मासिक धर्म/पीरियड, यह शर्म या अशुद्धता का विषय नही हैं| पीरियड को शर्म या अशुद्धता के साथ जोडना ही एक बहुत बडा कारण है, जो महिलाएं इस पर खुल कर बात नही करती हैं, या ये भी कह सकते है कि वे बात करने से कतराती है| पैडमैन जैसी फिल्म बन चुकी है और हमने देखी भी है| 28 मई को मासिक धर्म स्वछता दिवस भी मनाया जाता है| लेकिन अभी भी वह कौन सी शर्म है, जो अपने ही शरीर में हो रही घटना के बारे में महिलाएं स्वयं ही बात नही करना चाहती है |
हमारे समाज में बहुत सी भ्रांतिया अपनी जडे मजबूत करे बैठी हैं, उनमें से एक हैं कि पीरियड के समय निकलने वाला रक्त गंदा होता हैं और महिलाएं अपवित्र और अशुद्ध हो जाती हैं |
अशुद्ध कैसे हो जाती है, यह धारणा मेरी समझ से तो परे है| पर हाँ घर के मंदिर मे पूजा नही कर सकते, पास भी जाना मना हो जाता है| अचार छू दिया तब तो बहुत बडा पाप कर दिया | क्यों ऐसा होता है न? क्या आपके साथ हुआ है? भ्रांतिया से बाहर आईए और समझिए….
यौवनावस्था आने के बाद हर युवती के पीरियड शुरू हो सकते हैं| ऐसा लड़कियाँ में 10 से 15 वर्ष के बीच शुरू होता है| इसके बाद युवती का शरीर हर महीने गर्भावस्था के लिए तैयार हो जाता है, लेकिन गर्भावस्था न होने पर गर्भाशय निषेचित अंडों और गर्भाशय के टिश्यू (lining of the uterus) को योनि से रक्तस्त्राव के जरिए बाहर निकालने लगता है| इस प्रक्रिया को पीरियड कहते हैं| पीरियड में होने वाले रक्तस्त्राव में आधी मात्रा रक्त और आधे गर्भाशय के टिश्यू होते हैं| यह बहुत सामान्य प्रक्रिया है और ऐसा हर महिला के साथ होता है |
सरल शब्दों में, इसे समझा जाए तो हर महीने महिला के शरीर में बनने वाला अंडा पीरियड के रूप में योनि से बाहर निकलता है| पीरियड के समय गाढा रक्त/खून जैसे निकलने वाले पदार्थों में रक्त की मात्रा बेहद कम होती है, बल्कि इसमें अन्य तत्वों की मात्रा ज्यादा होती है| ये वही तत्व हैं जो महिला के गर्भ में पलने वाले भ्रूण के निर्माण और विकास में अहम भूमिका निभाते है| साफ़ है कि पीरियड के दौरान निकलने वाला पदार्थ गंदा या अशुद्ध नहीं होता है| बल्कि ये महिला के शरीर में बनने वाला ऊर्वरक होता है, जो ढ़ेरों उपयोगी रसायनों से मिलकर बना होता है |
तो आप स्वयं ही सोचिए जो परत आपके शरीर में इसलिये बनी थी, कि वह आपके गर्भ में पलने वाले भ्रूण को पोषण दे सके और स्वस्थ बच्चे का विकास हो सके| फिर भला पीरियड के समय निकलने वाले पदार्थ और रक्त गंदा कैसे हुआ |
पीरियड के एक चक्र में अधिकतम 50-60 मिलीलीटर रक्त हमारी योनि से निकलता है| आपको बता दें पीरियड के दौरान हमारी योनि से निकलने वाले रक्त में रक्त, एंडोमेट्रियल तरल पदार्थ, एंडोमेट्रियल ऊतक, सरवाइकल और योनि म्यूकोसा, योनि से निकलने वाले सूक्ष्मजीव होते है |
पीरियड के समय निकलने वाले तत्वों में रक्त की मात्रा सबसे कम होती है| मात्रात्मक रूप से, एक अध्ययन मे बताया गया कि पीरियड में हीमोग्लोबिन एकाग्रता 35%, हमारी नसों में रक्त सांद्रता 4-5 मिलीग्राम / 100 मिलीलीटर के बीच होता है|
गर्भावस्था के लिए एंडोमेट्रियल अस्तर कोशिकाओं की एक परत से घिरा होता है| एंडोमेट्रियल ग्रंथियों के स्राव के साथ संयुक्त एंडोमेट्रियम के ऊतकों और एंडोमेट्रियल अस्तर का रक्त, पीरियड में निकलने वाले पदार्थ को बनाता है| इन ऊतकों की आयनिक प्रकृति होती है, जो कम पीएच स्थिति के साथ-साथ लैक्टोबिक एसिड के उत्पादन में लैक्टोबैसिलस के विकास में मदद करती है जो अनिवासी जीवाणु में मदद करती है|
पीरियड के रक्त में मुख्य रूप से रक्त, गर्भाशय के ऊतकों के पुराने हिस्से, योनि के म्यूकस लाइनिंग से कोशिकाएं और योनि के वनस्पतियों को बनाने वाले बैक्टीरिया होते हैं| पीरियड का रक्त इसकी संरचना और इसके भौतिक गुणों के कारण सामान्य रक्त से अलग होता है|
पीरियड के रक्त के पदार्थ एक महिला से दूसरी महिला के पीरियड चक्र से भिन्न होते है और यह महिला की उम्र पर भी निर्भर करता है| गर्भाशय की मोटाई का पीरियड के रक्त के पदार्थों पर भी प्रभाव पड़ेगा|
पीरियड के रक्त में उपस्थित योनि स्राव ज्यादातर पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स जैसे सोडियम या पोटेशियम से बने होते हैं|
पीरियड रक्त बनाने वाले विभिन्न पदार्थ सामान्य रक्त की तुलना में कम सांद्रता में पाए जाते हैं, उदाहरण के लिए, अधिक पानी, कम लोहा और कम हीमोग्लोबिन होता है| प्रोटीन, कोलेस्ट्रॉल और बिलीरुबिन की सांद्रता भी सामान्य रक्त की तुलना में कम होती है| मासिक धर्म के रक्त का पीएच स्तर सामान्य रक्त के समान होता है|
तो यह समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि पीरियड स्वच्छता से संबंधित है और यह अशुद्धता का विषय नहीं है| सभी को यह जानने की जरूरत है कि पीरियड का रक्त अशुद्ध नहीं होता है| और न ही उस समय महिलाएं अपवित्र या अशुद्ध होती|
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