अपने हौसले को ये मत बताओ कि तुम्हारी परेशानी कितनी बड़ी है, अपनी परेशानी को यह बताओ कि तुम्हारा हौसला कितना बड़ा है | उड़ीसा के बलांगीर जिले की मानसी बरिहा ने कुछ ऐसी ही सीख दी हैं तमिलनाडु में 6,000 से अधिक बंधुआ मजदूरों को ईंट भट्टों से बंधुआ मजदूरी जैसी निरंकुशता से बचाव करके |
बंधुआ मज़दूरी का मतलब है जब कोई व्यक्ति लिए हुए ऋण को चुकाने के बदले ऋणदाता के लिए श्रम करता है या सेवाएँ देता है | बंधुआ मजदूरी प्रथा भारत में प्राचीन काल से चली आ रही है | जबकी भारत में बंधुआ मज़दूरी गैर-कानूनी है और पूर्णतया प्रतिबंधित है फिर भी हमें अक्सर इस प्रकार की घटनाएँ देखने को मिलती रहती है |
ओडिशा के बलांगीर जिले की 19 वर्षीय मानसी बरिहा अपने पिता और 10 वर्षीय बहन के साथ रहती थी | उनके पिता द्वारा उनकी स्वर्गीय मां के उपचार मूल्य को चुकाने के लिए 28,000रु. का लिया गया ऋण समय पर नही चुका पाने के कारण एजेंट ने उन्हें को 355 अन्य मजदूरों के साथ तिरुवल्लुर के पुढुकुप्पम में जीडीएम ईंट भट्टे पर ले गए | वहां मजदूरों को हर हफ्ते 250 रुपये से 300 रुपये के बीच भुगतान किया जाता था | उनसे सुबह 4.30 बजे से दोपहर तक काम करवाया जाता था | दोपहर में उन्हें दो घंटे आराम करने का समय दिया जाता और फिर से काम शुरू होता जो देर शाम तक जारी रहता था |
जब कोरोनावायरस महामारी फैल गई और लॉकडाउन लगाया गया, तब मजदूर जल्द से जल्द अपने – अपने घर लौटना चाहते थे | इसलिए उन सभी ने दिन-रात काम करना शुरु कर दिया |काम पूरा करने के बावजूद, मालिक ने उन्हें जाने से मना कर दिया | मई महिने मे जब मजदूरों ने विरोध प्रदर्शन किया, तो मालिक ने अपने कुछ गुंडो को उन सभी को लाठियों से पीटने के लिए भेजा, जिसमें मानसी की बहन सहित अन्य कई मजदूर घायल हो गये |
डर का ना होना साहस नही है , बल्कि डर पर विजय पाना साहस है , बहादुर वह नहीं है जो भयभीत नहीं होता , बल्कि वह है जो इस भय को परास्त करता है | और उस समय मानसी ने अपने साहस को बढाते हुए इस दमनकारिता को खत्म करने का संकल्प लिया | अपने आत्मविश्वास और संयम से सिर्फ अपनी बहन और पिता को ही नहीं बल्कि 6,000 से अधिक मजदूरों को बचाया |
उन्होंने यह सब चुपचाप अपने मोबाइल के कैमरे से रिकॉर्ड कर लिया और घायल लोगों की तस्वीरें खींच ली और अपने संपर्कों को भेजती रही | जल्द ही यह सब सोशल मीडिया में वायरल हो गया | राज्य सरकार को इस घटना का पता चलते ही तुरंत कार्रवाई की गईं | कुछ ही समय में, पुलिस मजदूरों को बचाने के लिए गई और भट्टे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई | हालांकि, मालिक अभी फरार है | आगे जांच करने पर, पुलिस ने पाया कि 30 अन्य ईंट भट्टे अवैध रूप से बंधुआ मजदूरी करवा रहे थे | जिसके बाद राज्य सरकार ने 150 बसों की व्यवस्था करते हुए 6750 मजदूरों को उनके गांव भिजवाया |
सही बात है आप उस व्यक्ति को कभी नहीं हरा सकते जो कभी हार नहीं मानता हो | सलाम है मानसी बरिहा की सूझबूझ और साहस को |
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