gunjan saxena

 साहस, धैर्य और दृढता की मिशाल गुंजन सक्सेना ने सिद्ध कर दिया कि, साहस का आकलन लैंगिकता पर आधारित नही है | कारगिल युद्ध के दौरान उन्होंने युद्ध क्षेत्र में निडर होकर चीता हेलीकॉप्टर उड़ाया | पाकिस्तानी सैनिक लगातार रॉकेट लॉन्चर और गोलियों से हमला कर रहे थे | उनके एयरक्राफ्ट पर मिसाइल भी दागी गई लेकिन निशाना चूक गया और वें बाल-बाल बचीं | बिना किसी हथियार के उन्होंने पाकिस्तानी सैनिकों का मुकाबला किया और कई जवानों को वहां से सुरक्षित निकाला |

44 साल की गुंजन अब रिटायर हो चुकी हैं. उन्हें कारगिल गर्ल के नाम से जाना जाता है | गुंजन वो महिला है जिन्होंने डंके की चोट पर साबित किया कि महिलाएं न सिर्फ पायलट बन सकती है बल्कि जंग के मौदान में अपना लोहा मनवा सकती है |




पांच साल की उम्र में गुजन ने पहली बार कॉकपिट देखा था और तभी ठान लिया था एक दिन वह देश के लिए फाइटर जेट उड़ाएंगी | गुंजन सक्सेना के पिता और भाई भी सेना में थे | उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है | उस दौरान उन्होंने महिला पायलटों की भर्ती के लिए अप्लाई किया और एसएसबी पास कर वायुसेना में शामिल हो गईं |
आज से 17 साल पहले वायुसेना में महिलाओं को आज की तरह फुल कमीशन नहीं दिया जाता था, बल्कि शॉर्ट सर्विस कमीशन के जरिए 7 सालों तक ही देश की सेवा करने का मौका मिलता था। ऐसे में सैन्य परिवार से ताल्लुक रखने वाली गुंजन सक्सेना उन 25 ट्रेनी पायलटों में शामिल थीं, जिन्हें 1994 में भारतीय वायुसेना के पहले बैच में शामिल होने का मौका मिला। उन्हें बस अपनी क्षमता साबित करने के लिए एक मौका चाहिए था जो उन्हें 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान मिला | युद्ध के दौरान जब भारतीय सेना को पायलट की जरूरत पड़ी, तब गुंजन और श्री विद्या को युद्ध क्षेत्र में भेजा गया | उन्होंने अपने मिशन को पूरा करने के लिए कई बार लाइन ऑफ कंट्रोल के बिल्कुल नजदीक से भी उड़ान भरी जिससे पाकिस्तानी सैनिकों की पोजिशन का पता लगाया जा सके |


दुश्मन की तोपों और मिसाइलों के सामने चीता हेलीकॉप्टर की कुछ भी नहीं होता क्योंकि वह हथियार रहित होता है। ऐसे में उनके पास सेल्फ डिफेंस के लिए कुछ भी नहीं था। लेकिन उन्होंने जान की परवाह किए बगैर उत्तरी कश्मीर के खतरनाक इलाके में कई उड़ानें भरी। उस इलाके में पाक सैनिक बुलैट और मिसाइलों से ही एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर्स और एयरक्राफ्ट्स को देखते ही निशाना बना रहे थे।

सेल्फ डिफेंस के नाम पर गुंजन के पास केवल एक इंसास राइफल और एक रिवॉल्वर ही थी, जिसका इस्तेमाल उन्हें तब करना था, अगर उनका चॉपर दुश्मन के इलाके में क्रेश हो जाता। इस दौरान उनका बस केवल एक ही मकसद था कि कैसे घायल सैनिकों को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाया जाए और यही घायल सैनिक उनके इस जज्बे को भी कायम रखे हुए थे।
वाकई गुंजन ने न सिर्फ यह साबित किया कि वह देश की सच्‍ची सैनिक हैं, बल्‍कि उन्‍होंने दुनिया को यह भी दिखा दिया कि महिलाएं क्‍या कर सकती हैं | अब भारतीय वायुसेना में महिला पायलट भी फाइटर प्‍लेन उड़ा सकती हैं और इसका श्रेय कहीं न कहीं गुंजन सक्‍सेना जैसी हिम्‍मती आईएएफ पायलट को जाता है |

शौर्य चक्र से किया सम्मानित


हालांकि बतौर चॉपर पायलट उनके साहस और दिलेरी को देखते हुए उन्हें शौर्य वीर चक्र से भी सम्मानित किया गया। सेना से ऐसा सम्मान प्राप्त करने वाली वह पहली महिला भी बन गईं।


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