड़ी आंत प्रभावित होती है|
  • क्रोनिक फेटीग सिंड्रोम: हर समय थकान महसूस होना|
  • संयोजी ऊतकों के रोग: इनमें जोड़ों और मांसपेशियों पर असर पड़ता है|

पीएमएस के लक्षण कम करने के लिए क्या करें? 

अपने दैनिक जीवन में कुछ परिवर्तन करके आप पीएमएस के लक्षण को कम कर सकती है|

  • व्यायाम या एक्सरसाइज करें|
  • प्राणायाम करे|
  • पोटेशियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, विटामिन युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करे|
  •  नमक, कैफीन और शराब से बचें|
  • पर्याप्त नींद लें|
  •  धूम्रपान न करें|

पीएमएस के लक्षणों को कम करने के लिए दवाएं:

  • दर्द निवारक जैसे पेरासिटामोल, एसिटामिनोफेन, आईबुप्रोफेन या नेप्रोक्सेन जो मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और सिरदर्द को दूर करने में मदद कर सकते हैं|
  • मूत्रवर्धक (Diuretics), जो सूजन और स्तन दर्द को दूर करने में मदद कर सकती है |

अपने चिकित्सक से बात करने के बाद और निर्देशानुसार ही दवाएं लें| डॉक्टर से सलाह लिए बिना दवाइयों का सेवन न करे |

 

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