सपने देखना और उन्हें पूरा भी करना, सपने देखने वाले पर निर्भर करता हैं| हवाई महल बनाना तो बहुत आसान हैं लेकिन कुछ कर गुजरना उतना ही मुश्किल और आसान है, जितनी मनुष्यों मे इच्छाशक्ति दुर्बल और सबल है |
ऐ मेरे वतन के लोगो 27 जनवरी 1963 मे प्रथम बार गाये जाने वाले गीत (चीन-भारतीय (1962) युद्ध की समाप्ति के बाद, जिसमे देश ने 13,454 सैनिकों को गवाया था), ने पूरे देश में देशभक्ति की लहर पैदा कर दी| युद्ध के दौरान शहीद हुए भारतीय सैनिकों की याद में गाये जाने वाले गीत को सुनकर हर युवा और महिला भारतीय के हृदय मे रक्षा बलों में शामिल होने की चाह उत्पन हो गई थी, उनमें से भारत की पहली महिला एयर मार्शल डॉ. पद्मावती बंदोपाध्याय भी एक हैं|
वह भारतीय वायु सेना में एयर मार्शल के पद पर पदोन्नत होने वाली पहली महिला हैं| लेफ्टिनेंट जनरल पुनीता अरोड़ा के बाद वह भारतीय सशस्त्र बलों में तीन-सितारा रैंक में पदोन्नत होने वाली दूसरी महिला हैं| वह एयर वाइस मार्शल में टू-स्टार रैंक में पदोन्नत होने वाली पहली महिला हैं|
पद्मावती बंदोपाध्याय का जन्म 4 नवंबर 1944 को आंध्र प्रदेश के तिरुपति में हुआ था| उनकी मां को तपेदिक की बीमारी थी| 4-5 वर्ष की आयु से ही वह अपनी माँ की देखभाल और उनकी मदद भी करती थी|
उनके नई दिल्ली में गोले मार्केट के पड़ोस की एक उन्हीं के नाम की महिला डॉ. एस. आई. पद्मावती हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में दवाइयों की प्रोफेसर थीं| और सफदरजंग अस्पताल में उनकी मां की बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती होने के अनुभव ने उनके अंदर डॉक्टर बनने की दृढ़ संकल्प को बढावा दिया|
उन्होंने मानविकी स्ट्रीम में दिल्ली तमिल शिक्षा संघ के वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल (Delhi Tamil Education Association Senior Secondary Schools) में शिक्षा प्राप्त की| स्कूल से स्नातक होने के बाद, उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में मानविकी से विज्ञान स्ट्रीम में कठिन और असामान्य परिवर्तन किया| उन्होंने किरोड़ीमल कॉलेज में प्री-मेडिकल की पढ़ाई की और फिर 1963 में सशस्त्र बल मेडिकल कॉलेज, पुणे में प्रवेश लिया|
वह 1968 में भारतीय वायु सेना में शामिल हुईं| वर्ष 1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध में उन्होने हिस्सा लिया, उसके बाद कारगिल युद्ध से होते हुए वायु सेना में एयर मार्शल बनने पर ही रुकीं| वह चिकित्सा सेवा (वायु) की महानिदेशक रहीं|
डॉ. पद्मावती बंदोपाध्याय के साथ प्रथम तो फेविकोल के जोड की तरह जुड़ा हुआ है| अपने करियर में वह भारत की एयरोस्पेस मेडिकल सोसाइटी की फेलो बनने वाली पहली महिला रहीं|
वह उत्तरी ध्रुव पर वैज्ञानिक शोध करने वाली पहली भारतीय महिला हैं| वह वर्ष 1978 में रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज पाठ्यक्रम पूरा करने वाली पहली महिला सशस्त्र बल अधिकारी हैं| वह एयर हेडक्वार्टर में डायरेक्टर जनरल मेडिकल सर्विसेज (एयर) थीं| 2002 में, वह एयर वाइस मार्शल (टू-स्टार रैंक) में पदोन्नत होने वाली पहली महिला बनीं| वह एक विमानन चिकित्सा विशेषज्ञ और न्यूयॉर्क एकेडमी ऑफ साइंसेज की सदस्य हैं|
उन्होंने वायु सेना के एक अधिकारी एस एन बंदोपाध्याय से शादी की| 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उनके आचरण के लिए उन्हें विशिष्ट सेवा पदक (वीएसएम) से सम्मानित किया गया था| उनके पति और वह एक ही निवेश परेड में राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले IAF जोडी बने|
उनको मिलने वाले सम्मानों की कतार भी उत्कृष्ट है। उन्हें विशिष्ट सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक और राष्ट्रपति से सम्मान पदक सहित देश दुनिया में करीब एक दर्जन से ज्यादा सम्मान मिल चुके हैं| इसके अतिरिक्त उन्हें लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड ने वर्ष 2014 के लिए वुमन ऑफ द ईयर चुना|
गणतंत्र दिवस 2020 में महिलाओं के सशक्तिकरण की प्रतीक डॉ. पद्मावती बंदोपाध्याय को 37 साल की इंडियन एयर फोर्स की सर्विस और चिकित्सा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया|
आज भी सेवानिवृत्त अधिकारी डॉ. पद्मावती बंदोपाध्याय ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के जरूरतमंद बच्चों को अपनी चिकित्सा और शिक्षा सेवाएं देना जारी रखा है|
असंशय डॉ. पद्मावती बंदोपाध्याय भारत की महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत के साथ एक मिसाल भी हैं|
उठो और संकल्प लेकर कार्य में जुट जाओ| यह जीवन भला है कितने दिन का ? जब तुम इस संसार में आयें हो तो कुछ चिन्ह छोड़ जाओ अन्यथा तुममें और वृक्षादि में अंतर ही क्या रह जाएगा, वे भी पैदा होते है, परिणाम को प्राप्त होते है और मर जाते है| – स्वामी विवेकानन्द
Jagdisha का डॉ. पद्मावती बंदोपाध्याय को सहृदय प्रमाण|