प्रकृति ने मां को वो सब दिया है, जो बच्चे को गर्भाशय से बाहर दुनिया के अनुकूल बनाने, उन्हें पोषण देने और आराम देने में मदद कर सकता है | यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने नवजात शिशुओं को वो भोजन देने में मदद करें जो प्रकृति ने उनके लिए बनाया है | शिशु के लिए मां का दूध अमृत के समान होता है। मां के दूध से शिशु को पोषण के साथ-साथ रोगों से लड़ने की शक्ति भी मिलती है | क्या आप जानती हैं ऐसे बच्चे जो अपनी मां के दूध से वंचित रहते हैं उनका मानसिक और शारीरिक विकास बाकी बच्चों की तुलना में कम होता है |
यूनिसेफ की एक रिपोर्ट कहती है कि नवजात बच्चे को जन्म के 1 घंटे के भीतर स्तनपान नहीं कराने से उनमें मृत्यु का खतरा 33 प्रतिशत बढ़ जाता है | पहले छह महीने तक बच्चों को केवल स्तनपान पर ही निर्भर रखना चाहिए | इसी के साथ डाक्टरों का यह भी मानना है कि बच्चों को 6 महीने के बाद ही स्तनपान के साथ-साथ ठोस आहार दिया जाए | ऐसे में जरुरत है कि मां भी इस दौरान अपनी सेहत का खास ख्याल रखे | हालांकि स्तनपान कराने का फायदा केवल शिशु को ही नहीं बल्कि स्तनपान कराने वाली मां को भी मिलता है | गर्भावस्था के बाद जो महिलाएं शिशु को स्तनपान कराती हैं वो अधिक स्वस्थ होती है |
स्तनपान शिशु के लिए इसलिए है जरूरी
- मां के स्तन से पहली बार निकलने वाला दूध के साथ गाढ़ा पीले रंग का द्रव भी आता है, जिसे कोलोस्ट्रम कहते हैं, इसे शिशु को जरूर पिलाएं | इससे शिशु को संक्रमण से बचने और उसकी प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में मदद मिलती है |
- मां के दूध में बच्चे के लिए आवश्यक प्रोटीन, वसा, कैलोरी, लैक्टोज, विटामिन, लोहा, खनिज, पानी और एंजाइम पर्याप्त मात्रा में होते है |
- एक साल से कम उम्र के शिशु में डायरिया रोग से लड़ने की क्षमता कम होती है। मां का दूध उन्हें इस रोग से लड़ने की क्षमता देता है |
- मां का दूध शिशु के लिए सुपाच्य होता है। इससे बच्चों पर चर्बी नहीं चढ़ती है। स्तनपान से जीवन के बाद के चरणों में रक्त कैंसर, मधुमेह और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो जाता है |
- मां का दूध का बच्चों के दिमाग के विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है। इससे बच्चों की बौद्धिक क्षमता भी बढ़ती है |
- मां का दूध शिशु को उसी तापमान में मिलता है, जो उसके शरीर का है | इससे शिशु का सर्दी नहीं लगती है |
- एक महिने से एक साल की उम्र में शिशु में अचानक शिशु मृत्यु संलक्षण का खतरा रहता है | मां का दूध शिशु को इससे बचाता है |
- स्तनपान के दौरान मां का स्पर्श बच्चे के लिए उसे सुरक्षा का अहसास देने के साथ मां-शिशु के बीच भावनात्मक बंधन को बढ़ाता है |
मां को स्तनपान कराने से होते है ये फायदे
- यह स्तन व डिम्बग्रंथि के कैंसर की संभावना को कम करता है |
- स्तनपान के दौरान ऑक्सीटोसिन हार्मोन रिलीज होता है जो गर्भाशय को वापस पुरानी अवस्था में लाने का काम करता है | साथ ही डिलीवरी के बाद गर्भाशय से होने वाली ब्लीडिंग को कम करता है |
- यह प्रसव पूर्व खून बहने और एनीमिया की संभावना को कम करता है |
- स्तनपान के दौरान मां में प्रोलैक्टिन हार्मोन रिलीज होता है जो मां को रिलैक्स और एकाग्र करने में मदद करता है |
- स्तनपान कराने वाली माताओं के बीच मोटापा सामान्यत: कम पाया जाता है |
प्रेग्नेंसी के दौरान तीन बार महिलाओं के ब्रेस्ट का आकार बढ़ता है जो कि एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन फीडिंग कराने से फिगर बिगड़ने वाली बात गलत है | यदि ब्रेस्ट साइज में किसी तरह का फर्क पड़ता भी है तो बाद में एक्सरसाइज करके पहले जैसा फिगर किया जा सकता है |
कुछ मां खुद को बुखार आने पर बच्चे को फीड नहीं कराती हैं कि कहीं उसको भी बुखार न हो जाए, लेकिन ये धारणा गलत है | सभी मां बुखार के समय भी बच्चे को आराम से फीड करा सकती हैं, नहीं तो उनका बुखार और बढ़ेगा। बुखार की सही वजह जानें और उसका इलाज कराएं |
नई माँ बनी महिलाओं को लगता है कि अगर उनके स्तनों का आकार छोटा हैं तो उनके बच्चे को पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं मिल पाएंगा | जबकि ऐसा नहीं है | स्तनों का आकार स्तन में दूध बनने की प्रक्रिया को प्रभावित नहीं करता है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के पिछले साल की रिपोर्ट के अनुसार बच्चे के जन्म के एक घंटे के अंदर बच्चे को मां का पहला दूध भारत में महज 44% बच्चों को ही मिल पाता है | राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार जिले में जन्म के एक घंटे के अंदर मात्र 33.9 प्रतिशत शिशु ही मां के गाढ़े पीले दूध का सेवन कर पाते हैं | वहीं 67.1% बच्चों को मां का पहला दूध नहीं मिल पाता है | मात्र 20.6 प्रतिशत बच्चे ही जन्म से 6 माह तक सिर्फ मां का दूध पीते हैं |