सृष्टि के विकासक्रम में महिला का स्थान सबसे महत्वपूर्ण होता हैं| महिला प्रकृति की अनुपम संरचना हैं| उसे सौंदर्य, दया, ममता, भावना, संवेदना, करुणा, क्षमा, वात्सल्य, त्याग एवं समर्पण की सजीव प्रतिमूर्ति माना गया है।
किन्तु फिर भी अगर विचारधारा की बात करे तो, लडकियो को ज्यादा पढ़ाना- लिखाना नही चाहिए वरना वो अपने पंख फ़ैलाने लगती है| किसी को भी कुछ समझती नही है, उनका काम तो सिर्फ घर संभालना हैं| अपनी हदे भूल जाती है, बराबरी करने लगती हैं, मर्द के सामने औरत के बोलने का क्या मलतब है, और भी बहुत सी बिना मतलब की बाते जिनका कोई अर्थ नही हैं हमारे इस समाज में रोज सुनने को मिलती हैं|
अगर सही तरीके से देखा जाये तो जब एक पुरुष को पढ़ाते है तो केवल एक व्यक्ति शिक्षित होता है परन्तु अगर एक स्त्री को पढाया जाता है तो पूरा परिवार शिक्षित होता हैं| एक महिला बेटी, बहन, पत्नी और माँ होती है, और वह केवल एक माँ ही है जो अपने बच्चे को सभी संस्कार देती है| बच्चों की पहली शिक्षक माँ ही होती है जो उन्हें जीवन की अच्छाईयों और बुराइयों से अवगत कराती है|ऐसे में अगर एक माँ ही अशिक्षित है, जब उसे ही पूर्ण ज्ञान नही होगा तो आने वाली पीढ़ी तो स्वत: ही अज्ञानता के वशीभूत होगी| समाज में बढती अराजकता का मुख्य कारण अज्ञानता भी है|
इस जीवन रूपी रथ के नारी और पुरूष दो पहियों की तरह हैं। अगर एक पहिया भी कमज़ोर होता हैं तो यह जीवन रूपी रथ वहीं खड़ा रह जाएगा, इसलिए महिला का शिक्षित होना ज़रूरी हैं ताकि गाड़ी सही तरीक़े से चलती रहें।
शिक्षा के कारण ही नारी सशक्त और आत्मनिर्भर बनकर अपने व्यक्तित्व का उचित रूप से विकास कर सकती है, परन्तु आज नारी क्षेत्र की मुख्य बाधाएँ हैं – महिलाओं का अशिक्षित होना, अधिकारों के प्रति उदासहीनता ,सामाजिक कुरीतियां तथा पुरुषों का महिलाओं पर स्वामित्व इन सभी समस्याओं से छुटकारा एक नारी पाना चाहती हैं तो उसका एकमात्र साधन हैं शिक्षा ।
शिक्षित नारी जब घर की चारदीवारी से निकल समाज मे समानाधिकार को प्राप्त कर रही है। वह अपनी प्रतिभा और शक्ति से कहीं कहीं महत्वपूर्ण और प्रभावशाली दिखाई देती है। नारी शिक्षित होने के फलस्वरूप आज समाज के एक से एक ऐसे बड़े उत्तरदायित्व का निर्वाह कर रही है, जो पुरूष भी नहीं कर सकता। शिक्षित नारी आजकल के सभी क्षेत्रों में पदार्पण कर चुकी है। वह एक महान् नेता, समाज सेविका, चिकित्सक, निदेशक, वकील, अध्यापिका, मन्त्री, प्रधानमंत्री आदि महान पदों पर कुशलतापूर्वक कार्य करके अपनी अद्भुत क्षमता को दिखा रही है। महत्वपूर्ण बात यह है कि वह इन पदों की कठिनाइयों का सामना करती हुई भी अपनी प्रतिभा का परिचय देती है और अपनी दिलेरी को दिखा रही है।
साहित्य सृजन के क्षेत्र में वह महाश्वेता देवी है तो विज्ञान के क्षेत्र में कल्पना चावला । समाज कल्याण के क्षेत्र में वह मदर टेरेसा है तो राजनीति के क्षेत्र में वह स्वर्गीय श्रीमति इंदिरा गाँधी जैसी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की नेता के रूप में स्थापित हो चुकी है ।
प्राचीन समय में भी स्त्रियों को शिक्षा ग्रहण करने की पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त थी । वे ऋषियों के आश्रम में रहकर गुरुजन से शिक्षा ग्रहण करती थीं । वे विभिन्न कलाओं जैसे – गायन , नृत्यकला , चित्रकला , युद्धकला में पारंगत होने के साथ साथ गणितज् भी थीं । मीराबाई, दुर्गावती, अहिल्याबाई, लक्ष्मीबाई जैसी कुछ मशहूर महिलाओं के साथ-साथ वेदों के समय की महिला दर्शनशास्त्री गार्गी, विस्वबरा, मैत्रयी आदि का भी उदाहरण इतिहास का पन्नो में दर्ज है। ये सब महिलाएं प्रेरणा का स्रोत थी।
इनकी इस दिलेरी व सामर्थ्य का सम्मान करना चाहिए और नकारात्मक विचारो को शिक्षा के प्रकाश से पूर्णत: ख़त्म करने की आवश्यता है| केवल ज्ञान की प्रज्वलित रोशनी से ही समाज में बढ़ रहे अंधकार को समाप्त किया जा सकता हैं|
शिक्षित नारी में आत्म निर्भरता का गुण उत्पन्न होता है। वह स्वावलम्ब के गुणों से युक्त होकर पुरूष को चुनौती देती है। अपने स्वावलम्बन के गुणों के कारण ही नारी पुरूष की दासी या अधीन नहीं रहती है, अपितु वह पुरूष के समान ही स्वतंत्र और स्वछन्द होती है।
आज का युग शिक्षा के प्रचार प्रसार से पूर्ण विज्ञान का युग है। आज अशिक्षित होना एक महान अपराध है।
“लड़का-लड़की एक समान, शिक्षा से दोनों बनेंगे महान”