bina devi

मशरूम कृषी को लोकप्रिय बनाने के लिए मशरूम महिला के रूप में प्रचलित हैं, बीना देवी| वें मशरूम और जैविक कृषि, वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन और जैविक कीटनाशक तैयार करने के लिए किसानों को प्रशिक्षित करती हैं| 5 वर्षों के लिए टेटियाबंबर ब्लॉक के धौरी पंचायत की भी रही थीं सरपंच|

अगर सीखना है दिए से तो जलना नहीं, मुस्कराना सीखो 

अगर सीखना है सूर्य से तो डूबना नहीं उठना सीखो 

अगर पहुंचना हो शिखर पर तो राह पर चलना नहीं राह का निर्माण सीखो|

44 वर्षीय बीना देवी बिहार के मुंगेर जिले के धौरी गाँव की बहु हैं| वह भी साधारण परिवार की महिला की भाँति अपने घर की साफ सफाई, खाना पकाना और परिवार के सदस्यों की आवश्यकताओं का ध्यान रखना इत्यादि कामो मे दिनभर व्यस्त रहती और घर की चार दिवारी तक सीमित रही थी| जहाँ घर के दरवाजे के बाहर किसी भी काम को एक महिला की क्षमता से परे माना जाता था|

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बीना देवी 1977 में मुंगेर, बिहार में जनमी| वह  मुंगेर, बिहार में तिलकरी नामक एक छोटी बस्ती से आती हैं| 2010 में उन्होंने सबौर कृषि विश्वविद्यालय, भागलपुर से मशरूम की खेती का प्रशिक्षण लिया| सबौर कृषि विश्वविद्यालय सरकार के अधीन कृषि संस्थान हैं|

मशरूम की खेती सीख बीना देवी ने सबसे पहले कोई उचित स्थान खेती के लिए न होने के कारण अपने घर के बेड के नीचे वाले भाग पर ही एक किलो मशरूम उगाई|

जहां चाह वहां राह| इच्छाशक्ति से सब कुछ हासिल किया जा सकता है| बीना देवी ने किसी भी अभाव का कोई बहाना नही बनाया| जैसे मुख्यतः हम सभी किसी न किसी चीज के अभाव को समक्ष रख किसी काम के न होने का कारण बना देते|

मशरूम बहुत पौष्टिक होते हैं और कई अन्य फलों या सब्जियों की तुलना में बाजार में भी उच्च मूल्य रखते हैं| बीना देवी ने न केवल मशरूम उत्पादन किया बल्की साथ ही हाट व बाजार मे जा कर विक्रय करना भी शुरू कर दिया|

अपने घर के बेड से शुरूआत करने के पश्चात बीना देवी ने ग्रामीण महिलाओं को जैविक विधि द्वारा मशरूम की खेती का प्रशिक्षण देने की ठानी|

मशरूम की खेती में दक्ष होने के बाद, उन्होंने आस-पास की महिलाओं को कदम बढ़ाने और स्वयं को सशक्त बनाने के लिए प्रेरित करना शुरू कर दिया| जिससे न केवल उनके घरों को आर्थिक रूप से लाभान्वित कर पाने में मदद हो सके, बल्कि पर्यावरण की भलाई में भी योगदान दे सके|

वह अब आसपास की अन्य महिलाओं के लिए एक रोल मॉडल के रूप में उभर कर सामने हैं|

वह सामाजिक कार्यों में भी शामिल है और खुले में शौच करने के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं| अक्सर वह स्वयं घर-घर जाकर लोगों को खुले में शौच के कारण उत्पन्न गंदगी और बिमारी के प्रति जागरुक करती हैं|

बीना देवी ने ग्रामीण महिलाओं के बीच स्वरोजगार पैदा किया और साथ ही उन्हे डेयरी फार्मिंग और पशु पालन करने के लिए भी प्रेरित किया| उन्होंने बिहार के मुंगेर जिले में पांच ब्लॉकों और 105 पड़ोसी गांवों में मशरूम उत्पादन को लोकप्रिय बनाया है, 1,500 महिलाओं को प्रभावित कर उन्हें मशरूम की खेती करने हेतु उत्साहित किया| और मशरूम महिला की उपाधि धारण की|

लोकप्रिता प्राप्त करने के पश्चात बीना देवी पांच वर्षों के लिए टेटियाबंबर ब्लॉक के धौरी पंचायत की सरपंच भी रही थी|

वह डिजिटल साक्षरता फैलाने में शामिल रही हैं और उन्हें टाटा ट्रस्ट द्वारा मोबाइल का उपयोग करने के लिए 700 महिलाओं को प्रशिक्षित करने के लिए सम्मानित किया गया| उन्होंने 2,500 किसानों को सघन धान प्रनाली के द्वारा फसल उत्पादन का प्रशिक्षण दिया और स्वयं सहायता समूह का समर्थन किया|

आज, वह एकल रूप से 18 सदस्यों के अपने पूरे परिवार का भरण-पोषण करती है| बीना देवी की मासिक कमाई ₹90,000 (मशरूम की खेती से ₹30,000 और विविध सब्जियों की जैविक खेती से ₹60,000) है और वह अपने चार बच्चों की शिक्षा का वित्तपोषण भी स्वयं करती है। उनके 3 बेटे और 1 बेटी हैं और सभी भारत के विभिन्न हिस्सों में पढ़ाई कर रहे हैं| उनके बेटो के साथ उनकी बेटी भी इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त कर रही हैं| वह अपनी बेटी को पहले स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाना चाहती हैं जो एक महत्वपूर्ण उपहार है| क्योंकि, जब बेटियों को प्रोत्साहित किया जाता है और उनका समर्थन किया जाता है तब वे वास्तव में किसी भी असंभव को संभव कर सकती हैं|

कृषि क्षेत्र में अपने उत्कृष्ट योगदान के लिए 9 मार्च, 2020 को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा नारी शक्ति सम्मान से बीना देवी को सम्मानित किया गया|

Jagdisha का आत्मविश्वास और सकारात्मक विचारों वाली महिला को अभिवन्दन|

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