shashikala sinha
अत्यधिक परिष्कृत बैलिस्टिक मिसाइल शील्ड विकसित करने वाला भारत केवल चौथा देश है और इस विकास का श्रेय जाता हैं वैज्ञानिक शशिकला सिन्हा को|
शशिकला सिन्हा एक भारतीय वैज्ञानिक हैं| वह इंडो-एटमॉस्फेरिक इंटरसेप्टर मिसाइल एडवांस्ड एरिया डिफेंस प्रोग्राम में प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में अपनी भूमिका के लिए जानी जाती हैं, जो भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा कार्यक्रम का हिस्सा है|
साल 2019 में उन्हें रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में ‘वैज्ञानिक एच’ के रूप में वर्गीकृत किया गया और वें लगभग 300 वैज्ञानिकों की टीम का नेतृत्व करती हैं|

जीवनी

शशिकला सिन्हा का जन्म तमिलनाडु के मदुरै में हुआ था| उनके पिता एक सैन्य मैकेनिकल इंजीनियर थे, परिणामस्वरूप देश के विभिन्न भागों में उनका स्थानांतरण हुआ|
उन्होंने सेंट एन हाई स्कूल, सिकंदराबाद, सेंट फ्रांसिस कॉलेज फॉर विमेन में अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की| गणित हमेशा से उनका पसंदीदा विषय रहा|
उनके बचपन में, उनकी बहनें और भाई हमेशा शीर्ष पर रहते थे, जबकि वें 85-95 प्रतिशत वर्ग में आती थी| लेकिन उन्हें उनके पिताजी का प्रोत्साहन मिला; उनके अनुसार बाकी लोग बस बैठे रहते और याद करते, जबकि शशिकला सिन्हा मानसिक रूप से गणित करने में सक्षम हैं|
उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद से इंजीनियरिंग का अध्ययन किया| फिर वें DRDO में शामिल हो गईं, लेकिन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर से इंजीनियरिंग में मास्टर्स पूरा करने के लिये एक साल के अंदर ही DRDO छोड़ दिया| जहां वह अपने पति से भी मिली|
इसके बाद वें सोसाइटी ऑफ माइक्रोवेव इंजीनियरिंग में कार्यरत हुईं| लेकिन 1989 में अपनी पहली बेटी के जन्म के बाद उन्होंने वहाँ से अपना पदभार छोड़ दिया| उनके पति भारतीय नौसेना के अधिकारी थे| उनकी दो बेटियां हैं, बडी पवित्रा और छोटी रोशनी| 1997 में, उनके पति की एक कार दुर्घटना में मृत्यु हो गई|
वें उसी वर्ष1997 में अनुबंध के आधार पर DRDO मिसाइल अनुसंधान सुविधा, अनुसंधान केंद्र इमारत (RCI) में शामिल हुईं, और 2001 तक शशिकला सिन्हा RCI की पूर्णकालिक वैज्ञानिक बन गईं|
शशिकला सिन्हा ने ‘आरएफ सेंसर सबसिस्टम’ के विकास पर काम किया, जिसके लिए उनकी टीम को 2007 में उत्कृष्टता के लिए अग्नि पुरस्कार से सम्मानित किया गया था| साल 2012 में वें उन्नत वायु रक्षा कार्यक्रम की परियोजना निदेशक बन गईं| 
2017 तक लगभग 300 वैज्ञानिकों की एक टीम का नेतृत्व करने का उत्तरदायित्व मिला| उन्हें विमान, राडोम और रडार क्रॉस सेक्शन के विकास में विशेषज्ञता प्राप्त है|
यह पहली बार हुआ कि एक महिला वैज्ञानिक, डॉ शशिकला सिन्हा, जिन्हें ‘न्यू मिसाइल विमन’ के रूप में भी जाना जाता है, ने देश के लिए अत्यधिक जटिल परीक्षण सफलतापूर्वक किया| 
28 दिसम्बर 2017, में ‘एएडी’ इंटरसेप्टर मिसाइल 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर आने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पर सीधा प्रहार करने में सफल रही| रूसी S-400 वायु रक्षा प्रणालियों के साथ स्वदेशी मिसाइल शील्ड दुश्मन के मिसाइल हमलों से सुरक्षा प्रदान करने की संभावना है|
स्वदेशी बीएमडी एक दो-परत मिसाइल रक्षा प्रणाली है जो अंतरिक्ष और पृथ्वी के वातावरण दोनों में दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइल को रोक सकती है|
डीआरडीओ द्वारा स्वदेश में विकसित, एएडी इंटरसेप्टर ठोस प्रणोदक द्वारा संचालित एकल चरण मिसाइल है| इंटरसेप्टर 7.5 मीटर लंबा सिंगल स्टेज सॉलिड रॉकेट प्रोपेल्ड गाइडेड मिसाइल है जो नेविगेशन सिस्टम, हाई-टेक कंप्यूटर और इलेक्ट्रो-मैकेनिकल एक्टिवेटर से लैस है| अत्याधुनिक इंटरसेप्टर मिसाइल का अपना मोबाइल लॉन्चर, इंटरसेप्शन के लिए सुरक्षित डेटा लिंक, स्वतंत्र ट्रैकिंग और होमिंग क्षमताएं और परिष्कृत रडार हैं|
परियोजना निदेशक के रूप में, शशिकला सिन्हा ने ओडिशा तट से एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से 1 मार्च 2018, बीएमडी की परीक्षण उड़ान का नेतृत्व किया, जिसने एक मिसाइल लॉन्च करने की क्षमता का प्रदर्शन किया जो आने वाली मिसाइल को रोक सकती है और इसे एंडो-वायुमंडल में नष्ट कर सकती है|
साल 2017 में उन्हें DRDO में “वैज्ञानिक जी” के रूप में वर्गीकृत किया गया, और साल 2019 ‘वैज्ञानिक एच’ के रूप में वर्गीकृत किया गया|
रणनीतिक अनुसंधान के साथ, शशिकला सिन्हा को पेंटिंग और स्केचिंग करने का शौक हैं|
उन्होंने कई तरह के खतरों का मुकाबला करने के लिए एक स्वदेशी कार्यक्रम बनाकर भारत को अंतरिक्ष में रक्षा के लिए सबल बनाया हैं|
परिस्थितियों को अपने रास्ते में नहीं आने देने के लिए दृढ़ संकल्प,  शशिकला सिन्हा सभी के लिए प्रेरणा का उत्कृष्ट उदाहरण हैं|
Jagdisha आपके मिसाइल अनुसंधान शील्ड विकास कार्यों के लिए कृतज्ञ हैं और आपके उत्कृष्ट कार्यों की सराहना करते हैं|

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